सुनील बाजपेई
कानपुर। यहां गोविंद नगर पुलिस द्वारा पीड़ितों की हर संभव सहायता के साथ ही मिलने वाली सूचनाओं पर अपराधियों के खिलाफ तत्काल प्रभावी कार्रवाई का सिलसिला लगातार जारी है ,जिसके क्रम में अतिरिक्त इंस्पेक्टर अभय सिंह के साथ ही पीड़ितों की सहायता और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में अग्रणी पुलिस इंस्पेक्टर्स में से एक गोविंद नगर के प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार सिंह की अगुवाई वाली टीम रतनलाल नगर के चौकी प्रभारी मनीष चौहान, गोविंद नगर के चौकी प्रभारी शिवा सिंह और सब इंस्पेक्टर सूरज कुमार द्वारा नाबालिक बच्चों को बेचने और उनसे काम कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर संबंधित सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने, ट्रेन से जा रहे अपराधी को जान जोखिम में डाल कर अदम्य साहस के साथ कार से डेढ़ सौ किलोमीटर तक पीछा करके गिरफ्तार करने, चौकी प्रभारी शिवा सिंह ,सब इंस्पेक्टर रेलवे कॉलोनी अमित फौजदार ,कांस्टेबल नीलम सिंह और अनुराग शुक्ला की टीम द्वारा ही नंदलाल चौराहे के पास भाजपा नेता विकास दुबे के मकान में हुक्काबार संचालकों प्रियांशु दुबे और मोहनिस पांडेय उर्फ जीतू के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही सब इंस्पेक्टर सुदेश कुमार और उप निरीक्षक यूटी मनीष सिंह आदि की टीम द्वारा घर से लापता संजय नगर के लगभग 10 साल के नाबालिग बच्चे हनी उर्फ बंटा को 6 घंटे के अंदर ही सकुशल बरामद करने आदि की कानून और शांति व्यवस्था के पक्ष में अपराधों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई भी आम जनता से पुलिस की भूरि – भूरि सराहना भी करा रही है।
कुल मिलाकर इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार सिंह की नेतृत्व कुशलता वाले चिनौतीपूर्ण गोबिन्द नगर में नियुक्त चल रहे पुलिस वालों का परिश्रम योगी सरकार की मंशा के अनुरूप पीड़ितों के पक्ष में अपराधियों के खिलाफ सफल है। जहां तक किसी की भी किसी भी पद या स्थान पर नियुक्ति का सवाल है। इसके आध्यात्मिक पक्ष के मुताबिक स्थानांतरण या किसी भी पद पर नियुक्ति के रूप में आपके कदम धरती के उस स्थान पर भी पड़ते हैं ,जहां जन्म के बाद पहले कभी नहीं पड़े होते और उन लोगों से भी मुलाकात होती है ,जिनसे पहले कभी नहीं मिले होते।
खास बात यह भी कि किसी भी पीड़ित की परेशानी का निस्तारण संबंधित के प्रति दुआओं का भी सृजक होता है जो कि उसके जीवन में फलित भी अवश्य ही होती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी के प्रति भी दुआओं और बद्दुआओं के रूप में बोले गए शब्द कभी नष्ट नहीं होते। ….और अगर होते तो हमारी या किसी की भी मोबाइल से बात नहीं होती ,क्योंकि अजर, अमर, अविनाशी अक्षर से शब्द और शब्द से बने वाक्य ही लिखने, पढ़ने और बोलने के रुप में ही इस संसार का संचालन करते हैं। मतलब अगर कुछ लिखा न जाए , पढ़ा ना जाए या कुछ कहा और बोला ना जाए तो इस संसार का संचालन हो ही नहीं सकता।
इसी के साथ साधारण या फिर किसी सक्षम पद के रूप में पुलिस विभाग में सेवारत होना भी संसार के अन्य सभी पदों और विभागों की अपेक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि संसार के संचालन की ईश्वरीय व्यवस्था में जितनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका पुलिस विभाग की है, उतनी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका संसार के किसी अन्य विभाग अथवा किसी अन्य सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं , पुलिस विभाग में किसी भी पदधारक के रूप में यह महत्वपूर्ण भूमिका संसार में इंसान के जन्म के पहले शुरू होती है और मरने के बाद भी जारी रहती हैl यहां जन्म से पहले मतलब शिकायत पर इस आशय की जांच और विवेचना के रुप में कि पेट में बच्चा किसका है और मृत्यु के बाद भी इस आशय से कि हत्या किसने की है? मतलब जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक जैसी इतनी बड़ी भूमिका पुलिस के अलावा संसार के किसी भी विभाग या उसके सर्वोच्च पद धारक की भी कदापि नहीं है।
यही नहीं जन्म से लेकर मृत्यु तक के बीच के समय यानी जीवन को व्यक्ति के कर्मों के अनुरूप सुख या दुख में बदलने के साथ ही उचित पात्र लोगों के जीवन को बचाने और अपराध के रूप में जनहित के विपरीत आचरण करने वाले के जीवन को मृत्यु (मुठभेड़) के रूप में समाप्त करने की भी क्षमता , सक्षमता और समर्थता शरीर धारी के रूप में वह रखता है ,जिसे पुलिस कहते हैं।