रेंजर एसोशिएशन के आह्वान पर वनअमले के द्वारा जमा किए गए शासकीय अस्त्र-शस्त्र


शिवशंकर पाण्डेय जिला ब्यूरो

बालाघाट।0 9 अगस्त को वन परिक्षेत्र दक्षिण लटेरी खटियापराए जंगल में कुख्यात वन माफियाओं गिरोह के साथ सागौन की लकड़ी की तस्करी और अवैध कटाई को रोकने के लिए लटेरी के वनअमले और अपराधियों के मध्य हुई मुठभेड़ में कुख्यात अपराधी जिसके विरुद्ध पूर्व से प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन हैं की मृत्यु होने के कारण शासकीय कर्तव्य के दौरान वन सुरक्षा हेतु तैनात वनअमले पर राजनैतिक एवं शासन के दबाव के चलते विदिशा पुलिस प्रशासन के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से बिना न्यायिक जांच के वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर एफ आई आर दर्ज करके गिरफ्तारी उपरांत जेल अभिरक्षा में भेजा गया है |
जिसके कारण मध्य प्रदेश अंतर्गत वन विभाग के समस्त वन कर्मचारियों एवं वन अधिकारियों में व्याप्त रोष के चलते मध्य प्रदेश रेंजर एसोसिएशन ,और मध्य प्रदेश वन विभाग के अन्य बन संगठनों के आह्वान पर विरोध स्वरूप विगत दिवस उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रदाय किए जाने वाले प्रशस्ति पत्रों का बहिष्कार करते हुए ,
16 अगस्त को संपूर्ण मध्यप्रदेश में वन सुरक्षा हेतु प्रदाय अस्त्र-शस्त्र जो की संपूर्ण मध्यप्रदेश में वनविभाग के क्षेत्रीय वन कर्मचारियों और वन अधिकारियों को प्रदाय किए गए थे जिनके परिचालन ,और परिचालन के दौरान होने वाली घटना के संबंध में पर्याप्त संरक्षण वन विभाग के क्षेत्रीय वन अमले को प्रदाय नहीं किए गए हैं और न ही वनअमले को सशस्त्र वन बल घोषित किया गया है और न ही अस्त्र शस्त्र परिचालन के दौरान भारतीय दंड संहिता की धारा 45 एवं 197 के साथ-साथ इंडियन पेनल कोड की धारा 76 का पर्याप्त संरक्षण और अधिकार प्राप्त नहीं होने से शो-पीस के रूप में बन अमले को प्राप्त शासकीय अस्त्र-शस्त्र विरोध स्वरूप एवं आगामी समय में ऐसी घटनाएं घटित न हो कि सुरक्षा की दृष्टि से वन विभाग शासन कों वापस करने का निर्णय लिया गया है, जिसके दौरान मध्यप्रदेश में समस्त वन अमले के द्वारा शासकीय अस्त्र शस्त्रों को जमा किया गया |
शस्त्र जमा उपरांत शासन स्तर से वनों की सुरक्षा में संलग्न बन अमले को सुरक्षा हेतु पर्याप्त संरक्षण और नियम लिखित में प्राप्त नहीं होते हैं ,तो एक निश्चित अवधि के बाद संपूर्ण मध्यप्रदेश का समस्त वन अमला अपने कर्तव्यों से विरक्त होकर हड़ताल के लिए मजबूर हो जाएगा जिससे भविष्य में वन संपदा को होने वाली नुकसानी और हानि के लिए पूर्ण रूप से मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारी और मध्यप्रदेश शासन जवाबदार होगा।