झारखंड: पलामू में आखिर कब रुकेगा अवैध खनन का कारोबार ?

पलामू में आखिर कब रुकेगा अवैध खनन का कारोबार ? पहाड़ों पर खनन माफियाओं का कब्जा। दर्जनों बैद्य/अवैध क्रेशर प्लांट संचालित। वातावरण में घोल रहे जहर ।

खनन माफिया और अपने कर्तव्य से विमुख खनन ,परिवहन ,और वन अधिकारी ,पुलिस अधिकारियों के बीच की गठबंधन कब टूटेगी ?

खनन माफियाओं के ऊंचे रसूख के सामने, प्रशासनिक करवाई घुटने टेकने को मजबूर तो नही? क्यों डीली दिखाई पड़ती प्रशासनिक करवाई ?

यह वही सवाल है जिसे अखबार ,,दैनिक समाज जागरण ,,के माध्यम से आवाम जानना चाहती हैं।

धनंजय कुमार वैद्य, प्रभारी सह ब्यूरो चीफ झारखंड, / विनोद सिंह , प्रमंडल प्रभारी सह ब्यूरो चीफ ~पलामू, समाज जागरण (टीम)

रांची पलामू (झारखंड) 12 फरवरी 2023:~
पर्यावरण संरक्षित करने को लेकर डंका पीटने वाली झारखंड के हेमन्त सरकार के अधिकारी ही
जल, जमीन और जंगल के दुश्मन क्यों बने हुए हैं ?

पलामू जिला के छतरपुर और, पिपरा प्रखंड के सुदूर क्षेत्रों में इन दिनों खनन माफियाओं की बाढ़ सी आ गई है । लाखो टंन क्षमता वाली जिधर देखो उधर क्रेशर, दिखाई पड़ती है। जिधर देखो उधर ब्लास्ट हो रहे है। पहाड़े मिट्टी में तब्दील हो रही है। स्वच्छ हवा जहरीली हवा में तब्दील हो चुकी है। पत्थरों की ट्रांसपोर्टिंग के जरिए सड़कों की हालत जर्जर हो चुकी है आवाम परेशान है लेकिन इनके सुधि लेने वाले अधिकारी खनन माफियाओं से गठबंधन धर्म निभा रही।
पर्यावरण संरक्षित करने वाले वन विभाग अधिकारी सो रहे है। परिवहन विभाग कोई पता नहीं? सरकार के कायदे कानूनों को ताक पर रख कर खनन विभाग के अधिकारी चांदी काटने में लगे हैं।

यही वह अधिकारी हैं जिन्हें सरकार कायदे कानूनों को हिमायती बनाकर जिला स्तर पर नियुक्त करती है और यही अधिकारी माफियाओं से गठबंधन कर कायदे कानून को हास्य पर छोड़ अपनी चांदी काटने मैं लगे हैं अगर ऐसा नहीं है तो , उपयुक्त नियमों की अनदेखी क्यों की जा रही है?

  • क्रेशर प्लांट में लगे सकड़ों हाईवा /ट्रक क्षमता से दोगुना लोडिंग कर परिचालन में लगे है जिससे सड़कों की हालत जर्जर हो चुकी है इन ट्रकों का ओवरलोडिंग और परमिट, और फिटनेस, देखना किस विभाग की जिम्मेदारी है।? इस पर परिवहन विभाग वाले कोई लगाम लगा में क्यू नाकाम है। ? जबकि एक आम इंसान सिर्फ हेलमेट घर पर छोड़ देता है तो पुलिस और परिवहन विभाग वाले इस कदर उस पर टूट कर मोटरसाइकिल जप्त कर लेते हैं जैसे किसी देश का बड़े क्रिमिनल को पकड़ रखा हो और तमाम तरह की जुर्माने से गुजरना पड़ता है ऐसे में क्रेशर प्लांट में लगे ट्रकों की अनदेखी करने आरोपित सवाल लाजमी है।
    *क्रेशर प्लांट के द्वारा इन क्षेत्रों में वनों को काटकर पहाड़ों को गड्ढों में तब्दील की जा रही है। जमीन के नीचे थी दो 200 फिट तक से पत्थर निकालकर खनन माफिया पत्थर ग क्रेसिंग कर रहे। इनके द्वारा वातावरण में जहरीली बारूदी प्रदूषित हवाएं आम जन मानस में परोसी जा रहि है, बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलाई जा रही है और वन विभाग मौन है।
    येसे में, आखिर पर्यावरण संरक्षित रखने की जवाब देही किस विभाग की है? वनों के क्षेत्र पदाधिकारी कहां है ? अगर हैं तो इनके द्वारा कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही।? पर्यावरण के संरक्षित करने वाली विभाग ,वन विभाग स्वयं पर्यावरण के दुश्मन क्यों बनी हुई है ? इसे और कई सवाल इन अधिकारियों से अखबार,, समाज जागरण,, जानना चाहती है?
    सबसे बड़ी जिम्मेदारी खनन विभाग की होती है पूरा का पूरा अनुज्ञप्ति देने का अधिकार खनन विभाग को जाता है लेकिन सरकारी नियम और शर्तें की एवज में अनुज्ञप्ति दी जाती है जिसमें वन विभाग के द्वारा एनओसी कुछ शर्तों के बाद दी जाती है लेकिन खनन माफियाओं द्वारा सारे नियमों को अनदेखी कर धड़ल्ले से पत्थर के कारोबार करते जा रहे हैं इस पर यह सवाल खनन पदाधिकारियों से कि आपने अनुज्ञप्ति के आलोक में किन किन शर्तो को अनदेखी कर बड़े अस्तर से कारोबार किए जा रहे हैं। लेकिन इन क्षेत्रों में हालात यह है कि लोगों को चलना दुश्वार हो गया है सड़कों की हालत बद से बदतर बन गई है ट्रक हाईवा वाले 30 टन क्षमता वाली सड़क पर 50 टन की लोडिंग लेकर परिचालन कर रहे हैं बारूद फटने से वातावरण में जहरीली हवा फैलाई जा रही है। और अधिकारी चुप हैं ।
    पलामू जिले के खनन पदाधिकारी , अतिरिक्त प्रभार लातेहार श्री वीरेंद्र कुमार ,से जब अखबार जानना चाही तब खनन पदाधिकारी के द्वारा यह बता कर की ,, सभी अनुज्ञप्ति धारी वैध रुप से व्यवसाय में लगे हैं। मैं आपके वाटशैप नंबर पर लिंक भेज देता हूं आप देख ले । लेकिन विगत सप्ताह बीत जाने के बावजूद भी खनन पदाधिकारी के द्वारा वेबसाइट लिंक नहीं भेजा गया, जिससे अखबार जान सके। की वास्तुतह स्थिति क्या है छतरपुर और पिपरा प्रखंड में कितने वेद क्रेशर हैं और कितने अवैध तरीके से संचालित। अब तो फोन करने पर महोदय फोन भी नहीं उठा रहे या यूं कहें की अखबार के सवालों से बचने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं पत्थर से जुडे कारोबार, में लिप्त खनन माफियाओं , और संबंधित विभागों के कर्तव्य विमुख अधिकारियों की गठबंधन का । इनकी इतनी मजबूत है कि फेविकोल कंपनी भी इसके आगे कुछ नहीं। जो टूटने से भी नहीं टूट रही। इसके फलस्वरूप खनन माफियाओं का अवैध पत्थर कारोबार फलता फूलता नजर आ रहा है । सौ टके की बात यह है की,,,हमाम में सभी नंगे हैं !