नोएडा के लिए बड़ी टेंशन! खत्म हो रहा है यहां का पानी, गांव के हालात भी चिंताजनक

उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाना वाला शहर नोएडा सूखने की कगार पर है. दरअसल, साल दर साल बढ़ती आबादी की प्यास बुझाते-बुझाते नोएडा खुद सूखने की कगार पर पहुंच गया है. आवश्यकता से ज्यादा दोहन के कारण नोएडा में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. एक दशक पहले जहां जमीन के अंदर 100 फीट पर पानी मिल जाया करता था, वहीं अब कहीं 200 तो कहीं 300 फीट तक बोरिंग करना पड़ रहा है. कभी-कभी तो ऐसा हो जाता है कि पानी मिलता ही नहीं, जिसके कारण शहर तो शहर ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग बाजार से पानी मंगाने पर मजबूर हो गए हैं.

नोएडा के जितने भी गांव हैं- जैसे बहलोलपुर, होशियारपुर, सरफाबाद, बिसरख, नवादा इन सभी गांवों के चारों तरफ घनी आबादी वाले सेक्टर हैं. यहां हज़ारों फ्लैट्स और लाखों लोग लोग रहते हैं. उन सभी को जल की आवश्यकता पड़ती है.

उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाना वाला शहर नोएडा सूखने की कगार पर है. दरअसल, साल दर साल बढ़ती आबादी की प्यास बुझाते-बुझाते नोएडा खुद सूखने की कगार पर पहुंच गया है. आवश्यकता से ज्यादा दोहन के कारण नोएडा में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. एक दशक पहले जहां जमीन के अंदर 100 फीट पर पानी मिल जाया करता था, वहीं अब कहीं 200 तो कहीं 300 फीट तक बोरिंग करना पड़ रहा है. कभी-कभी तो ऐसा हो जाता है कि पानी मिलता ही नहीं, जिसके कारण शहर तो शहर ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग बाजार से पानी मंगाने पर मजबूर हो गए हैं.

नोएडा के जितने भी गांव हैं- जैसे बहलोलपुर, होशियारपुर, सरफाबाद, बिसरख, नवादा इन सभी गांवों के चारों तरफ घनी आबादी वाले सेक्टर हैं. यहां हज़ारों फ्लैट्स और लाखों लोग लोग रहते हैं. उन सभी को जल की आवश्यकता पड़ती है.

पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ बताते हैं कि इमारत बनाने के दौरान भूजल का खूब दोहन किया गया था. जिस कारण आज गांवों की यह हालत हो गई है. उस वक्त अगर ज्यादा बेसमेंट नहीं बनाए जाते, तो भूजल को बर्बादी से रोका जा सकता था.