दैनिक समाज जागरण
विश्व नाथ त्रिपाठी
प्रतापगढ़। जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी जी की अध्यक्षता में कल सायंकाल कैम्प कार्यालय के सभागार में जनपद स्तरीय निराश्रित गोवंश की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 प्रदीप कुमार ने बताया कि जनपद में 59 अस्थायी गौशाला है जिनमें 12397 गोवंश, 06 वृहद गो-संरक्षण केन्द्र जिनमें 1623 गोवंश, 05 कान्हा गौशला जिनमें 1132 गोवंश, 08 कांजी हाउस जिनमें 303 गोवंश संरक्षित किये गये है तथा 05 पंजीकृत गौशाला में 185 गोवंश संरक्षित है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अन्तर्गत प्राप्त लक्ष्य 2065 के सापेक्ष कुल 2254 गोवंश कृषकों/पशुपालकों को सुपुर्द किये गये है। उन्होने बताया कि निर्माणाधीन 04 वृहद संरक्षण केन्द्र क्रमशः अमांवा (विकास खण्ड लालगंज), नरायनपुर (लक्ष्मणपुर), पहाड़पुर (लालगंज) व ढिंगौसी (रामपुर संग्रामगढ़) है जिनमें से अमांवा वृहद संरक्षण केन्द्र का निर्माण पूर्ण हो गया है लेकिन अभी तक हैण्डओवर नही हुआ है जिस पर जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि 15 दिन के अन्दर अमांवा वृहद संरक्षण केन्द्र को हैण्डओवर किया जाये तथा अन्य निर्माणाधीन वृहद संरक्षण केन्द्रों को गुणवत्तायुक्त ढंग से पूर्ण कराया जाये। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि जिन तहसील/विकास खण्डों में वृहद गो-संरक्षण केन्द्र का निर्माण नही कराया गया है वह तत्काल भूमि का चिन्हांकन/सीमांकन कराते हुये निर्माण कार्य कराना सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत को निर्देशित किया कि जनपद में स्थापित/संचालित समस्त गांजी हाउस को माडल रूप में विकसित करें। सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि जनपद के समस्त तहसीलों/विकास खण्डों/नगर पंचायतों में कैटल कैचर की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
बैठक में जिलाधिकारी द्वारा अस्थायी गौशाला, वृहद गो-संरक्षण केन्द्र, कान्हा गौशाला, कांजी हाउस की विस्तृत समीक्षा की गयी। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि जनपद के प्रत्येक विकास खण्डों में कम से कम 4-4 अस्थायी गोवंश आश्रय होना आवश्यक है जिन ब्लाकों में 4 अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल नहीं है वहां पर अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की संख्या बढ़ायी जाये। जिलाधिकारी ने कान्हा गौशाला के सम्बन्ध में मुख्य राजस्व अधिकारी से कहा कि जिन नगर पंचायतों में कान्हा गौशाला का निर्माण नहीं कराया गया है वहां तत्काल भूमि का चिन्हांकन करते हुये कान्हा गौशाला का निर्माण कार्य कराया जाये। उन्होने निर्देशित किया कि जनपद में स्थापित/संचालित गोवंश आश्रय स्थलों में मनरेगा योजना के द्वारा बायोफेन्सिंग का कार्य पूर्ण कराया जाये। निराश्रित गोवंश की समीक्षा में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा पूर्ण तैयारी के साथ प्रतिभाग न करने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुये निर्देशित किया कि अगली बैठक में बिन्दुवार पूर्ण तैयारी के साथ उपस्थित हो।
जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया कि जिन चारागाहों की जमीनों पर अतिक्रमण किया गया है उसे खाली कराने के लिये सम्बन्धित उपजिलाधिकारियों को जिलाधिकारी के माध्यम से पत्राचार कर चारागाह की जमीनों को खाली करायें तथा वहां पर हरे चारे की बुवाई करायी जाये। चारागाह की जमीनों पर यदि किसी गरीब की झोपड़ी है तो जब तक उसके रहने की वैकल्पिक व्यवस्था न करा दी जाये तब तक उसे न हटाया जाये इसका विशेष ध्यान दें। जिला कृषि अधिकारी को निर्देशित किया गया कि चारागाहों की जमीनों के मिट्टी की जांच करायी जाये जिससे पता चल सके कि किस हरे चारे की बुवाई की जा सकती है और उसके अनुरूप ही जई, नेपियर, सरसो आदि की बुवाई करायी जाये। जिलाधिकारी ने कहा कि गौशालाओं के लिये जनसहयोग भी लिया जाये जिसके लिये बड़े व्यापारियों, समाजसेवियों की सूची बनाकर उसकी बैठक करायी जाये तथा गाय के महत्व के बारे में बताया जाये। खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि गाइडलाइन के अनुसार अपने-अपने क्षेत्र की गौशालाओं का प्रत्येक माह निरीक्षण अवश्य करें। गौशालाओं में निर्धारित क्षमता के अनुसार ही गोवंशों को संरक्षित किया जाये, क्षमता से अधिक गोवंशों को गो आश्रय स्थलों में न रखा जाये इस पर विशेष ध्यान दें। उन्होने यह भी निर्देशित किया कि जिन गौशालाओं में गोवंश कम है वहां पर अधिक गोवंश वाली गौशालाओं से गोवंशों को लाकर रखा जाये। जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, खण्ड विकास अधिकारियों, पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी अधिकारी अपने अपने कार्यो एवं दायित्वों का पूरी निष्ठा, ईमानदारी एवं लगन के साथ कार्य करें। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी डा0 दिव्या मिश्रा, मुख्य राजस्व अधिकारी अजय तिवारी, परियोजना निदेशक डीआरडीए दयाराम यादव सहित खण्ड विकास अधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी व अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित रहे।