उच्च शिक्षा क्षेत्र में विचाराधीन विभिन्न विषयों पर परामर्श प्राप्त करने हेतु गठित तीन सदस्यीय समिति के सदस्य बने बीएनएमयू के कुलपति प्रो. बी. एस. झा

विश्वविद्यालय के पूर्व जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि समिति द्वारा शिक्षा विभाग को विभिन्न विषयों पर परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें मुख्यतः अकादमिक विषय, वित्तीय विषय एवं प्रशासनिक विषय शामिल हैं। इसके अलावा चौथे अन्य विषय जो संदर्भित किये जाएंगे उनपर भी सुझाव दिया जाएगा।

मधेपुरा/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. बी. एस. झा को उच्च शिक्षा क्षेत्र में विचाराधीन विभिन्न विषयों पर परामर्श प्राप्त करने हेतु गठित तीन सदस्यीय समिति में स्थान दिया गया है। समिति का गठन गत 12 जून, 2024 को मंत्री शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में सभी कुलपतियों के साथ आयोजित बैठक में लिए गए निर्णयानुसार का गठन किया गया है। इसमें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा एवं भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति को सदस्य बनाया गया है। समिति के समन्वयक का कार्य उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा यथा आवश्यक किया जाएगा।

इस अत्यंत महत्वपूर्ण कमिटी में बीएनएमयू के कुलपति प्रो. बी. एस. झा को स्थान देने पर विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने प्रसन्नता व्यक्त की है। सबों ने इसके लिए बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया है।

विश्वविद्यालय के पूर्व जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि समिति द्वारा शिक्षा विभाग को विभिन्न विषयों पर परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें मुख्यतः अकादमिक विषय, वित्तीय विषय एवं प्रशासनिक विषय शामिल हैं। इसके अलावा चौथे अन्य विषय जो संदर्भित किये जाएंगे उनपर भी सुझाव दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अकादमिक विषय के अंतर्गत सिलेबस की समीक्षा अनुपयोगी विषयों को हटाने एवं नये प्रासंगिक विषयों को जोड़ने पर सुझाव, विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति को प्रोत्साहित करने के उपाय, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का उपयोग एवं उसे बढावा देना, पीएच. डी. स्तर के शोध को बढ़ावा देना एवं जनोपयोगी बनाना तथा विविध वोकेशनल एवं प्रोफेशनल कॉसेज के संचालन पर परामर्श एवं स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के संबंध में मार्गदर्शिका शामिल है।

उन्होंने बताया कि वित्तीय विषय में विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन से, वैधानिक कटौतियों के संबंध में मंतव्य, विश्वविद्यालयों में वित्तीय अनुशासन की स्थापना तथा विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में संचालित खातों को संख्या एवं आवश्यकता पर परामर्श है।

उन्होंने बताया कि प्रशासनिक विषय के अंतर्गत फीस की प्रतिपूर्ति के तरीकों पर सुझाव, विषय एवं छात्रों के आधार पर शिक्षकों के पदस्थापन का युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन), अप्रासंगिक पदों को सरेंडर किया जाना तथा नए आवश्यक पदों का सृजन तथा विश्वविद्यालय के सत्रों को नियमित करने के उपाय शामिल हैं।