खटाखट 8500 के मायने, भारत कंगाल चाईना मालामाल।

एक झटके मे वोकल फॉर लोकल समाप्त

समाज जागरण

कौन नही चाहेगा कि उसके खाते मे एक वोट के बदले 8500 खटाखट बैंक अकाउण्ट मे पहुँच जाये। फिर क्या सारे झंझट खत्म। बेरोजगारी के इंडेक्स भले ही कम न हो लेकिन उन गरीबों को तो भला होगा जो मुफ्त को ही अपना अधिकार समझते है। आखिर हमे अपने 8500 से मतलब है देश जाय……। आप समझ ही गए होंगे। घर बैठे 8500 रुपया मिल जाये तो कौन कमाने जायेगा। कमाने की जरूरत क्या है हमे तो फायदा हो रहा है देश के नुकसान से हमे क्या लेना देना। हमे तो बस एक वोट देना है उसके बदले मे 8500 रुपया खटाखट मिल जायेगा। लेकिन क्या आप जानते है कि आपके 8500 रुपये लेने के लालच मे दिए गए एक वोट भारत को कंगाल और चाइना को मालामाल बना देगा। खैर भारत के कंगाल हो जाने से आपको क्या फर्क पड़ता है। अगले विधानसभा चुनाव मे कोई आयेगा जो कि 10500 दे जायेगा। आप उसको वोट दे देना। लेकिन आप जानते है कि यह पैसे आयेगा कहाँ से।

उससे पहले मै आपको बताता हूँ कि आखिरी जो लोग आपको लालची गारंटी कार्ड दे रहे है उनको क्या लाभ होगा ?

आप जानते है कि चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम खर्च सीमा 96 लाख तय किया हुआ है सांसद के लिए , लेकिन कई सांसदों का कहना है कि इस पैसे से तो कार्यकर्ताओं के खर्च भी पूरे नही होते है। मान लिजिए एक सांसद चुनाव जीतने के लिए 1 करोड़ रुपये खर्च करता है। अब जानते है सांसद को पूरे पांच साल मे मिलते कितने है। अधिनियम 1954 के तहत, भारतीय सांसदों का मूल वेतन ₹1,00,000 प्रति माह दिया जाता है जो विभिन्न भत्तों और सुविधाओं के अतिरिक्त है. सांसदों को वेतन के अतिरिक्त अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाती है.  इसके अलावा, उन्हें ₹70,000 प्रति माह का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और ₹60,000 प्रति माह का कार्यालय खर्च भत्ता भी दिया जाता है. इस प्रकार, कुल मिलाकर सांसदों को ₹2,30,000 प्रति माह के वेतन और भत्ते मिलते हैं, इसके अलावा ड्यूटी पर रहने के दौरान दैनिक भत्ता अतिरिक्त होता है. मान लिजिए 2 लाख 30 हजार एक महीने की तो एक साल की 27 लाख 60 रुपये। अगर सरकार 5 साल चल जाय बीच मे चुनाव न हो तो 5 साल मे 1 करोड़ अड़तीस लाख रुपये सांसद को प्राप्त होते है। अगर जीत जाते है तो, अगर हार गए तो गयी भैंस पानी मे। क्या आप समझते है कि सिर्फ 38 लाख पाने के लिए सांसद महोदय 1 करोड़ रुपये खर्च कर देते है। खैर इस विषय पर अगले विडियों मे विस्तार से बात करेंगे।

कांग्रेस के द्वारा महिलाओं को 8500 रुपये हर महीने देने वाली गारंटी कार्ड के बाद महिलाओं के द्वारा कांग्रेस कार्यालय पर हंगामा करना। उसके बाद राहुल गांधी के द्वारा यह कहते हुए कि माफी मांग लेना कि हमारी सरकार नही बनी है इसलिए हम नही दे सकते है। लेकिन जहाँ पहले से राज्य सरकार है वहाँ तो दिया ही जा सकता है। जहाँ के सांसद बने है अपने सांसद के फंड से भी दिए जा सकते है। क्या ऐसा नही हो सकता है की जिले मे पायलट प्रोजेक्ट की तरह से ट्रायल की जाये। कांग्रेस के पास मे फिलहाल 99 सांसद है और इंडिया गठबंधन के पास मे 233 जो कि वर्तमान मे 42 प्रतिशत है। अगर इन 42 प्रतिशत यानि 233 सांसदो के संसदीय क्षेत्रों मे इसका ट्रायल किया जाय तो निश्चित ही आने वाली सरकार कांग्रेस की होगी।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आम जनता मे पैसे की फ्लो यानि कैश फ्लों बढ़ा दिया जाय तो मार्केट चल पड़ता है। लोगों मे खरीदारी की शक्ति बढ़ता है फिर लोग खरीदारी करते है तो मार्केट ग्रोथ बढ़ता है। राहुल गांधी के खटाखट स्कीम से जहाँ आम जनमानस को लाभ होगा वही भारतीय बाजारों को भी लाभ होगा।

