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*कार्रवाई की बात तो दूर रही, सरकार प्रायोजित योजनाओं के राशि का जारी लूट को आज तक रोकने कि प्रयास भी नहीं किया गया*
संवाददाता अनील कुमार मिश्र जिला औरंगाबाद
औरंगाबाद ( बिहार) बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में “पुलिस -बिचौलिया- आपराधिक गठजोड़ की अनूठे खेल के सामने जिले के तमाम सोशल एक्टिविस्ट, जनहित राज्यहित व देशहित के लिए समर्पित पत्रकार तथा न्याय के लिए दौड़ लगाने वाले पीड़ित परिवार दम तोड़ चुके हैं । नीतीश सरकार की शासन व्यवस्था को ठेंगा दिखाने वाले अधिकारी भ्रष्टाचारी सरेआम डंके की चोट पर सरकार प्रायोजित योजनाओं एवं सरकारी संपदा को लूट पर डंका बजा रहे हैं और चुनौती देते हुए कहते हैं कि मेरा कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता है। सरकारी निर्देशों के विरुद्ध सभी जगहों पर सरकार प्रायोजित विभिन्न महत्वाकांक्षी एवं कल्याणकारी योजनाएं , सरकारी संपदा की लूट , अवैध बालू का उत्खनन एवं विक्री तथा व अवैध शराब के कारोबार का खेल निर्बाध गति से जारी है अगर यह कहा जाये कि पैसे की बदौलत अपराध की छूट के लिए औरंगाबाद जिला बिहार राज्य में यातिप्राप्त प्राप्त कर चुका है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं ं होगी।
बिहार सरकार के माननीय मुखिया, बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के घोषणाएं एवं राज्यहित में चलायें जा रहे कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर लाने का प्रयास करने वाले सोशल एक्टिविस्ट एवं पत्रकारों तथा इनके परिवारों (यहां तक की इनके नाबालिक बच्चे, घर के महिला -पुरुष ,बेटी -बेटा तथा शुभेच्छू) पर अनेको किता – दर्जनों मुकदमा लाद दिया गया, न्याय के लिए दौड़ लगाते – लगाते पीड़ितों के पावों में छाले पड़ गये, निर्दोष होते हुए भी जेल में रहना पड़ता। न्यायालय की दायरे भी भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के सामने सिमित पड़ चुका है । ऐसी हालतों में कमजोर वर्ग को न्याय दिलाने की दावेदारी गरीबों के साथ ना इंसाफी/बेईमानी नहीं तो और क्या हो सकता।
जिस योजना में जितनी बार शिकायत हो और जन शिकायत प
जिले में जाँच हो, उतने ही रिश्वतखोरी का खेल से धरातल पर योजनाओं में कमजोर काम होता है, यह हम नहीं, धरातल पर योजनाएं एवं जिले में अधिकारियों का जाँच प्रणाली कहता है जिसका अनेको प्रमाण हैं। जिले के वर्तमान हलात यह साबित करता है कि बिहार एक भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारी के चंगुल में फंस चुका है जिससे वर्तमान में निजात पाना संभव नहीं है । जैसे देश को गुलामी से मुक्त कराने के लिए देश के लोगों को कुर्बानियां देना पड़ा था, ठीक उसी तरह औरंगाबाद जिले में बढ़ते अपराध ,भ्रष्टाचार , रिश्वतखोरी, एवं पुलिस के संरक्षण में दमन की कार्रवाई के विरुद्ध औरंगाबाद वासियों को अपना कुर्बानियां देना पड़ेगा, तब यहां पर दमन की कार्रवाई तथा बढ़ते अपराध व भ्रष्टाचार पर नियंत्रण संभव हैं ।
ज्ञात हों कि सरकार प्रायोजित विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाएँ व कल्याणकारी योजनाएं को धरातल पर लाने का प्रयास करने वाले, सोशल एक्टिविस्ट तथा पीड़ितों की आवाज को उठाने वाले पत्रकार एवं न्याय की इच्छा रखने वाले पीड़ित परिवार तथा दूसरे को न्याय व अधिकार दिलाने तथा सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करने वाले को भ्रष्टाचार की बलिवेदी पर चढ़ा दिया जाता है और न्याय की मांग करने पर हमेशा जुल्म की कहर बरपाया जाता है और बेगुनाहों को पुलिस के दास्तान में अपराधी बना दिया जाता हैं अनेकों कितना मुकदमा उन पर लाद दिया जाता है अंत तक न्याय की प्रति दौड़ते -दौड़ते थक जाते और पीड़ितों को बिहार में न्याय की बात ही छोड़िए (सोशल एक्टिविस्ट एवं पत्रकार भी बिहार के न्यायिक ब्यवस्था/ न्याय प्रणाली पर विश्वास खो बैठते है और भ्रष्टाचारी द्वारा रचा गया षडयंत्र के मजधार में फस सोशल एक्टिविस्ट एवं पत्रकार भी
