नोएडा: सड़को पर लगाकर कार, 20 करोड़ डकार गए ठेकेदार।

समाज जागरण

पिछले तीन साल से नोएडा के सड़को पर पार्किंग के नाम से वसूली करने वाले ठेकेदार अब माननीय न्यायालय के शरण में पहुँचा है उम्मीद है कि माननीय न्यायालय समाज के इस प्रतिष्ठित वर्ग का ध्यान रखते हुए पूरी सहुलियत मुहैया कराने या फिर से ठेकेदारी बहाल करने के आदेश देंगे। जैसा कि देखा जाता है कि न्यायालय में न्याय के नाम पर सिर्फ शरीफ और गरीब आदमी परेशान होते है या फिर छोटे मोटे मामले में पकड़े अपराधी को ही सजा भुगतना पड़ता है।

जिसनें 20 करोड़ रुपये प्राधिकरण के डकार लिया हो वह 1 करोड़ में वकील के पूरी टीम माननीय न्यायालय में खड़ी करेगा और जीत उसके पक्ष में। प्राधिकरण के साथ सुथरे छवि के बारे में तो माननीय न्यायालय ने पहले भी टिप्पणि कर चुका है, कि प्राधिकरण के तो “नाक, कान ही नही बल्कि पूरे चेहरे से भ्रष्टाचार टपकता है।” तीन साल बाद पता चला है कि सड़को पर पार्किंग के नाम पर पैसे वसूलने वाले ठेकेदारों नें प्राधिकरण को चवन्नी तक नही दिया है और पूरे 20 करोड़ डकार गया है। आखिर तीन साल तक पैसे वसूली क्यों नही किया गया जबकि यह नकद का बिजनेस है। यह 20 करोड़ की जिम्मेदारी किसकी है और जबाब कौन देगा आम जनता को।

बताते चले कि नोएडा प्राधिकरण के द्वारा विभिन्न सर्किल में पार्किंग ठेका दिया गया था जिसका अवधि 30 नवंबर को समाप्त होने जा रही है। तीन साल पार्किंग के नाम पर वसूले जा रहे शुल्क पार्किंग ठेकेदारों नें अपने जेब में रख लिया है और प्राधिकरण को ठेंगा दिखा दिया है। अब जबकि 30 नवंबर को ठेका समाप्त होने की अवधि है तो ठेकेदारों नें न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है ताकि ठेकेदार बहाल रहे। इसी को कहते है उल्टे चोर चौकीदार को डांटे। अभी तक प्राधिकऱण को शुन्य देने वाले वाले ठेकेदारों के हौसले इतने बुलंद है इसका तो किसी को अंदाजा भी नही था।

30 नवंबर को 54 पार्किंग सरफेस के लिए पुन: टेंडर होना है, लेकिन पिछले टेंडर का पैसा वसूलने में नाकामयाब रहे ट्रैफिक सेल के पास में वसूली करने का कोई भी रोडमैप नही है। संभवत: 30 नवंबर को फिर से इन 54 पार्किंग स्थलों को किसी न किसी ठेकेदार को सौप दिये जायेंगे।

हालांकि नोएडा ट्रैफिक सेल के वरिष्ठ प्रबंधक एएस शर्मा नें बताया है कि बकाया जमा नही करने वाले ठेकेदारों को काली सूची में डाल दिये जायेंगे ताकि किसी भी हालात में इनको फिर से पार्किंग का ठेका नही मिल सके। लेकिन यहाँ यह भी समझना जरूरी है कि आखिर तीन सालों से नोएडा प्राधिकरण के जिम्मेदार अफसर कर क्या रहे थे ? कुल मिलाकर अगर यह देखा जाय तो यह मामला भी टवीन टावर के जैसा ही है जहाँ 24 मंजिल के बजाय 40 मंजिल का बिल्डिंग बना दिया गया और जिम्मेदार अधिकारी अफसर ताश के पता खेलते रहे। तीन साल तक कमाई करवाने के बाद अब प्राधिकरण ठेकेदारों को काली सूची में डाले या लाल में 20 करोड़ की वसूली होना अब संभव नही है।

बताते चले कि नोएडा प्राधिकरण के इसी ढुलमूल रवैया के कारण कई मार्केट सूना-सूना लगता है। आखिर कौन गाड़ी पार्किंग करके जायेगा दुकान में 10 मिनट के लिए 50 रुपये खर्चा करके। कम से कम सामान्य लोग तो जाने से बचेंगे ही।

नोएडा के वरिष्ठ नागरिक व अधिवक्ता श्री अनिल के गर्ग ने इसे बहुत बड़ा घोटाला बताया है। उन्होनें अपने टवीटर हैण्डल के माध्यम से किए टवीट में लिखा है कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है जो कि आदतन भ्रष्ट् प्राधिकरण के आफिसर ठेकेदारों के बीच में पैसे की बंदरबांट किया गया है लेकिन प्राधिकरण के पैसे के बारे में किसी ने भी ध्यान नही दिया। क्या तीन साल तक उनको पता नही चला है अब बता रहे है कि ठेकेदारों नें पैसे नही दिए है। यह तो बिल्डर के जैसा ही मामला है जो बना लिया बेच लिया लेकिन प्राधिकरण उससे पैसे नही ले पायी है जिसका खामियाजा घर खरीदारों को भुगतना पड़ रहा है।