कुछ यादें: काली मंदिर के गुंबद के टाइल्स के लिए सहाराश्री सुब्रतो राय ने अपने मित्र नानू बाबा को दिया था 75 हजार



-सहारा श्री सुब्रत राय और नानू बाबा दोनों एक साथ शुरू किए थे प्रारंभिक शिक्षा

– बाजार से सारा सामान लाकर नानू बाबा देते थे सुब्रतो राय की मां को

अररिया/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

प्रारंभिक शिक्षा की एक ऐसी दोस्ती होती है कि आगे चलकर कौन मित्र कौन क्या मुकाम हासिल करेगा यह तो आने वाला समय बताता है। मां खड्गेश्वरी महाकाली के साधक नानू बाबा और सहाराश्री सुब्रतो राय दोनों एक अररिया में प्रारंभिक शिक्षा शुरू किए थे।सहाराश्री सुब्रतो राय का अररिया में ननिहाल रहने के कारण उनका जन्म अररिया में ही हुआ। उनका प्रारंभिक शिक्षा अररिया में शुरू हुआ।मां खड्गेश्वरी महाकाली के साधक नानु बाबू प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद भी साथ में क्या करते थे। नानू बाबा और सुब्रतो राय दोनों की दोस्ती इस कदर थी कि फुटबॉल खेलकूद, लॉन्ग,जंप हाई जंप में एक साथ रहा करते थे। इतना ही नहीं बल्कि ठाकुरबाड़ी में जब दुर्गा पूजा कार्यक्रम होता था तो  दोनों मित्र नाटक में भाग भी लिया करते थे। सुब्रतो राय की मां नानू बाबा को बहुत प्यार किया करते थे। जिस कारण घर का सारा सामान नानू बाबा लाकर कर देते थे। सुब्रतो राय को खाने में क्या पसंद था यह भी उनकी मां नानू बाबा से ही पूछा करते थे। हालांकि 10 साल उम्र होने के बाद वह अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोलकाता में शिफ्ट हो गए। 1990 में सहारा श्री बहुत बड़ा मुकाम हासिल कर चुके थे। जहां उन्होंने अररिया आए अररिया आने के बाद उन्होंने नानू बाबा अपने अ मित्र नानू बाबा से मिलकर मिलकर काफी खुश हुए। जहां मंदिर निर्माण के लिए 75 हजार राशि भी अपने मित्र नानू बाबा को दिए।

*सुब्रत राय और नानु बाबा दोनों थे परम मित्र*

सुब्रत राय नानू बाबा दोनों परम मित्र थे। दोनों के प्रारंभिक शिक्षा अररिया में ही हुआ। नानू बाबा मां काली के साधक बनकर अररिया नाम विश्व में लहरा रहे है।वही सहारा श्री भी बिजनेस करके भारत में करोड़ों लोगों को नौकरी देकर अररिया जिला का नाम विश्व में लहरा रहे है। नानू हुआ बताते हैं कि सहारा श्री सुब्रत राय 2000 रुपये से लेकर अपना बिजनेस को आरंभ किया था। हालांकि प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही हमें भगवान से काफी गहरा लगाव था। सुब्रतो राय भी हमें बराबर कहा करता था कि तुम भी मेरे लिए भगवान से प्रार्थना करो। नानू का बताते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा के साथ में एक साथ खेलते भी थे। दोनों में काफी झगड़ा भी हुआ करता था लेकिन फिर शाम में एक साथ हो जाते करते थे।

*1990 में अररिया आए थे सहारा श्री सुब्रत राय*

1990 में सहारा श्री सुब्रत राय बिजनेस के मामले में एक अपना नाम भारत में फैला रहा था।1990 मे सुब्रत राय अपना जन्मभूमि अररिया पहुंचे। जहां अपने परम मित्र मां खड्गेश्वरी महाकाली के साधक परम पूज्य नानू बाबा से मिले। उस समय काली मंदिर का पुराना गुंबद तैयार भी नहीं हुआ था। नानू बाबा से सुब्रतो राय ने अपनी मित्र नानू बाबा से कहा मंदिर के लिए मेरे लिए क्या आदेश है तुम कहो। तब नानू बाबा ने कहा गुंबद में टाइल्स लगाना है। तुम इसमें मदद कर सकते हो। इस दौरान उन्होंने मिस्त्री को बुलाया और टाइल्स का खर्च 75000 बताया। जहां उन्होंने लखनऊ पहुंचने के बाद बाबा के अकाउंट में 75000 भेज दिए। इसके बाद टाइल्स लगाने का कार्य  काली मंदिर में पूरा किया गया।

*खेल और नाटक में मशहूर थे सुब्रत राय*

नानू बाबा के साथ जब सुब्रत राय बचपन में फुटबॉल खेलते थे। तब दोनों खिलाड़ी काफी मशहूर हुआ करता था। अररिया की जनता भी दोनों को काफी प्यार करते थे। अररिया ठाकुरबाड़ी मंदिर में जब दुर्गा पूजा हुआ अन्य पूजा में नाटक का कार्यक्रम हुआ करता था। उस समय दोनों नाटक में भी भाग लेते थे। दोनों का नाटक देखने के लिए दूर-दराज से लोग भी आया करता था। हालांकि दोनों उसे समय बचपन की जिंदगी बिता रहे थे।नानु बाबा को खेल के साथ-साथ भगवान की सेवा काफी पसंद था। जबकि सुब्रत राय को पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें बड़ा बिजनेस करने का शुरू से ही काफी शौक था। जिस कारण उन्होंने लगभग 10 साल की उम्र में ही अररिया छोड़कर कोलकाता में शिफ्ट हो गए।