ई.आयुष अग्रवाल ने जनप्रतिनिधि पर तंज कसते हुए कहा कि सफ़ाई देना आसान है लेकिन जब पुल बन रहा होता है उस समय सभी साध लेते हैं चुप्पी ?

फारबिसगंज ।

अररिया ज़िला के सिकटी के पड़रिया घाट पर बना पुल उद्घाटन के पूर्व ही ध्वस्त हो गया। ईश्वर का बहुत बहुत आभार है कि कोई उस पुल पर उस समय पर चल फिर नहीं रहे थे वरना जिस तरीक़े से पुल गिरा है, वह हम सभी के बीच से किसी न किसी को हमेशा के लिए दूर कर देता। पुल गिरने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधि अपनी अपनी सफ़ाई देते हुए कार्रवाई की माँग करते हुए मीडिया के सामने दिखे। ग़नीमत मानिए जनप्रतिनिधि की भी कि उन्होंने अभी तक इसका फ़ीता नहीं काटा था। नहीं तो फ़ीता पहले कटता है और काम बाद में होता है। ऐसा कहना है राष्ट्रीय जनता दल व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रधान महासचिव ई आयुष अग्रवाल का।

श्री अग्रवाल ने जनप्रतिनिधि पर तंज कसते हुए कहा कि सफ़ाई देना आसान है लेकिन जब पुल बन रहा होता है उस समय सभी चुप्पी साध लेते हैं। पुल का गिरना वर्तमान सरकार में लगभग साधारण सी बात हो गयी है। संवेदक को इन चीज़ों से फ़र्क़ नहीं पड़ता। न जाने ऐसा क्यूँ ? बिहार में डबल इंजन की सरकार की गाथा गाने में कोई भी सत्ताधारी पीछे नहीं होते हैं और आज पुल गिर गया तो सभी एकजुट होकर सरकार की नाकामी को छुपाने में लग गए। जनता मालिक होती है और जनता अपना जनप्रतिनिधि इसलिय चुनती है ताकि उनकी बातों और उनके आराम के लिए जनप्रतिनिधि ज़मीन पर कार्य कर सकें लेकिन दुर्भाग्य है बिहार का और ख़ासकर अररिया ज़िला का जो सिर्फ़ और सिर्फ़ बातों में ही अपना विकास देख रही है।

श्री अग्रवाल ने साफ़ शब्दों में कहा कि यह सरकार की विफलता है और साथ ही साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि की। विभाग में कार्य कर रहे लोगों के द्वारा जिस संवेदक ने यह पुल बनाया है उसकी जाँच होनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि संवेदक का पिछला इतिहास क्या रहा है। जनता के पैसों को इस तरीक़े से पानी में बहा देने की जो क़वायद वर्तमान सरकार में हो रही है उसपर जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। श्री अग्रवाल ने कहा कि नवनिर्मित पुल गिरना महज एक पुल गिरना नहीं वरन जनता मालिकों के विश्वास के साथ भी धोखा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई हो रही है और क्या अंतिम परिणाम हुआ इसको भी सार्जवनिक करना चाहिए और जो भी जाँच हो उसकी निष्पक्षता बरकरार रहनी चाहिए।