कर दम तोड़ देते है आखिर जिले में बढ़ते -अपराध , व रिश्वतखोरी के कार्य ,योजनाओं की विफलता तथा सरकारी संपदा व बन संपदा के लूट व सरकार के विफलता के लिए जबादेह कौन है। यह गहन जाँच का विषय है।
अधिकांश जगहों पर तथा सभी सरकारी कार्यालयों में दवंग किसम के विचौलियों तथा लूटेरे वर्ग, उद्देश्यों से भटक चुके जनप्रतिनिधियों का बोलबाला है। लूट की राशि का बटवारे को लेकर उत्पदन विवाद में जिला प्रशासन एवं संबंधित अधिकारियों द्वारा यदाकदा जनप्रतिनिधियों, बिचौलिए एवं कर्मचारियों पर कार्रवाई होता है। इसके वावजूद भी सरकार
प्रायोजित योजनाओं एवं योजना मद की राशि का निर्वाधगति से लूट जारी हैं जिसका ज्वलंत उदाहरण जिले के नवीनगर प्रखंड़ का महुआंव पंचायत में वर्षो से सरकार प्रायोजित योजनाओं एवं योजना मद की राशि का निर्वाधगति से जारी लूट का जाँच एवं कार्रवाई हेतू सीएम से पीएम तक लिखे गये आवेदन तथा अनेको बार पत्राचार के बावजूद भी महज जाँच की औपचारिकता एवं खाना पुर्ती जारी है,शिकायत का अनेको बार धरातल पर जाँच हुआ, मनरेगा में लूट का जारी खेल को जाँच पदाधिकारी ने उजागर किया और कहाँ मनरेगा में वैसे लोगों को जॉब कार्ड बनाया गया है जो अपने घर के दरवाजे से कभी बाहर किसी काम के लिए नहीं निकलते है और आज की प्रवेश में सुखी संपन्न, पक्का मकान वाले तथा करोड़पति के समकक्ष है , वैसे लोगों का नाम भी मरेगा के मजदूरों में शामिल हैं
सुत्रों की दावेदारी के अनुसार जाँच पर जाँच होता रहा,एक जाँच पदाधिकारी दूसरे जाँच पदाधिकारी के जाँच प्रति वेदन का समर्थन करते हुए सरकारी योजनाओं ब्यापत लूट व भ्रष्टाचार तथा अनियमितता से संबंधित जाँच प्रतिवेदन समर्पित किया , कार्रवाई की बात तो दूर रही, सरकार प्रायोजित योजनाओं के राशि का जारी लूट को आज तक रोकने कि प्रयास नहीं किया गया. फलस्वरूप लूटेरे.वर्ग का मनोबल बढ़ा हुआ है और सरेआम सरकार प्रायोजित योजनाओं की राशि को निर्वाधगति से लूटा जा रहा है जिसका ज्वलंत. उदाहरण महुआंव पंचायत का वार्ड नम्बर-13 हैं, इस वार्ड़ में नल -जल योजना का किस तरह से सरकारी राशि को लूटा गया है इससे जिला पदाधिकारी भी अनभिज्ञ नहीं हैं।
ज्ञात हो कि जिला पदाधिकारी के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने महुआंव पंचायत एवं महुआंव पंचायत का वार्ड नम्बर-13 में जांच कर अपना प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया है। पुरे बिहार में नल -जल योजना में ऐसा अनियमितता और लूट का अनूठा उदाहरण मिलेगा या नहीं यह तो कह पाना मुश्किलें होगा किन्तू जिस तरहम महुआंव पंचायत का वार्ड नम्बर-13 में नल -जल की राशि का लूट नीजी हित में हुआ है ऐसा बिहार में नहीं हुआ होगा। महुआंव पंचायत का वार्ड नम्बर-13 में नल- जल योजना के समरसेबल पम्प से खेतों की सिंचाई और पटवन तथा मछली पालन हो रहा है। जो जाँच के दौरान जाँच में जाँच दल के प्रतिनियुक्त अधिकारियों ने भी देखा है। यह कथन अजय पाण्डेय पत्रकार सहित सैकड़ों लोगों का कहना है। पत्रकारों का सर्वेक्षण टीम अगर यह कहें कि ऐसी बात केवल महुआंव पंचायत में है तो यह कहना हास्यपद होगा,
तथ्य चाहें जो भी आखिर जिला पदाधिकारी सरकार प्रायोजित योजनाओं में लूट मचाने का मौका जाँच के नाम पर लगातार अगले आदमी को क्यों और कैसे देते आ रहे हैं ,यह लोगों की समझ से परे हो चुका है । महुआंव पंचायत के जनता ने शोशल मीड़़िया व समाचार पत्र के माध्यम से औरंगाबाद जिले के जिला पदाधिकारी को उपरोक्त प्रकरण की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए मामले की जांच पत्रकारों के उपस्थित में स्वयं करने तथा दोषी पर विधि सम्मत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराकर सरकारी राशि का वसूली सुनिश्चित कराने तथा भ्रष्टाचारियों को समुचित सजा दिलाने की मांग किया है।
सर्वेक्षण कहता है ऐसी खेल जिले के अधिकांश दवंग जनप्रतिनिधियों के क्षेत्र में विगत 20 वर्षो से निर्वाधगति से जारी है और जिला प्रशासन का कद ऐसे लूटेरे जनप्रतिनिधियों के सामने बहुत छोटा पड़ जाता है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।