क्रिययोग से जन्म म्त्यु के चक्र से मुक्ति संभव – स्वामी स्वरूपानंद


सच्चिदानंद वर्मा
नोएडा। सेक्टर 62 स्थित योगदा आश्रम में महावतार बाबाजी स्मृति दिवस मनाया गया।इस अवसर पर ध्यान, भजन कीर्तन और प्रवचन का आयोजन आश्रम के दिव्य वातावरण में किया गया।
मालूम हो कि आधुनिक युग में लगभग विलुप्त हो गए क्रिया येाग को दोबारा महावतार बाबाजी ने अपने शिष्य लाहिड़ी महाशय के माध्यम से पूरे संसार को दिया था।भगवान श्री कृष्ण ने गीता में क्रिया योग का वर्णन किया है। महावतार बाबाजी स्मृति दिवस 25 जुलाई को इसीलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन महावतार बाबाजी ने परमहंस योगानंद को अमेरिका जाने के पूर्व कोलकाता स्थित निवास में दर्शन दिया था।
आश्रम में स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रवचन देते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि क्रियायोग के अभ्यास से मनुष्य को जन्म व मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाना संभव है।उन्होंने बताया गृहस्थ जीवन में भी क्रियायोग के अभ्यास से मुक्ति पाया जा सकता है।बशर्ते कि संासारिक जीवन निस्वार्थ भाव से तथा निर्लिप्त हो कर बिताया जाए। उन्होंने बताया कि बाबाजी ने विनम्रता को अपनाने पर जोर दिया है।
परमहंस योगानंद की विश्व प्रसिद्ध  पुस्तक योगी कथामृत  को उद्धृत करते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने बताया कि बाबाजी ने लाहिड़ी महाशय को कहा था कि सिर्फ योग्य शिष्यों केा ही क्रियायोग की दीक्षा देना। लेकिन लाहिड़ी महाशय के कहने पर इच्छुक सांसारिक लोगों को भी क्रियायोग की दीक्षा देने की इजाजत बाबाजी ने दे दिया।
दया माता की पुस्तक केवल प्रेम को उद्धृत करते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने बताया कि दया मां से बाबाजी ने कहा था कि मुझे खोजने के भक्तों को गुफा मंें आने की जरूरत नहीं है।जो कोई भी मुझे भक्ति भाव से  मुझे याद करेगा वह मेरा प्रत्युतर पाएगा।बाबाजी से दयामाता द्वारा उनका स्वरूप पूछे जाने पर बाबाजी ने बताया था कि मेरा स्वरूप प्रेम है , क्योंकि यह केवल प्रेम ही है जो इस संसार को बदल सकता है।
स्मृति दिवस कार्यक्रम में स्वामी ललितानंद,स्वामी सादानंद तथा स्वामी नित्यानंद भी उपस्थित थे।