ब्रिक्स राइटर्स और जर्नलिस्ट फोरम ने लिखा राष्ट्रपति  को पत्र

शती साहित्यकार रामदरश मिश्र के लिए की पद्मश्री की मांग

नई दिल्ली :  ब्रिक्स राइटर्स और जर्नलिस्ट फोरम ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर शती साहित्यकार रामदरश मिश्र के लिए की पद्मश्री की मांग की है । ज्ञात हो शती साहित्यकार रामदरश मिश्र भारत के एकमात्र जीवित साहित्यकार है जिन्होंने  शिक्षक, कवि, कथाकार,समीक्षक, गजलकार, निबंधकार“ के रूप में पिछले पिचहत्तर वर्षों से अपनी कलम से साहित्य की निरंतर सेवा की है और कर रहे हैं। 1924 में उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव में जन्मे  जन्मे,हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष प्रोफेसर रामदरश मिश्र ने अपनी कलम से पराधीन भारत से लेकर इक्कीसवीं शताब्दी के स्वतंत्र भारत तक के कालखंड को अपने साहित्य में अभिव्यक्त किया है। कवि, लेखक और आलोचक मिश्र जी की रचनाओं में उनकी ग्रामीण पृष्ठभूमि और परिवेश जीवंत हो उठते हैं। टेक्नोलॉजी के अभाव से टेक्नो युग तक, उनकी रचनाशीलता अविरल बहती रही है। वे महत्वाकांक्षाओं की मृग मरीचिका में न फँसते हुए धीरे-धीरे सहज जीवन जीना ही आदर्श मानते हैं। हिंदी के इस शीर्ष लेखक का अपने शताब्दी वर्ष में उपस्थित होना, साहित्य जगत के लिए ऐतिहासिक गौरव का क्षण है।”ब्रिक्स राइटर्स और जर्नलिस्ट फोरम के अध्यक्ष अनिरुद्ध कुमार सुधांशु ने कहा कि रामदरश मिश्र भारत के लिए धरोहर है ,न केवल रचनात्मकता के लिए बल्कि अपनी जीवटता के लिए भी । उन्होंने अपनी रचना यात्रा कविता से शुरू की किंतु कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में भी उनकी उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। छठे और सातवें दशक में मिश्र जी का प्रथम कविता संग्रह ‘पथ के गीत’(1951), प्रथम उपन्यास पानी के प्राचीर (1961) और पहला कहानी संग्रह ‘खाली घर’ (1968) प्रकाशित होते हैं। रामदरश मिश्र  मूलतः अभिशप्त जीवन के पक्षधर लेखक हैं।  इनके लेखन में नारी और दलित यातना के अनेक आयाम सहज रूप से मूर्त हुए हैं। ऐसे साहित्यकार को यदि पद्मश्री दिया जाता है तो सम्पूर्ण साहित्य जगत के साथ साथ उन साहित्यकारों को बल मिलेगा जो कि बिना पैरोकार के सरोकारों से भरा साहित्य रच रहे हैं। हमारा संगठन लगातार उन पर केंद्रित कार्यक्रम का हिस्सा बनने में लगा है। जल्द ही हम भी उनके साहित्य पर केंद्रित कार्यक्रम करेंगे। मिश्र जी किसी भी वाद से न जुड़कर अपने समय की चेतना के प्रवाह के साथ स्वतः ही चलते रहे। ब्रिक्स राइटर्स और जर्नलिस्ट फोरम ने पहले भारत सरकार और अब राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर उनको पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने की हैं। अध्यक्ष अनिरुद्ध सुधांशु  ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिख कर इस बाबत अनुरोध पत्र भेज दिया था अब हमने माननीय राष्ट्रपति महोदय को इस बाबत चिट्ठी लिखी है उम्मीद करते हैं कि इस बावत कोई सूचना जल्द जारी हो। सचिव लवकुश गुप्ता ने कहा कि हम उनके समर्थन में  हस्ताक्षर अभियान भी चलाएंगे और उसको प्रधामंत्री और राष्ट्रपति कार्यालय को भी अग्रेषित करेंगे। साहित्यकार का सम्मान केवल साहित्यकार का नही बल्कि पाठक का भी सम्मान होता है। उम्मीद है सरकार और राष्ट्रपति हमारी मांगो पर जरूर ध्यान देंगे।