उनके परिवार जनों ने उनकी त्याग को याद कर भावुक हुए।
बिहार के गया जिले के इमामगंज प्रखंड तहत पंडरिया ग्राम निवासी स्वर्गीय मंगल प्रसाद सिंह की पुत्रवधू सावित्री देवी की आज ब्रह्मभोज कार्यक्रम संपन्न हो गई । इस बीच एक अजीबो गरीब घटना हुई । जब ब्राह्मण भोजन कर खुद को भोजन तथा सावित्री देवी की बड़ी पुत्री सच्ची सिंह द्वारा ब्रह्मणों को थाली ,गमछा के साथ दक्षिणा से भरपूर कर सम्मान और प्यार से भोजन कराया । गर्मी अत्यधिक थी मगर ब्राह्मण इतना प्यार ,सम्मान, आदर ,सत्कार का व्यंजन खाकर भोजन से इतने तृप्त हुए उनकी तृप्ति सावित्री देवी को स्वर्ग लोक ले जाने को देवी देवताओं को मजबूर कर दी ।तभी तो अपने बाल बच्चों तथा वंशजों को अपनी आत्मा को अंतिम यात्रा जो स्वर्ग लोक जगह पाकर समाप्त हो जाती है जाते वक्त ऐसा आशीर्वाद की घड़े उड़ेलने लगी मानो मामूली घड़े से महासागर फुहारे बनकर बारिश के रूप में पूरी ग्रामीण वासियों को अपनी ममता , सुकून की गोद में ले लिया ।
मौसम ने भी इसका साथ भरपूर दिया । देख लो ना यार संघर्षों की एवरेस्ट पारकर ही सावित्री देवी स्वर्ग लोक अपने पति स्वर्गीय मदन सिंह को भी साथ ले गई ।नारी की तड़प पति के लिए जीवन के अंतिम पड़ाव पर यह सुख दिखाती ही है रामायण इसका जीता जागता प्रमाण है। नारी की मृत्यु को कुचलने वाला रावण भी अपनी पत्नी के पति के लिए तड़प ही थी कि उसकी अमानवीय क्रूरता के उपरांत भी स्वर्ग लोग मिला। ढाई सौ थाली , गमछा का वितरण सावित्री देवी की पुत्री सच्ची सिंह के कर कमलों से हुई । सच्ची सिंह की तत्कालीन झारखंड के चतरा जिले के सोहर ग्राम की प्रतिष्ठित जमींदार खानदान में शादी हुई है ।वह दान में इतनी भावुक थी कि उस घड़ी उससे अगर कोई उनकी जान भी मांग ले उस जान को भी वह छोटा ही समझ बस दे दे। दरिद्र नारायण की भारी-भरकम संख्या भी उस परिवार को उबाया नहीं वरन अपार खुशी दी । ग्रामवासी, परिवार वाले ,गोतिया जनों ,इलाके के गणमान्य सज्जनों ने भी सावित्री देवी के भोज का प्रसाद खाया एवं उनके जैसी कर्मठ सती नारी के चरित्र पर प्रकाश डाल उनसे आशीर्वाद मांगी।कल कुलदेवता को पिंड देकर बरखी रस्म है कार्यक्रम देर रात सज्जनों के आने तक चलती रही ।