दैनिक समाज जागरण
विश्वनाथ त्रिपाठी
प्रतापगढ़। खेती के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है। सिंचाई के साधन में इस समय नहर और नलकूप ही मौजूद हैं । जब से सरकार ने सिंचाई माफ कर दिया तब से नहरों की हालत खस्ता है ।समय पर पानी किसानों को नहीं मिलता यदि कभी कभार मिलता है तो टेल तक नहीं पहुंच पाता क्यों कि मानों व रजबहों कि सफाई होती ही नहीं कभी हुई तो केवल कागज तक।कुंडा तहसील में शारदा सहायक नाम से बड़ी नहर है जिसका पानी बनबसा बंधा बरेली से चलकर जौनपुर जनपद तक पहुंच ता है ।क्षेत्र की प्रतिष्ठित नहरों में है जो सैकड़ों किमी लंबी होने के कारण की जिलों को हरा-भरा बनाती रही है लेकिन इससे निकलने वाली छोटी छोटी नहरें विभागीय उपेक्षा से टेल तक पहुंचते पहुंचते नाली में तब्दील होने लगी हैं । कस्तूरी पुर से निकलने वाले महत्वपूर्ण इलाहाबाद रजबहा था अब वह सरकार द्वारा नाला घोषित कर दिया गया है जिससे उसमें बहुत कम पानी छोड़ा जाता है वह भी खेती के समय पर नहीं।सैकड़ों बीघे जमीन सिंचाई हीन हो जाती है बिवश किसान नलकूप लगवाता है और मनचाही फसल उगाने में रुचि लेता है।
यही बिकल्प बना है सिंचाई का जिसका अंधाधुंध प्रयोग से रोक-टोक सिंचाई के लिए। हो रहा है । नलकूपों की सिंचाई पर निर्भर खेती जल स्तर को दिनों दिन नीचे ले जा रही है।पहले नदी नाले और तालाबों में पानी भरे रहते थे जो केवल पशु-पक्षियों के ही काम नहीं आते थे बल्कि सिंचाई आदि अन्य प्रयोगों के साथ गांव के जलस्तर को भी बनाए रखते थे।पानी कम बरसने से नदी नाले और तालाबों अपने अस्तित्व को लगभग खो चुके हैं और जल का अंधाधुंध दोहन से जलस्तर प्रतिवर्ष घट रहा है सरकार ने यदि प्रति बंध नहीं लगाया तो परिणाम भयावह होंगे ।
बता दें कि कुंडा तहसील मे अनेक ऐसे गांव हैं वहां जल स्तर बहुत ही करीब है केवल ४० फिट की गहराई में खूब पानी मिलता है जिसमें बिहार ब्लाक के चंदई का पूरा,कोइरानी,लालका पूरा,केड़वारी,सारी नाहर आदि गांव आते हैं जहां हर चक में बोरिंग मिल जाएगी जो तीन इंच डिलेवरी पानी की छोटी मोनो ब्लाक मोटर से करती है । नलकूप का बिल माफ होने से संख्या तो बोरिंग की बढ़ी ही साथ में अधिक जल दोहन भी बढ़ा जिससे जलस्तर और नीचा होता जा रहा है । जल स्तर के घटने से पेय जल संकट शीघ्र ही खड़ा हो जायेगा।