🔴बेबाक राय के साथ सामने आयी पिछड़े वर्ग की महिलाएं ।
बताया चुनावी नौटंकी व जुमलेबाजी का एक नया स्वरूप ।
दैनिक समाज जागरण संवाददाता, ठाकुरगंज (किशनगंज) :-
जहां एक तरफ महिला आरक्षण बिल को भारतीय संस्कृति अनुरूप नया नाम देकर सदन में लाने व उसे पास करवाने को लेकर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार अपनी पीठ स्वयं ही थपथपाने में व्यस्त हैं वही दूसरी तरफ विपक्ष में कांग्रेस मुस्तेदी के साथ भाजपा के इस क्रेडिट को नकारते हुए भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के प्रयास, सदन में उनके बयान के साथ-साथ लोकसभा की वर्तमान सदस्य सोनिया गांधी के अथक प्रयासों को सामने रखते हुए 33 फीसदी महिला आरक्षण बिल को अपने पार्टी की नीति व दूरदर्शिता से जोड़ रही है।

सत्तापक्ष व विपक्ष के इस विवाद से दूर हटकर पिछड़े वर्ग की जागरूक महिलाएं नरेन्द्र मोदी नीत केन्द्र सरकार के उक्त बिल में वर्णित तथ्यों व शर्त्तों के आलोक में इसे चुनावी नौटंकी करार देते हुए बेबाक रूप से आशंका जता रही है कि यह बिल भी इस केंद्र सरकार के पारंपरिक जुमलेबाजी का एक नया अवतार मात्र है।
पिछड़े वर्ग से सरोकार रखने वाले इन महिलाओं के बयान व आशंका इस प्रकार हैं जो केंद्र सरकार को अपने इस बिल के प्रारूप पर गम्भीरता पूर्वक पुनर्विचार करने को विवश कर सकता है :-

रुचिका कुमारी के अनुसार ऐसा नहीं है कि सदन द्वारा बिल पास होने के बाद ही यह लागू हो जाएगा । इसके लिए पहले परिसीमन जरूरी है। लेकिन 2026 तक परिसीमन पर प्रतिबंध है ।फिर परिसीमन के लिए पहले जनगणना कराना भी जरूरी है । तब जाकर परिसीमन के बाद अगले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महिला आरक्षण वास्तविक तौर पर लागू हो पाएगा । लेकिन यहां भी पेंच है । परिसीमन को लेकर उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय राज्यों में विवाद है । क्योंकि पिछले परिसीमन के बाद उत्तर भारतीय राज्यों की आबादी तेजी से बढ़ी है, जबकि दक्षिण भारत में बेहतर नियोजन योजनाओं के चलते आबादी उतनी तेजी से नहीं बढ़ी या स्थिर हुई है ।

वहीं दूसरी महिला संगीता कुमारी ने पिछड़े वर्ग की महिलाओं की भागीदारी को लेकर भाजपा की नेत्री उमा भारती के आशंका और इस सम्बंध में कांग्रेस पार्टी के मांग व दलील का समर्थन करते हुए बेबाक टिप्पणी करते हुए कहती है कि – संसद में SC और ST कोटे के लिए जो सीटें आरक्षित हैं, उन्हीं में से एक तिहाई SC-ST महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी । लेकिन OBC महिलाओं के लिए अलग से कोटे का प्रावधान नहीं किया गया है । जातिगत जनगणना कराकर अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की महिलाओं के आरक्षण की भी व्यवस्था की जानी चाहिए । सरकार को इसे लागू करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए ।

समाज सेवा का प्रण लेकर अपने घर की दहलीज लांघ चुकी पूजा आनंद ने महिला आरक्षण से संबंधित ऐतिहासिक विधेयक समर्थन करते हुए कहती है कि इसमें अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) की महिलाओं के लिए अलग आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि इसके बिना यह विधेयक अधूरा है । उन्होंने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के प्रावधान वाले ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर केंद्र सरकार से यह आग्रह किया कि तत्काल जातीय जनगणना कराई जाए और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय हुई जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए जाएं । सरकार की मंशा पर आशंका जताते हुए कहती हैं कि केन्द्र सरकार जातीय जनगणना की मांग से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है ।