सिटी बजाने से नही विभागीय बदलाव से बढ़ेगी बच्चों की उपस्थिति।



सरकार को शिक्षकों के लिए भी महत्वकाक्षी कार्यक्रम चलाने की जरूरत है।

दैनिक समाज जागरण
निशांत तिवारी,जिला संवाददाता

चतरा(झारखंड) 12 जनवरी 2024 :- जिले के हंटरगंज प्रखंड के विद्यालयों की हालत को देखते हुए सरकार को विद्यालय मे योगदान देने वाले शिक्षकों और पाराशिक्षकों के लिए भी महत्वकांक्षी कार्यक्रम चलाने की जरूरत है जिसमे शिक्षकों को हर वर्ग मे जाने पे वर्ग के बच्चों के साथ सेल्फी भेजनें वाला कोई कार्यक्रम चलाने की जरूरत है।जैसे सिटी बजाओ विद्यालय तक लाओ ठीक उसी प्रकार से हर वर्ग के बच्चों के साथ सेल्फी वो भी प्रतिदिन ले कर भेजनें की जरूरत है।

*बच्चों के साथ सेल्फी कैसे कारगर है*
विद्यालयों मे योगदान देने वाले वैसे शिक्षक जो सुबह विद्यालय के समय पर उपस्थिति दर्ज़ करने के उपरांत अपने निजी कामो मे व्यस्त रहते है और जब दोबारा उपस्थिति दर्ज करने के समय पे जा कर अपनी उपस्थिति दर्ज कर देते है।वैसे शिक्षकों के लिए ये सेल्फी वाला कार्यक्रम कारगर साबित होने वाला है।सेल्फी उनके योगदान को विभाग मे परिभाषित करेगा जिससे शिक्षा के स्तर मे सुधार आएगा।
*विद्यालयों की स्थिति*
प्रखंड के कुछ विद्यालयों की स्थिति ऐसी है मानो विद्यालय नही दुकान है।कही पे विद्यालय के शिक्षक गेस पेपर बेचते नजर आ रहे है तो कही पे प्रैक्टिकल कॉपी। बताते चले की स्थानीय हॉकरों द्वारा विद्यालय प्रबंधन की मदद से गेस पेपर और प्रैक्टिकल बेचे जा रहे है।विचारणीय बात तो ये है की शिक्षकों से जब इस बारे मे कोई पूछे तो बताते है की निस्वार्थ भावना है ये तो वही बात हुई की नदी मे डुबकी मारने के बाद ये बोलना की मैने पानी नही पिया।मतलब साफ है इन गेस पेपर और प्रैक्टिकल मे कही ना कही विद्यालय प्रबंधन को कुछ तो मिलता ही होगा।

*बच्चों के लिए यूनिफार्म तो शिक्षकों के लिए क्यो नही*
प्रखंड के विद्यालय प्रबंधन विद्यालय के बच्चों के यूनिफार्म को ले कर बहुत सक्रिय होते है पर वही शिक्षकों की बात की जाये तो उनको देख के ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई फैशन शो मे उपस्थिति दर्ज़ करने आये है।शिक्षकों को अगर सरकार द्वारा यूनिफार्म दिया जाये और उसकी ससमय जांच की जाये तो वही यूनिफार्म शिक्षकों के लिए उनके शालीनता का परिचायक बनेगा और जब शिक्षक और बच्चे यूनिफार्म मे सेल्फी विभाग को भेजेंगे तो सेल्फी मे चार चांद लग जायेगा।

*प्रखंड के विद्यालयों मे शिक्षा का स्तर*
विद्यालयों मे शिक्षा का स्तर बहुत ही निम्न है क्योंकि विद्यालय मे योगदान देने वाले शिक्षक बस अपने योगदान का खानापुर्ति करने मे परेशान है शिक्षा की ओर तो विभाग और शिक्षकों का ध्यान ही नही है।

*शिक्षकों के बींच विभागीय कारवाई का भय*
शिक्षकों के बींच विभागीय कारवाई का ना मात्र का भय नही है।शिक्षकों की कोई भी शिकायत विभाग को मिलती है तो विभाग निकालता है क्या तो वो है स्पस्टीकरण जिसका निपटारा विभाग मे आये दिन टेबल के निचे से कर दिया जाता है।स्पस्टीकरण जैसी खोखली कारवाई कर पता नही क्या साबित करने मे लगा है।अगर विभाग कारवाई जैसे शब्द को परिभाषित करना चाहती है तो विभाग को शिक्षकों के प्रति कड़ा रुख करने की जरूरत है स्पस्टीकरण की नही।

*सिटी बजाओ,विद्यालय तक लाओ।*
सिटी की बात क्या की जाये बच्चे खुद बाज़ार मे सिटी खरीदते नजर आये जबकि जानकारी के अनुसार विद्यालयों मे झारखंड सरकार ने सिटी खरीदने के लिए राशि भी भेजी।बच्चे अगर अपने पैसे से खरीदकर सिटी बजाया तो सरकार द्वारा जो सिटी की राशि आयी उससे खरीदी हुई सिटी कहा बज रही है ये जांच का विषय है।


बच्चों की उपस्थिति की बात की जाये तो विद्यालयों मे अगर सुधार होगा तो खुद बखुद बढ़ेगी उपस्थिति।और विभागीय लोगो को अपने कार्य शक्ति का प्रयोग करते हुए इन सभी बातो पे विचार करते हुए विभागीय बदलाव लाने की जरूरत है ।