समाज जागरण वाराणसी ब्यूरो
• 6 महीने तक एक दूसरे के यहां जाकर शोध कर सकेंगे बीएचयू व आईआईटी-मद्रास के शोधार्थी व शिक्षक
वाराणसी, अपने विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए विकास के नए अवसर पैदा करने हेतु प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ सहयोग की दिशा में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास, के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। समझौते पर कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन तथा आईआईटी-मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने हस्ताक्षर किये, जिससे दोनों संस्थानों के बीच औपचारिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त होगा। इस समझौते से दोनों संस्थानों के पीएचडी शोधार्थियों व शिक्षकों का आदान प्रदान होगा और वे 6 महीने तक एक दूसरे के यहां जाकर शोध गतिविधियां कर सकेंगे।
भारत सरकार की आईओई योजना के तहत उत्कृष्टता संस्थान का दर्जा प्राप्त बीएचयू तथा आईआईटी-मद्रास, अनुसंधान सुविधाओं व ढांचे के साझा प्रयोग पर भी सहमत हुए हैं। इससे बीएचयू के अनुसंधानकर्ताओं को आईआईटी-मद्रास में जा कर तथा आईआईटी-मद्रास के शोधार्थियों को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में आकर एक दूसरे की विशिष्ट सुविधाओं व प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल करने में सहूलियत होगी। यह एमओयू विज्ञान, अभियांत्रिकी, कला, चिकित्सा, कृषि, मानविकी तथा अंतर्विषयक क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहित करेगा। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए उत्कृष्टता व सफलता के नए अवसर पैदा करने हेतु अग्रसर है। कुलपति जी ने कहा, “हम अपने विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए नए अवसर सृजित करने के लिए अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ साझेदारी के इच्छुक हैं। यह एमओयू हमारी इसी प्रतिबद्धता को परिलक्षित करता है। आईआईटी मद्रास भारत के सबसे प्रतिष्ठित तथा तेज़ी से आगे बढ़ रहे संस्थानों में से एक है और ऐसे संस्थान के साथ एक मज़बूत साझेदारी करना हमारे लिए खुशी की बात है।”आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने कहा,आईआईटी मद्रास का अंतर्विषयक शिक्षा पर विशेष ज़ोर है, ऐसे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के साथ यह साझेदारी संगीत, भाषाओं, दर्शन से लेकर विज्ञान व प्रौद्योगिकी तक में संयुक्त अध्ययन के कई नए मार्ग प्रशस्त करेगी। देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक बीएचयू के साथ इस समझौते को लेकर हम काफी उत्साहित हैं।”
इस समझौते की अवधि पांच वर्ष की है और इस दौरान विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा शोध को प्रोत्साहित करने के अन्य अवसरों को भी तलाशा जाएगा।