लेकिन उसका दूसरा पहलु पर जब विचार किया गया तो विशेषज्ञों के हाथ पैर फुल गए। दूसरा पहलु यह था कि जब किसी भी जनमानस को मुफ्त मे वेतन मिलने लगे तो सबसे पहले वह काम करना छोड़ देता है। काम छोड़ देगा यानि कि कई प्रकार के गतिविधियाँ बंद कर देगा। उसका 8500 खटाखट मिलेगा तो कमाने की जरुरत क्या है। अब यह मत कहियेगा की महिलाओं को मिलेगा पुरुष को नही। जब महिलाओं को मिल ही रहा है तो पुरुष भी क्यों कमाने जायेगा। कहते है न जब घर मे मिले खाने को तो कौन जाये कमाने को। जब लोग कमाने के लिए नही निकलेंगे तो भारत के उत्पादन क्षमता कम हो जायेगा और खरीदारी क्षमता ज्यादा तो जाहिर सी बात है कि लोग चाईनीज माल खरीदेंगे। आपको बता दे कि यही तो चाईना का गेम प्लान है। लगातार शेयर मार्केट को गिराने की कोशिश भी इसी का पार्ट बी है। जाहिर सी बात है कि जब हमारे उत्पादन क्षमता कम होंगे। यानि कि इंडस्ट्रीज बंद होंगें तो उसका फायदा चाईना को होगा। इंडस्ट्रीज चलेंगे नही तो सरकार को राजस्व भी प्राप्त नही होंगे। करोड़ो लोग जो किसी न किसी प्रकार से कमाकर खाने की इच्छा रखते है उनके नौकरी को खतरा उत्पन्न होगा। एक तरफ खजाना खाली खटाखट स्कीम को चलाने मे दूसरी तरफ राजस्व की प्राप्त नही होगा । तीसरी बात भारतीय बाजारों पर चाईना का कब्जा होगा। हमारे एक्सपोर्ट भी कम हो जायेंगे। भारत कंगाल और चाईना मालामाल हो जायेगा। अराजक स्थिति पैदा हो जायेगा जैसा कि कभी बंगाल मे वामपंथियों के द्वारा रचित साजिश के कारण हुआ था और आज भी है।

भारत के उत्पादन क्षमता बढ़ने से सबसे ज्यादा अगर किसी को नुकसान हो रहा है तो वह है चाईना। चुनाव रिजल्ट के अगले दिन से लगातार शेयर बाजार पर राजनीतिक हमले किए जा रहे है, लगातार लोगों मे शेयर बाजार को लेकर भ्रम फैलाने का काम भी किया गया लेकिन उसके बाद भी शेयर बाजार का दनादन बढ़ना. और उससे पड़ोसी देश के शेयर बाजार पर पड़ने वाली असर से हमारे देश के राजनीतिक दल पीड़ित होना तो स्वाभाविक है। उसमे मे भी वह लोग ज्यादा पीड़ित है जो गेम प्लान मे शामिल है। ऐसा नही है कि सब शामिल है लेकिन कुछ लोग जाने अनजाने मे भी इसका हिस्सा है।। खटाखट स्कीम हो या फिर दूसरे तरह के स्कीम। मोदी के फ्रि राशन ने भी गरीब किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। खेत से अनाज उठाने या फिर खेत मे अनाज बोने के लिए उनको खेतिहर मजदूर नही मिल रहे है या मिल रहे है तो इतने ज्यादा डिमांड होता है कि किसान खेत मे ही फसल छोड़ना उचित समझता है।

एक बात और है जो उन वोटर को समझने की जरूरत है। कोई भी पार्टी कोई भी सरकार जो मुफ्त बांटने की स्कीम चलाती है। उसका लाभ किसे मिलता है और उसका नुकसान किसे है। वोटर तो उस भेड़ों की श्रेणी है जो अपने ही बाल के कंबल पाकर मिमियाने लगते है कि उनको कंबल मिलेगा। लेकिन उनको पता नही कि कंबल बनाने के लिए उनके ही बाल खीचे जायेंगे और उसी से कंबल बनेगा उस सबसे पहला हक नेताओं का होगा। खराब माल उनको बांटे जायेंगे।

हाल ही मे कर्नाटक के राज्य सरकार जो कि कांग्रेस के है पेट्रोल पर 3 रुपये से 5 रुपये तक बढ़ा दिया। पेट्रोल डीजल पर कीमतो का बढ़ना यानि कि सभी जरुरी सामानों की कीमत बढना होता है जो कि आम जीवन मे जरूरी है। रेट बढ़ाने के सवाल पर बताया गया कि चुनाव मे जो घोषणा हुई थी स्कीम उसको पूरा करने के लिए पेट्रोल डीजल के दाम बढाए गए है। बस मे फ्रि यात्रा के लिए जो वादा किया गया था वह लागु तो है लेकिन हालत यह है कि राज्य सरकार के पास मे न बस है और नही तो बस की मरम्मत कराने के लिए पैसे। जो बस है भी वह भी खराब हो रहे है जर-जर हो रहे है।

अगर हम मुफ्त के रेवरी के बांटने की बात करें तो हमे दिल्ली सरकार और उसके द्वारा दिल्ली के जनता को दिए जा रहे फ्री के बिजली पानी पर भी बात करना होगा। दिल्ली सरकार फ्री पानी दे रही है लेकिन लोगों तक पहुँच नही रहा है। सरकार पानी पहुँचाने के उचित प्रबंध करने के बजाय हरियाणा सरकार पर आरोप लगाकर धरना प्रदर्शन कर रही है और मिनरल वाटर पी रही है। धरना प्रदर्शन के दौरान ही दिल्ली के बस मार्शलों ने हमला बोल दिया जिनका नौकरी बस मे फ्रि यात्रा करवाने के कारण गयी है। सरकार के पास वेतन देने के लिए पैसे नही है लेकिन मुफ्त के स्कीम जारी है। इसी प्रकार एक दिन सरकार के खजाने मे पैसे नही होंगे और आप 8500 के लिए लंबी लाइन मे लगे होंगे जो कि नोटबंदी से भी बड़ी लाइन होगी। गैस की लंबी लाइन होंगी। पानी की लंबी लाइने होंगी ।