महापुरुषों के जन्मदिन पर शिक्षण संस्थानों को बन्द नहीं किया जाए – पंचम कुमार*

*शिक्षण संस्थानों में महापुरुषों की जयंती पर उनकी जीवनी पढ़ाया जाए*


समाज जागरण , सतेंद्र चौरसिया
प्रखंड,संवाददाता,नौडीहा बाजार

पलामू (झारखंड) 21मार्च 2023:~
छतरपुर : हमारे देश की प्रगति के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है। हमारे देश में शहरों की तुलना में गाँव के लोग कम शिक्षित होते हैं। शिक्षा हमारी खुद की और देश की प्रगति में मदद करती है। बावजूद शिक्षा पर कम जोर दिया जा रहा है। हमारे भारत देश में ऐसे कई महापुरुष हैं जिन्होंने शिक्षा जगत में बहुमूल्य योगदान दिया है (डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जे. कृष्णमूर्ति, ओशो रजनीश, प्रफुल चंद्र राय, श्रीनिवास रामानुजन्, चन्द्रशेखर वेंकटरमन, जगदीश चन्द्र बसु, सत्येन्द्रनाथ बोस, एपीजे अब्दुल कलाम, पांडुरंग सदाशिव सने, सावित्रीबाई फुले, विवेकानंद, डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर,
डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बाल गंगाधर तिलक, प्रफुल्ल चन्द्र रे, राजा राम मोहन रॉय, होमी जहांगीर भाभा, हरगोविन्द खुराना, श्रीराम शंकर अभयंकर, रविंद्रनाथ टैगोर, आनंद कुमार, ईश्वर चंद्र विद्यासागर आदि) इनके बारे में जितना व्याख्यान किया जाए कम होगा। कहा जाता है भारत तो बहुरत्‍ना वसुंधरा है। बहुरत्नो (महापुरुषों) की जीवनी से विद्यार्थियों एवं युवाओं को प्रेरणा मिलता है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम से महापुरुषों की जीवनी गायब होती है वहीं महापुरुषों की जयंती पर शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया जाता है। जिसके वजह से उनके जीवनी को वे अध्ययन नहीं कर पाते हैं। महान विभूतियों का समाज में विशेष महत्व होता है। विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिए महापुरुषों की जयंती शैक्षणिक संस्थानों में मनाई जानी चाहिए ताकि विद्यार्थियों को प्रेरणा मिल सके। विभिन्न समुदायों से अपील है कि महापुरूषों के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित समारोह आयोजित कर उनकी जयंती मनाएं। जिसे समाज को प्रेरणा मिले। पंचम कुमार ने सरकार से आग्रह किया है कि शैक्षणिक संस्थानों में ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन और दीपावली अवकाश के साथ-साथ अन्य त्योहारों और रविवार की छुट्टियां भी प्रदान की जाती है इसलिए महापुरुषों की जयंती पर अवकाश देना बंद करें।

(लेखक पंचम कुमार पेशे से शिक्षक व संवाददाता हैं और ये उनका निजी विचार है।)