फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर पांच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन

रिपोर्ट विकास शर्मा दैनिक समाज जागरण बिजनौर

नगीना ।कृषि विज्ञान केंद्र नगीना बिजनौर द्वारा दिनांक 19 से 23 सितंबर 2022 तक पांच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर किया गया। प्रशिक्षण के प्रथम दिवस मे निदेशक प्रसार सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के डॉ पी के सिंह द्वारा उद्घाटन करके किया गया। निदेशक प्रसार ने उपस्थित कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थिति और समय के अनुसार किसानों को अपनी आमदनी को सुरक्षित बनाए रखने के लिए कृषि विविधीकरण अपनाना जरूरी है, साथ ही साथ गांव में रोजगार परक विषय संबंधित जैसे मधुमक्खी पालन, गोपालन, बीज उत्पादन, केला की खेती, ड्रैगन फूड आदि नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करें।

केंद्र के वैज्ञानिक डॉ केके सिंह ने किसान साथियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में बायोफोर्टीफाइड प्रजातियों की खेती अधिक लाभप्रद होगी क्योंकि इससे अपने स्वास्थ्य में सुधार होगा साथ ही साथ इसकी बिक्री से अधिक आमदनी प्राप्त की जा सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि फसलो के अवशेषों को जलाने से होने वाले दुष्परिणामों का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है एवं कैसे बचा जा सके।

डॉ शकुंतला गुप्ता ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान साथियों फसल के अवशेषों का प्रयोग अपने आर्थिक समृद्धि के लिए कर सकते हैं जैसे उससे विभिन्न तरह के उत्पाद बनाए जा सकते हैं एवं फसल के अवशेषों पर मशरूम की गुणवत्ता युक्त खेती की जा सकती है।

वैज्ञानिक डॉ. शिवांगी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि फसलों के अवशेषों का गन्ने की खेती मे मल्चिंग के रूप में अच्छी तरह से उपयोग कर सकते है । अपनी फसल के अवशेषों के खेतों में अति शीघ्र डीकंपोज करने हेतु वेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग करें और वेस्ट डी कंपोजर को कैसे तैयार किया जा सकता है के बारे मे बताए साथ ही गन्ना सह फसल उत्पादन तकनीक की जानकारी दी।

डॉ. प्रतिमा गुप्ता ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान साथियों अपनी बागवानी की फसलों से उच्च उत्पादकता प्राप्त करने हेतु आप अब वैज्ञानिक तरीके अपनाएं और फसलों के अवशेषों को अपनी खेती में अवश्य मिलाएं ।
डॉक्. पिंटू कुमार ने किसानों को बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में धान की फसल में जो भी कीट बीमारी आ रही है उसका समेकित रूप से प्रबंधन करें साथ ही साथ है गन्ना बुवाई पूर्व बीज का शोधन अवश्य करें।

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ से आए हुए श सह प्राध्यापक डॉ यूपी शाही ने किसानों को मौसम में होने वाले परिवर्तन से संबंधित सूचना देने की जानकारी से अवगत कराया साथ ही साथ उन्होंने किसानों को कहा कि फसल के अवशेषों का अच्छी तरह से प्रयोग करके मृदा का स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है मृदा स्वास्थ्य संबंधित किसानों की जिज्ञासा को भी उनके द्वारा पूर्ण किया गया।

डॉ पी के सिंह सह प्राध्यापक कृषि विश्वविद्यालय मेरठ ने किसानों को बताते हुए कहा कि किसान भाइयों में जुताई से अपनी फसल अवशेष जैसे पराली गन्ने की पत्ती को कैसे खेत में समाहित कर सकते हैं उसकी तकनीकी के बारे में कुछ जानकारी दी साथ ही साथ उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान समय में फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित जो भी किसी यंत्र जैसे मंचर रोटावेटर का उपयोग किसान भाई आसानी से कर सकते है।
डा. के जी यादव ने किसानों को कहा कि किसान साथियों स्प्रिंकलर सिंचाई विधि से अपनी बागवानी फसलों में अच्छी गुणवत्ता युक्त खेती प्राप्त कर सकते हैं साथ ही साथ उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सजो भी अनुदान देय है उसके बारे में और सो कैसे किसान प्राप्त कर सकते हैं अपने विस्तृत रूप से बताया ।

जिला कृषि अधिकारी बिजनौर डॉ अवधेश कुमार मिश्र ने किसानों को कृषि में कैसे उनको समय पर कृषि से संबंधित इनपुट जैसे बीज खाद की उपलब्धता सुनिश्चित भारत व उत्तर प्रदेश सरकार की जाती है, साथ ही साथ आपने पीएम किसान सम्मान निधि में किसानों को कैसे लाभ लिया जा सकता है एवं किसानों को डीबीटी के माध्यम से कैसे सुविधाएं दी जाती है, उसको कैसे ले सकते हैं उसके बारे में साथ ही उन्होंने बताया । साथ ही साथ फसल अवशेष प्रबंधन संबंधित जो भी कृषि यंत्र हैं उत्तर प्रदेश भारत सरकार द्वारा जो भी सुविधाएं उस पर कितने पर्सेंट की छूट है कैसे उसको किसान दे सकते हैं इसके बारे में विस्तृत रूप से पूरी जानकारी दी गई।

एस. डी. एम. रीतू चौधरी जी ने प्रशिक्षण के अंतिम दिवस पर किसान साथियों को प्रमाण पत्र देकर के सम्मानित किया गया साथ ही साथ किसानो से आवाहन किया गया कि आप भविष्य में और होने वाले जलवायु परिवर्तन के साथ अपनी खेती में भी परिवर्तन करेंगे। उनसे यह अनुरोध किया गया कि आप अपने अपने क्षेत्र में जाकर के अन्य किसानों को भी फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकी के बारे में जागरूक करेंगे साथ ही उपस्थित सभी कृषकों को फसल अवशेष प्रबंधन संबंधित एक एक बैनर बोर्ड भी दिया गया जिससे वह अपने गांव के मुख्य रोड मार्ग पर लगाए ताकि अन्य किसान भी उसे पढ़कर के लाभान्वित हो सकें।