राजनीतिक अहमियत और ताकत दिखाने का प्रयास हुआ विफल

राजनीतिक अहमियत और ताकत दिखाने का प्रयास हुआ विफल, राज किशोर राठौर दिख रहे कांग्रेस प्रत्याशी के साथ
अनूपपुर। कांग्रेस पार्टी में लगातार बने रहने के बाद एकाएक अहमियत और ताकत कमजोर पड़ने से पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल ने एक पत्रकार वार्ता अनूपपुर में आयोजित कर कांग्रेस पार्टी से कुछ लोगों के साथ कांग्रेस से त्यागपत्र देने की घोषणा की।लेकिन किस दल में जाएंगे इसकी घोषणा से बचते नजर आए।लेकिन 2 दिन बाद ही जब उमरिया में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव आए तो अचानक कांग्रेस छोड़ने वाले जयप्रकाश अग्रवाल उमरिया पहुंचकर चुपचाप मुख्यमंत्री से भारतीय जनता पार्टी का अंग वस्त्र पहनकर अपने को भाजपाई सिद्ध कर दिया और अपने साथ नगर परिषद जैतहरी के पार्षद राज किशोर राठौर को भी भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर दी एवं उसे भी भाजपाई बना दिया।

लेकिन आश्चर्य जब हुआ जब कांग्रेस के लोकसभा सांसद प्रत्याशी पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को अपने प्रचार अभियान के तहत जैतहरी पहुंचे तो राजकिशोर राठौर पार्षद वार्ड क्रमांक 13 उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए दिखाई दिए और उनके प्रचार-प्रसार में अपने आप को समर्पित कर दिए।जिला कांग्रेस अध्यक्ष रमेश सिंह के साथ-साथ घूम-घूम कर कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी फुंदेलाल सिंह मार्को के सघन प्रचार अभियान में पूरी तरह से लगे रहे।कांग्रेस की बैठकों में शामिल रहे।

इस तरह से देखा जाए तो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए जयप्रकाश अग्रवाल अपनी अहमियत और ताकत दिखाने के लिए भाजपा में झूठी सदस्यता दिलाने का षड्यंत्र रचा।भाजपा नेतृत्व के साथ मजाक एवं दुस्साहस किया है। यही नहीं कभी कांग्रेस के जमाने में जब बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस में थे तो उनके साथ पूरी तन्मयता के साथ जयप्रकाश अग्रवाल लगे रहते थे।लेकिन अचानक जब बिसाहूलाल सिंह भारतीय जनता पार्टी में चले गए तो उन्होंने भाजपा ज्वाइन नहीं किया और चोरी छुपे उनसे मिलते रहे। लेकिन अचानक धीरे-धीरे दोनों के बीच मनमुटाव हो गया और जयप्रकाश अग्रवाल बिसाहूलाल सिंह से पूरी तरह दूरी बना लिए और बिना उनकी जानकारी के चुपचाप जाकर मुख्यमंत्री से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।जो लोगों की समझ से परे है। पता चला है कि कुछ अन्य लोगों का त्यागपत्र भी इन्होंने कांग्रेस से दिलाया था।लेकिन वह सब फिर से कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।इससे यह स्पष्ट हो गया कि उनके साथ कोई नहीं है।बल्कि वह अपने मतलब को हल करने के लिए भाजपा की शरण में नतमस्तक हो गए हैं।लेकिन वहां उनकी दाल गल जाए ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। जयप्रकाश अग्रवाल ने केवल कांग्रेस से ही छलावा नहीं किया। बल्कि भाजपा में जाकर भी छलावा करने की कोशिश की जो स्वयं बेनकाब हो गए। देखा जा रहा है कि कांग्रेस के लोग चुनाव आते ही धीरे-धीरे भाजपा की शरण में जा रहे हैं और वह पुरानी भाजपा को जिसकी एक पहचान, जिसकी एक शान, एक छाप, जिसकी एक मर्यादा थी उसका पूरी तरह से कांग्रेसीकरण करने लगे। लेकिन ऐसे कांग्रेसियों की भाजपा में कोई पूछ-परख नहीं है।आज वह सब अलग-थलग पड़े हैं।क्योंकि कांग्रेसियों को भाजपा की एबीसीडी का ज्ञान भी अभी तनिक भी नहीं है।एवं भाजपा के लोग ऐसे मतलब परस्त कांग्रेसियों को पचा भी नहीं पा रहे हैं।