ब्यूरो चीफ़ विजय कुमार अग्रहरी। दैनिक समाज जागरण
चोपन/ सोनभद्र। जनपद के विधानसभा ओबरा अन्तर्गत चोपन में बस स्टैण्ड, रामलीला मैदान सब्जी मंडी और प्रीतनगर सहित कई क्षेत्रों में छोटे – मझोले किसान/व्यापारी बन्धु एवं अन्य नागरिकों को बेदखल करने सम्बन्धी बाध्यकारी आदेश के निरस्तीकरण एवं रेलवे प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे अतिक्रमण मुक्त अभियान’ को जनता का उत्पीड़न बताते हुए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अनिल यादव ने उसे तत्काल रोके जाने हेतु क्षेत्रीय विधायक व सरकार के समाज कल्याण मंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि ओबरा विधानसभा अन्तर्गत चोपन, जनपद सोनभद्र, उत्तर प्रदेश का प्रमुख रेल स्टेशन है और पूर्व मध्य रेल का सबसे बड़ा जंक्शन है। यहाँ के स्थानीय रेल प्रशासन द्वारा बगैर विधिक प्रक्रिया अपनाए अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे लोगों एवं कई वर्षों से चोपन रामलीला मैदान में फल, सब्जियों, खाद्य पदार्थों व अन्य दैनिक उपभोग की वस्तुओं की बिक्री करने वाले स्थानीय किसानों और छोटे व्यापारी बन्धुओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। हज़ारों स्थानीय रहवासी/छोटे – मझोले किसान अपनी कृषि उपज/ सब्जी एवं अन्य दैनिक उपभोग की खाद्य वस्तुओं को शाम के समय (तीन से चार घण्टे के लिए) बिक्री हेतु दुकान लगाते हैं, जिससे न तो किसी प्रकार का आवागमन या यातायात बाधित होता है और न ही किसी रेलकर्मी को असुविधा होती है, बल्कि रेल कर्मचारियों एवं हज़ारों नागरिकों को सस्ते दर पर खाद्य सामग्री उपलब्ध हो जाती है। इसके पश्चात सभी दुकानदार वापस अपने घर को चले जाते हैं, जिससे रामलीला मैदान में उनके द्वारा किसी प्रकार का कोई स्थाई कब्जे का प्रयास भी नहीं किया गया है। इसके बावजूद रेल प्रशासन द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी अस्थाई दुकानों/ठेला को आरपीएफ फोर्स द्वारा बल पूर्वक हटा दिया गया है, जिसकी वजह से स्थानीय सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों के सामने भूखमरी तथा रेलकर्मियों व हज़ारों स्थानीय निवासियों के समक्ष स्वास्थ्यप्रद खाद्य सामग्रियों का संकट उत्पन्न हो गया है।
रेलवे विभाग द्वारा अपनी जमीनों का सीमांकन कर बाउण्ड्री का निर्माण कर दिया गया है। इस बाउण्ड्री के विपरीत लोक निर्माण विभाग, उत्तर प्रदेश की जमीन व रास्ता है, जिसके पटरियों पर छोटे दुकानदार/व्यवसायी अपनी दुकानें/ठेला रखकर व्यवसाय कर रहे है तथा अपने – अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे है। चूँकि रेलवे प्रशासन के अधिग्रहित जमीन में नही होने के बावजूद उक्त दुकानदारों को सात दिन में यह जगह खाली करने का बाध्यकारी नोटिस दे दिया गया है, जो बिल्कुल अवैध तथा उत्पीड़नात्मक कार्य है। इसके साथ ही बगैर विधिक प्रकिया अपनाये ध्वस्तीकरण की कार्यवाही भी की जा रही है, जो कानून व मानवीय संवेदनाओं के विरुद्ध है, जिससे आम जनमानस में काफी आक्रोश है, जो कभी भी बड़े आन्दोलन का रूप ले सकता है।
श्री अनिल यादव ने जिस स्थान पर भी रेलवे विभाग की सीमा, राज्य सरकार या काश्तकारों के जमीनों से लगी हुई है, वहां पर रेलवे विभाग के अधिकारी, राज्य सरकार के अधिकारी एवं कागजात माल में दर्ज काश्तकारों की उपस्थिति अनिवार्य करते हुए संयुक्त सीमांकन करने एवं गांव के छोटे/मझोले किसानों/सब्जी विक्रेताओं के द्वारा उपयोग किए जा रहे रामलीला मैदान को स्थाई तौर पर सब्जी बेचने की अनुमति प्रदान करने की मांग की है।