सिकटी विधायक सह पूर्व मंत्री विजय मंडल ने बटराहा नंदकेशर पोखर पर उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य, छठ पर्व हर्षोल्लास के साथ संपन्न

सिकटी विधानसभा क्षेत्र के सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हुए विजय मंडल ने छठ पूजा के समापन पर उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया, ग्रामीणों में गहरी आस्था और उत्साह

कुर्साकांटा ।

प्रखंड क्षेत्र में चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। यह पर्व नहाय-खाय से शुरू होकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ शुक्रवार को समापन हुआ। इस दौरान प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न तालाबों और नदियों के किनारे छठव्रतियों ने सूर्य देवता को अर्घ्य दिया और अपनी समृद्धि, सुख, शांति और स्वास्थ्य की कामना की।

सिकटी विधायक विजय मंडल का सानिध्य
सिकटी विधानसभा क्षेत्र के विधायक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री विजय कुमार मंडल ने बटराहा स्थित नंदकेशर पोखर पर छठ पूजा के समापन अवसर पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान उन्होंने क्षेत्रवासियों के सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की। विधायक विजय मंडल ने कहा कि छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे इस पर्व के माध्यम से समाज में शांति और सौहार्द्र को बढ़ावा दें।

प्रखंड क्षेत्र में व्यापक उत्साह
इस बार के छठ पर्व को लेकर प्रखंड क्षेत्र में खासा उत्साह देखा गया। मुख्य रूप से खुटहरा स्थित बकरा नदी घाट, कुआड़ी स्थित बकरा नदी घाट, प्रखंड मुख्यालय स्थित सरकारी तालाब घाट, मरातीपुर स्थित शर्मा जी का तालाब घाट, कपड़फोड़ा स्थित भलूआ नदी घाट और बड़जान नदी घाट पर हजारों छठव्रतियों ने सूर्य देवता की पूजा अर्चना की। इन स्थानों पर श्रद्धालुओं ने न केवल उगते सूर्य को अर्घ्य दिया, बल्कि उनकी शुभकामनाओं और आशीर्वाद से अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना भी की।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की सतर्कता
इस बार के छठ पर्व में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष ध्यान दिया गया था। प्रखंड क्षेत्र के गहरे पानी वाले घाटों जैसे कि बकरा नदी और कुआड़ी नदी के किनारे सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। कुआड़ी थानाध्यक्ष रौशन कुमार सिंह और एसएसबी 52 वीं बीओपी के इंस्पेक्टर उमेश कुमार अपनी टीम के साथ घाटों पर तैनात रहे। गोताखोरों और रेस्क्यू टीम की मौजूदगी के कारण श्रद्धालुओं में सुरक्षा का अहसास था, जिससे किसी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सका।

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