राजभवन द्वारा 10 मई, 2024 को निर्गत पत्र में पूर्णियाँ, मुंगेर और एनओयू के कुलपति का कार्यकाल निकट भविष्य में समाप्त होने के कारण नीतिगत निर्णय पर रोक
पूर्णियां/डा. रूद्र किंकर वर्मा।
पूर्णियाँ विश्वविद्यालय, पूर्णियाँ के कुलपति प्रोफेसर राजनाथ यादव द्वारा शुक्रवार को शिक्षा विभाग में आयोजित बजट समीक्षा बैठक में उपस्थित नहीं होने के कारण स्पष्टीकरण पूछते हुए पुनः तमाम बैंक खाताओं पर प्रतिबंध लगाने हेतु शिक्षा सचिव बैधनाथ यादव द्वारा पत्र निर्गत किया गया है। पत्र में कहा गया है कि आपने अपनी व्यस्तता के संदर्भ में विभाग को पूर्व में सूचना क्यों नहीं दिया ताकि आपके सुविधानुसार बैठक की समय निर्धारित किया जाता। सचिव ने पूछा है कि बजट पर आपकी सहमति थी कि नहीं।
विदित हो पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल 18 अगस्त, 2024 को समाप्त हो रहा है। राजभवन द्वारा 10 मई को निर्गत पत्र में पूर्णियाँ विश्वविद्यालय सहित अन्य तीन विश्वविद्यालय के कुलपति को किसी भी तरह के नीतिगत निर्णय, स्थानांतरण, प्रमोशन आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शुक्रवार को प्रथम सत्र की बैठक में पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव,कार्यकारी वित्त पदाधिकारी, कार्यकारी बजट-सह- लेखा पदाधिकारी सहित कुलसचिव कार्यालय के सहायक कर्मचारी ससमय बैठक में उपस्थित थे। परन्तु कुलपति के उपस्थित नहीं रहने के कारण सभी कार्यकारी पदाधिकारियों को विभाग ने बैरंग वापस जाने का आदेश दिया। अबतक चार विश्वविद्यालय क्रमशः कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, मौलाना मजरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय, पटना, मुंगेर विश्वविद्यालय एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय का बजट समीक्षा 15 और 16 मई को निर्धारित था। किसी भी कुलपति के नहीं पहुंचने के कारण समीक्षा बैठक आयोजित नहीं किया जा सका। केएसडीएसयू के कुलपति ने व्यस्तता की वजह से शामिल नहीं होने की सूचना दी थी। केएसडीएसयू को पुनः 21 मई की तिथि निर्धारित किया गया है।
पूर्णियाँ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डाॅ घनश्याम राय से इस बावत पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम सरकार और राजभवन दोंनो के आदेशों का ससमय पालन सुनिश्चित करते थे। पत्रों का जवाब ससमय देने का प्रयास करते थे। उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर जितने मामले लंबित थे उसका त्वरित निष्पादन कराया। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इसी कारण पूर्णियाँ विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह के समय प्रताड़ित और निलंबित तमाम पदाधिकारियों को वर्तमान कुलपति प्रोफेसर राजनाथ यादव ने निलंबन मुक्त करते हुए पदाधिकारी बना दिया जो व्यक्तिगत रूप से कुलपति के विश्वस्त व सिपहसलाहकार बन गए। उन्होंने कहा कि कुलपति और उनके सिपहसलाहकार के दबाव में कोई काम नहीं किया। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि 02 मार्च को मेरी माँ की मृत्यु पूर्णियाँ में हो गई। इसके बावजूद 07 मार्च तक विश्वविद्यालय में कार्य किया। 07 मार्च, 2024 को सिंडिकेट की बैठक का संचालन कर 86 शिक्षकों के प्रौन्नति पर हस्ताक्षर किया। 08 मार्च को महाशिवरात्रि की छुट्टी थी। 09 मार्च से 15 मार्च तक माँ के क्रियाकर्म को संपन्न कराने के लिए छुट्टी स्वीकृत कराया,पुनः भतीजी की शादी के कारण 21 मार्च तक अर्जित अवकाश के लिए आवेदन दिया। इस बीच कुलपति ने माननीय कुलाधिपति से शिकायत कर कुलसचिव के पद से 20 मार्च को विरमित करा दिया। 21 मार्च की देर रात कुलपति द्वारा विरमित किया गया। डाॅ राय ने कहा कि माननीय राज्यपाल-सह- कुलाधिपति के आदेश का सम्मान करते हुए उन्होंने अपने पैतृक विश्वविद्यालय में 22 मार्च को योगदान दिया। वर्तमान में विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग में चल रहे विवाद से दुःखी है और शीघ्र समस्याओं के समाधान की कामना करते हैं।