दैनिक समाज जागरण गौतम सिंह चौहान
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रामपुर मथुरा,सीतापुर
विकास खण्ड अंतर्गत आने वाली 79 ग्राम पंचायतों के विकास कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के लिए ग्राम पंचायत अधिकारियों की नवतैनाती में भी खण्ड विकास अधिकारी की मनमानी और भ्रष्टाचार की बू आ रही है। अभी कुछ दिन पूर्व हुए फेरबदल में किसी ग्रापं अधिकारी को 8-10 ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी दी गई है तो वहीं किसी को महज 2 ग्राम पंचायतों की।
ग्राम पंचायतों में विकास कार्यो को शाशन की मंशानुसार बेहतर तरीके से करवाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एक ग्राम पंचायत/ग्राम विकास अधिकारियों की तैनाती के प्राविधान बनाये गए थे। कुछ दिन तक यह प्राविधान प्रभावी रहा। आज की स्थिति पर यदि गौर करें तो पूरे विकास क्षेत्र की 79 ग्राम पंचायतों के लिए महज 15 ग्राम पंचायत/ग्राम विकास अधिकारी मौजूद है। इस लिहाज से प्रत्येक ग्राम सचिव पर कम से कम 5-6ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी देने की खण्ड विकास अधिकारी की मजबूरी है। किंतु वर्तमान में ग्राम सचिवों के कार्यक्षेत्रों में किये गए बदलावों पर नजर डाले तो सेक्रेटरी अभय मौर्य के पास 10, रक्षित कुमार के पास 8, दिलीप सिंह,आशीष कुमार व संतोष कुमार के पास 7-7, मेहुल कुमार,शशिकांत तिवारी व मनोज कुमार के पास 6-6, सजीव गुप्ता के पास-5, भीखूराम, नरेंद्र कुमार व शीलम के पास 4-4, आलोक कुमार के पास 3 व रोहिणी शुक्ला के पास मात्र 2 ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी दी गई है। इतनी बड़ी संख्या में ग्राम पंचायतों का बिना किसी अनुपात के आवंटन आखिर किस ओर इशारा कर रहा है? एक सेक्रेटरी क्या सभी ग्राम पंचायतों का विकास कार्य एक साथ देखने मे समर्थ होगा? यही स्थिति खण्ड विकास अधिकारी तथा ब्लॉक के मनरेगा कार्यो के लिए नियुक्त एपीओ की है। इस ब्लॉक में उक्त दोनों महत्वपूर्ण पद पर स्थायी रूप से कोई भी अधिकारी तैनात न होने से करीब एक वर्ष से विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित है। यहां अतिरिक्त प्रभारी के रूप में बिसवां के के ही बीडीओ ऐश्वर्य यादव व एपीओ तैनात है। दो ब्लाकों की जिम्मेदारी होने के कारण पूरे सप्ताह कहीं भी समय नही दे पाते है। विकास के दृष्टिकोण से अत्यंत पिछड़े रामपुर मथुरा ब्लॉक के लिए स्थायी बीडीओ व एपीओ की मांग यहां पर आए फरियादियों ने कई बार की है। वित्तीय कार्य में देरी से लेकर फरियादियों की समस्याए बढ़ती ही जा रही है।