भारत का एक दुश्मन और 2 दोस्त, अब चीन के बन गए हैं बेस्ट फ्रेंड! इस ‘तिकड़ी’ से किसे कितना खतरा?

नई दिल्ली: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी हाल ही में चीन के दौरे पर थे. बीते दो दशक में चीन जाने वाले वह पहले ईरानी राष्ट्रपति हैं. रईसी के इस दौरे के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ईरान के साथ अपना समर्थन व्यक्त किया और वैश्विक मामलों में अमेरिका के प्रभुत्व की आलोचना की. रूस के साथ-साथ चीन और ईरान खुद को अमेरिकी शक्ति के प्रतिपक्ष के रूप में पेश करते हैं. ईरान के राष्ट्रपति ने ऐसे समय में यह यात्रा की है, जब तेहरान परमाणु हथियारों के विकास को लेकर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बीच चीन व रूस के साथ अपने रिश्तों को विस्तार देने का प्रयास कर रहा है. चीन के सरकारी टेलीविजन की वेबसाइट के मुताबिक शी जिनपिंग ने एक बयान में कहा, ‘चीन राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करने में ईरान का समर्थन करता है’ और ‘एकपक्षवाद और धमकाने का विरोध करता है.’

चीन सरकार ने घोषणा की कि शी और रईसी ने व्यापार और पर्यटन सहित 20 सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए. ये समझौते तेल, उद्योग और अन्य क्षेत्रों के विकास में सहयोग करने के लिए 2021 में हस्ताक्षरित 25-वर्षीय रणनीति समझौते की अगली कड़ी सरीखे हैं. चीन ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीदार और निवेश का एक स्रोत है. रूस और ईरान के भारत के साथ संबंध भी काफी मधुर हैं. भारत अतीत में अमेरिकी चेतावनी को दरकिनार करते हुए ईरान के साथ अपनी व्यापारिक गतिविधियों को चलाता रहा है.
रूस तो लंबे समय से भारत का सबसे विश्वसनीय सहयोगी रहा है. हालांकि, रूस और ईरान के पाकिस्तान के साथ संबंध भी बुरे नहीं हैं. ईरान, भारत के लिए कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश बन चुका है. ईरान के पास प्राकृतिक गैस का विश्व का दूसरा बड़ा भंडार भी है, जिसका भारत द्वारा ऊर्जा सुरक्षा के लिए लाभ उठाया जा सकता है.