️ संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए बगैर भोजपुरी में उत्कृष्ट साहित्य और शोध की कल्पना असंभव : डॉ शैलेश
जयनगर ।
अनुमंडल स्थित डी.बी. कॉलेज जयनगर के वाणिज्य विभागाध्यक्ष और रामनरेश सिंह एजुकेशनल फाउंडेशन के महासचिव, युवा शिक्षाविद डॉ. शैलेश कुमार सिंह “शौर्य” को उनकी कृति मेरे राम के लिए 14-15 दिसंबर, 2024 को कोलकाता में आयोजित होने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी और भोजपुरी सम्मेलन में “भोजपुरी आलोचना सम्मान” से नवाजा जाएगा। यह संगोष्ठी भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कोलकाता और प्रगति शोध फाउंडेशन, पश्चिम बंगाल द्वारा आयोजित की जा रही है।
संगोष्ठी का विषय और मुख्य बातें
संगोष्ठी का प्रमुख रूप से “भारतीय भाषाओं के लोक साहित्य में मानवीय मूल्य और प्रतिरोध के स्वर” विषय पर आयोजित है। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के प्रमुख साहित्यकार, शोधकर्ता, और शिक्षाविद हिस्सा लेंगे। डॉ. शैलेश सिंह इस संगोष्ठी के भोजपुरी परिसंवाद सत्र में “भाषा का वैज्ञानिक संदर्भ और आठवीं अनुसूची” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि पूरे विश्व में 22 करोड़ से अधिक लोग भोजपुरी बोलते हैं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भोजपुरी को अभी तक शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि भोजपुरी भाषा, साहित्य और शोध को प्रोत्साहन मिल सके, और साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं की पहचान को मजबूत किया जा सके।
सम्मान और भागीदार
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मॉरीशस के वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य राजेंद्र राय मिसिर होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोजपुरी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर डॉ. विमलेश त्रिपाठी करेंगे। संगोष्ठी में नेपाल, अमेरिका, चीन और भारत के विभिन्न राज्यों से कई प्रमुख साहित्यकार, शिक्षाविद और शोधकर्ता भाग लेंगे। इनमें प्रमुख नाम हैं:
प्रो. सुरेश प्रसाद सिंह (पूर्व कुलपति, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा)
डॉ. जमील हसन अंसारी (दरभंगा)
रामबहादुर राय (उत्तर प्रदेश)
युवा गायिका राय वैष्णवी व रानी वर्मा (बलिया)
लोक गायक गुड्डू गुलशन यदुवंशी (सिवान)
लाखन सिंह (धनबाद)
आचार्य संजय सिंह चंदन, संतोष ओझा प्रभाकर (झारखंड)
डॉ. रूबी कुमारी साह (मधुबनी)
डॉ. रेणु कुमारी (मधुबनी)
डॉ. पुष्पा कुमारी (भागलपुर)
डॉ. शिव कुमार पासवान (सुपौल)
कार्यक्रम के उद्देश्य
संगोष्ठी में भोजपुरी भाषा और साहित्य के उत्थान, नारी विमर्श, उच्च शिक्षा में शोध, और भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की दिशा में एक मजबूत पहल की जाएगी। इसके अतिरिक्त, भारतीय लोक साहित्य में मानवीय मूल्यों और प्रतिरोध के स्वर को उजागर करने का भी प्रयास किया जाएगा। यह संगोष्ठी जपुरी भाषा को सम्मानित करने और उसकी पहचान को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगी।
मंच के महासचिव का बयान
भोजपुरी साहित्य के उत्थान और उसे संवैधानिक अधिकार देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मंच के महासचिव प्रकाश प्रियांशु ने कहा कि यह संगोष्ठी भोजपुरी भाषा के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। इसे भोजपुरी साहित्य के संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा सकता है, जो क्षेत्रीय भाषाओं के विकास और उन्हें राष्ट्रीय मान्यता दिलाने के लिए एक सशक्त मंच बनेगा।यह संगोष्ठी न केवल भोजपुरी भाषा के साहित्यिक पहलुओं पर विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करेगी, बल्कि यह क्षेत्रीय भाषाओं की संस्कृति, पहचान और उनकी साहित्यिक समृद्धि को भी बढ़ावा देने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।