दुल्हिन बाजार के नाम के पीछे छुपा एक रहस्य


दुल्हिन रामदुलारी कुंअर के नाम पर हुआ था बाजार का नामकरण

पालीगंज संवाददाता : वेद प्रकाश


दुल्हिन बाजार/ पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र में स्थित दुल्हिन बाजार प्रखण्ड का नाम सुनते ही लोगो के मन मे इसके नाम से जुड़ी ऐतिहासिक रहस्यों को जानने के लिए उत्सुकता बढ़ने लगती है। नाम के अनुसार लोग अनुमान लगाते है कि यहां पुराने समय मर लड़कियों अर्थात दुल्हीनो का बाजार रहा होगा। लेकिन सबसे खास बात तो यह है कि यह मात्र पटना जिले का एक मात्र प्रखण्ड है। जहां बसी एक सामान्य बाजार में आसपास के लोग अपने सामानों की खरीद बिक्री करने आते है। लेकिन दुल्हिन बाजार के नाम के पीछे छुपा है एक रहस्य। स्थानीय जमींदार की पत्नी दुल्हिन रामदुलारी कुंवर के नाम पर हुआ था बाजार का नामकरण।
इस बाजार के नामकरण को लेकर अपनी एक अलग कहानी है। सन 1925 के आसपास बाजार से महज 1 किलोमीटर दूर स्थित लाला भदसारा गांव निवासी सह जमींदार बिन्देश्वरी सहाय अपने तीन अन्य भाइयों जगन्नाथ सहाय, देवनाथ सहाय व भगवान सहाय के साथ रहते थे। उस समय इस इलाके में इन्ही लोगो की जमींदारी थी। सन 1930 के पहले यह स्थान लोदी कटरा के नवाब का था। जिसे लाला भदसारा के जमींदार बिन्देश्वरी सहाय ने ले लिया था। वही बिन्देश्वरी सहाय की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी दुल्हिन रामदुलारी कुंवर ने इस स्थान पर सन 1930 के आसपास एक बाजार लगवाई। जहां दुल्हिन रामदुलारी ने अपने नाम का एक बड़ा कुंआ खुदवाई व यहां से गुजरनेवालों के ठहराव के लिए एक धर्मशाला का निर्माण करवाई जो आज भी मौजूद है। दुल्हिन उर्फ रामदुलारी कुंवर धार्मिक व श्रद्धालु बिचार की महिला थी। वही उहोने ब्यवसाय करनेवालो को हर तरह की सुविधा देने लगी। जिसे देख अन्य जगहों के ब्यवसाई यहां ब्यवसाय करने के लिए आने लगे।
वही कुछ समय बाद दुल्हिन रामदुलारी कुंवर की निधन हो गयी। तब से इस बाजार को दुल्हिन बाजार के नाम से जाना जाता है। वही सन 1955 में सरकार ने उनलोगों की जमींदारी छीन लिया। तबसे वे लोग अपने स्थान को छोड़कर गया, आरा व पटना में जाकर बस गए। कहा जाता है कि दुल्हिन रामदुलारी कुंवर की एक भी संतान नही था। बर्तमान समय मे दुल्हिन के नाम पर बसाई गयी बाजार में थाना, बैंक, प्रखण्ड, अस्पताल, पोस्ट ऑफिस व बस स्टैंड के अलावे सभी प्रकार के ब्यवसाई प्रतिष्ठान है। वही दुल्हिन बाजार इलाके के भरतपुरा गांव में स्थित पूरे देश मे सांतवां स्थान रखनेवाली गोपाल नारायण सार्वजनिक पुस्तकालय सह संग्रहालय प्रसिद्ध है। वही उलार गांव में स्थित द्वापरकालीन विश्व के 12 अर्क स्थलों में से एक प्रसिद्ध ओलार्क सूर्य मंदिर दुल्हिन बाजार का पहचान पूरे देश मे दिलाती है।