मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा के शिक्षक प्रकोष्ठ में विचार एवं चिन्तन संगोष्ठी आयोजित
मधेपुरा ।
दुनियां में विषय वस्तु की जानकारी रखने वालों की संख्या लगभग 95 प्रतिशत है।लेकिन विषय वस्तु की समझदारी रखने वालों की संख्या मात्र पांच प्रतिशत ही है। झारखंड के रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संसाधन सेवी प्रो.जंग बहादुर पांडेय ने यह बात कही। प्रो.पांडेय सोमवार को मधेपुरा महाविद्यालय मधेपुरा के शिक्षक प्रकोष्ठ में आयोजित विचार एवं चिन्तन संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
“आदर्श शिक्षक की कसौटी एवं अध्यापन कला” विषय को ले आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते प्रो. पांडेय ने कहा कि विद्वत्वं,दक्षता,शीलं, संक्रांति, अनुशीलता , सचेतत्वं एवं प्रसन्नता जैसे सात गुणों से लैश शिक्षक ही आदर्श शिक्षक माने जाएंगे।ऐसे में सभी शिक्षकों को इन बातों की पूरी समझदारी होनी चाहिए। विषय वस्तु की जानकारी रखने मात्र से शिक्षक विद्वान शिक्षक नहीं कहला सकते हैं।जरूरी है विषय वस्तु की जानकारी के साथ साथ उन्हें उक्त विषय वस्तु की समझदारी भी होनी चाहिए।
प्रो. जंग बहादुर पांडेय वर्तमान में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहकर भारत ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी जाकर अपना ब्याख्यान प्रस्तुत करते रहे हैं।उन्होंने अब तक 15 से अधिक देशों में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में दौरा कर अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर चुके हैं।उन्होंने जोर देकर कहा कि आदर्श शिक्षक न केवल गुरू होते हैं।बल्कि पूजनीय भी होते हैं।ऐसे में सभी शिक्षकों को आदर्श शिक्षक बनने का प्रयास करना चाहिए।संगोष्ठी की अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो.सीताराम शर्मा ने की।जबकि धन्यवाद ज्ञापन मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा के उपाचार्य डा. भगवान कुमार मिश्रा ने की।संगोष्ठी में अन्य शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के अलावे प्रमुख रूप से प्रो.मनोज भटनागर, प्रो. बिजेन्द्र मेहता, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. ब्रजेश कुमार मंडल आदि उपस्थित थे।
“आदर्श शिक्षक की कसौटी एवं अध्यापन कला” टॉपिक पर प्रो.जंग बहादुर पांडेय ने बताए टिप्स
मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा के शिक्षक प्रकोष्ठ में विचार एवं चिन्तन संगोष्ठी आयोजित
मधेपुरा ।
दुनियां में विषय वस्तु की जानकारी रखने वालों की संख्या लगभग 95 प्रतिशत है।लेकिन विषय वस्तु की समझदारी रखने वालों की संख्या मात्र पांच प्रतिशत ही है। झारखंड के रांची विश्वविद्यालय अंतर्गत हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संसाधन सेवी प्रो.जंग बहादुर पांडेय ने यह बात कही। प्रो.पांडेय सोमवार को मधेपुरा महाविद्यालय मधेपुरा के शिक्षक प्रकोष्ठ में आयोजित विचार एवं चिन्तन संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
“आदर्श शिक्षक की कसौटी एवं अध्यापन कला” विषय को ले आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते प्रो. पांडेय ने कहा कि विद्वत्वं,दक्षता,शीलं, संक्रांति, अनुशीलता , सचेतत्वं एवं प्रसन्नता जैसे सात गुणों से लैश शिक्षक ही आदर्श शिक्षक माने जाएंगे।ऐसे में सभी शिक्षकों को इन बातों की पूरी समझदारी होनी चाहिए। विषय वस्तु की जानकारी रखने मात्र से शिक्षक विद्वान शिक्षक नहीं कहला सकते हैं।जरूरी है विषय वस्तु की जानकारी के साथ साथ उन्हें उक्त विषय वस्तु की समझदारी भी होनी चाहिए।
प्रो. जंग बहादुर पांडेय वर्तमान में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहकर भारत ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी जाकर अपना ब्याख्यान प्रस्तुत करते रहे हैं।उन्होंने अब तक 15 से अधिक देशों में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में दौरा कर अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर चुके हैं।उन्होंने जोर देकर कहा कि आदर्श शिक्षक न केवल गुरू होते हैं।बल्कि पूजनीय भी होते हैं।ऐसे में सभी शिक्षकों को आदर्श शिक्षक बनने का प्रयास करना चाहिए।संगोष्ठी की अध्यक्षता सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो.सीताराम शर्मा ने की।जबकि धन्यवाद ज्ञापन मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा के उपाचार्य डा. भगवान कुमार मिश्रा ने की।संगोष्ठी में अन्य शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के अलावे प्रमुख रूप से प्रो.मनोज भटनागर, प्रो. बिजेन्द्र मेहता, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. ब्रजेश कुमार मंडल आदि उपस्थित थे।