सीमांचल में जन सुराज, बदल रहा मुसलमानों का मिजाज !

मुसलमानों के ‘मसीहा’ बनेंगे प्रशांत किशोर, खत्म होगा एम वाई समीकरण का खेल: एम बी दोजा

पूर्णियां/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

‘जन सुराज’ के कार्यक्रम में विभिन्न दलों के प्रभावशाली मुस्लिम कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी से राजनीतिक दलों को अपने पांव तले की जमीन खिसकती महसूस होने लगी. जन सुराज के प्रति इस जन आकर्षण के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि सीमांचल के मुसलमानों को कांग्रेस,राजद , जदयू , ए आई एमआईएम
और भाजपा से इतर इस
राजनीतिक पहल में अपने बेहतर भविष्य की संभावनाओं की झलक दिखने लगी है.

बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल के अघोषित मुख्यालय पूर्णिया में ‘जन सुराज’ की पांच सदस्यीय कोर कमेटी की ओर से संगठन के लिए पूर्णिया जिला कार्यावाहक समिति के गठन की घोषणा की गयी तो संपूर्ण सीमांचल की सियासत में घबराहट भर गयी. खासकर मुस्लिमों की रहनुमाई की लम्बी खुशफहमी पाल रखे राजनीतिक दलों के होश फाख्ता हो गये. सीमांचल के सबसे बड़े व्यावसायिक केन्द्र गुलाबबाग में 17 अगस्त 2024 को आयोजित ‘जन सुराज’ के कार्यक्रम में विभिन्न दलों के प्रभावशाली मुस्लिम कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या में मौजूदगी से राजनीतिक दलों को अपने पांव तले की जमीन खिसकती महसूस होने लगी. ऐसे दलों में राजद, कांग्रेस, जदयू और एमआईएम प्रमुख हैं. यह जानकर आश्चर्य होगा कि कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं की भी अच्छी खासी उपस्थिति रही. जन सुराज के प्रति इस जन आकर्षण के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि सीमांचल के मुसलमानों को कांग्रेस, राजद,जदयू , ए आई एमआईएम
और भाजपा से इतर इस
राजनीतिक पहल में अपने बेहतर भविष्य की संभावनाओं की झलक दिखने लगी है.

अतीत पर नजर डालें, तो सामाजिक न्याय की राजनीति के परवान चढ़ने से पहले सीमांचल की मुस्लिम आबादी कांग्रेस की रीति-नीति से प्रभावित थी. इस समुदाय के लोग मुक्कमल रूप में कांग्रेस के समर्थक थे. हालांकि, उसी दौर में मुस्लिम नेता के तौर पर उभार पा रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री तसलीम उद्दीन ने कांग्रेस के जनाधार में सेंधमारी शुरू कर दी थी. धीरे-धीरे उनकी हैसियत बहुत बड़ी हो गयी. इतनी बड़ी कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की सामाजिक न्याय की राजनीति
आमतौर पर सीमांचल में तभी गति पकड़ पाती थी जब तसलीम उद्दीन उसका हिस्सा होते थे. जो भी हो, मुस्लिम समुदाय में राजद की गहरी पैठ हो गयी थी. लेकिन, ‘माय’ समीकरण यहां कभी मजबूत नहीं रहा. कालांतर में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति जदयू करने लगा. प्रयोग-दर-प्रयोग किया सब बेकार गया. भाजपा से गठजोड़ की वजह से उसकी सियासी मंशा फलीभूत नहीं हो पायी. देश की राजनीति में परवान चढ़ रही नरेन्द्र मोदी की लहर ने सांसद असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी एमआईएम को सीमांचल में पांव पसारने का आधार दे दिया. बहुत बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग उसके प्रति आकर्षित हो गये. परिणाम एमआईएम के पांच विधायकों की जीत के रूप में सामने आया. उसकी इस अप्रत्याशित कामयाबी से कांग्रेस और राजद के कान खड़े हो गये. कुछ समय बाद राजद ने उनमें से चार को खुद से जोड़ लिया. इससे एमआईएम भी बेदम हो गया. 2025 के विधानसभा चुनाव की बाबत खुद को संभाल ही रहा था कि बेहतर भविष्य की राह दिखाते हुए चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का जन सुराज आ धमका है.

गौर करने वाली बात यहां यह भी है कि पूर्णिया जिले में जन सुराज की बुनियाद रखने से लेकर कमेटी के गठन तक में अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. हर किसी को मालूम है कि करीब एक साल से उन्हीं के पूर्णिया स्थित आवास से जन सुराज के अभियान का संचालन हो रहा है. कहते है कि जन सुराज की टीम के कठोर परिश्रम का ही प्रतिफल है कि रूपौली उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह की जीत हुई.

जन सुराज से गहरे रूप से जुड़े कुल्हैया बिरादरी से आने वाले जोकीहाट के गिरदा निवासी पूर्व मंत्री तीन टर्म विधायक रही स्मृति शेष प्रो डा ब्योला दोजा के साहबजादे सभी मामले में पूर्ण ओ एन जी सी से रिटायर्ड चीफ जेनरल मैनेजर एम बी दोजा उर्फ जनाब मुन्ना भाई का मानना है कि सीमांचल के मुसलमानों को लंबे अरसे तक कांग्रेस और फिर खुलकर राजद ने भाजपा का भय दिखा बेवकूफ बनाया. इन दोनों के बाद ऐसा ही भय दिखा नीतीश कुमार ने भी जदयू के हित में सीमांचलवासी मुसलमानों को उल्लू बनाने का काम किया. फिर सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम की धमक हुई तो उन्होंने एनआरसी और सी ए ए कानून की दहशत पैदा कर मुस्लिम समाज के वोटों की ठगी की. एकमुश्त पांच विधायक जितवा लिये. इस तरह कांग्रेस, राजद, जदयू और एमआईएम ने सीमांचलवासियों को पारा-पारी बेवकूफ बनाया. लेकिन, भुखमरी, बेरोजगारी, पिछड़ापन मिटाने के लिए किसी ने कुछ नहीं किया. जन सुराज के प्रति मुसलमानों में बढ़ रहे आकर्षण का मुख्य वजह है. उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम लोगों की 18% भागीदारी, मुसलमानों के ‘मसीहा’ बनेंगे प्रशांत किशोर, खत्म होगा इस बार एम वाई समीकरण का खेल!

प्रशांत किशोर ने सीमांचल में जन सुराज को विस्तार देने के लिए चारो जिलों की आबादी के राजनीतिक मिजाज को भांपते हुए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति करायी है. जन सुराज का नेतृत्व किशनगंज और अररिया जिलों में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के क्रमशः प्रो० मुसब्बिर आलम और अली रजा को सौंपा गया है तो कटिहार में दलित समाज के दिलीप पासवान को. पूर्णिया में यादव समाज के राकेश कुमार उर्फ बंटी यादव को यह जिम्मेदारी दी गयी है. प्रो० मुसब्बिर आलम किशनगंज के कद्दावर राजनीतिज्ञ है. किशनगंज जिला जदयू के अध्यक्ष रह चुके हैं. पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव की तब की पार्टी जाप के उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ चुके हैं. इनके कुछ गिने चुने दिन एमआईएम की संगत में भी गुजरे हैं. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार से इनके व्यक्तिगत संबंध हैं. पर, कभी किसी नेता के दरबारी नहीं रहे हैं. संभवतः इसी को दृष्टिगत रख इन्हें जन सुराज में मौका उपलब्ध कराया गया है.