बाजारों में खरीदारों की भारी भीड़ दुकानदारों का लगा रेला ,
अमलाई। भारतीय सनातन हिंदू परंपरा में धर्म का महात्मय हिंदू मतावलंबियों के लिए आस्था का मानों लहू बनकर रगों में संचार कर रही है। धर्म के बिना हिन्दू की कल्पना ही नहीं की जा सकती। आदि अनादि काल से सूर्य की उपासना व शिव की आराधना सहित प्रकृति की पूजा का विधान विभिन्न कॉल खण्डो में रहा है जिसकी पौराणिक एवं इतिहासकारों ने भी उल्लेख किया है। ऐसे में हीं सूर्य की उपासना का पावन महापर्व छठी मैया जो भगवान कार्तिकेय की पत्नी है को प्रसन्न करने के लिए कालांतर में लंका पर विजय प्राप्ति के उपरांत द्वापर युग में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम एवं माता सीता ने सूर्य की उपासना गुरु वाल्मीकि के सुझाव पर अयोध्या के सुख शांति एवं समृद्धि के लिए व्रत रखा था, सूर्यपुत्र महान दानी कर्ण ने भी सूर्य की उपासना की थीं। पर्व पर श्रद्धांलू कठोर 36 घंटे का निर्जला व्रत इसमें रखते है जो चार दिनों तक चलता है पहले दिन " नहाए खाए " दूसरे दिन "खरना " तीसरे दिन " डूबते सूर्य को अर्ध्य " और चौथी दिन ऊषा अर्ध्य अर्थात सुबह सूर्य देवता उदय के वक्त दिया जाता है। तालाब रोड को सुंदर झालरों व लाइट से सजाया गया है वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष द्वारा घाटों व तालाबों की साफ सफाई सहित नगर की गली सड़कों को श्रम वीरों के आस्था समर्पण से स्वच्छता को लेकर युद्ध स्तर पर कार्य व्रत अनुष्ठान में लगे भक्तगणों के लिए स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराया है। तो विभिन्न पूजा समितियां द्वारा आस्था में भक्तगणों के लिए नारियल, शकरकंद, शरीफा, अमरूद, सिंघाड़ा,गन्ना (ईख), बादाम महावर, डम्भा, केला सेव आदि सभी मौसमी फलों को भक्तों को दान किया जाता है। किसी भी प्रकार का आस्था के साथ खिलवाड़ महा पाप और महाविनाश का कारण माना जाता है और हो भी क्यों नहीं क्यों की भाव में साक्षात भगवान का वास होता है । कोयलांचल क्षेत्र के ओरिएंट पेपर मिल स्थित बमबम तालाब ,गांधीनगर स्थित तालाब एवं अमलाई थाना रोड में स्थित तालाब में इस पावन पर्व पर भारी भीड़ उमड़ी। सायं 5:00 बजे से ही घाटों में व्रत धारी एवं लोगों का आना-जाना शुरू हो गया।