(बेम्हौरी क्षेत्र के जुड़मानी नदी में हो रहा रेत का अवैध खनन)
बंगवार .
जिले के धनपुरी थाना अंतर्गत शहडोल और अनूपपुर की सीमा अलग करने बाली बेम्हौरी-गरफंदिया क्षेत्र मे जुड़मानी नदी (जिंदा नाला) जिसके आसपास शहडोल की तरफ से बेम्हौरी, गरफंदिया, बंडी और अनूपपुर की तरफ से पटना, धिरौल, तुम्मीबर, डोंगराटोला आदि गांव स्थित है जहां उक्त सभी गांवों के अलग-लग घाटों और पुलियों के पास ट्रैक्टर लगाकर रेत का अवैध खनन के लिए ट्रैक्टर और मेटाडोर फिर से सक्रिय हो चुके हैं। डोंगरा टोला रोड में नदी के भीतर ट्रैक्टर जैसे बड़े वाहन नदी में उतार कर रेत निकाला जाता है। उक्त जिला सीमा के गांव अपने-अपने जिला मुख्यालय से मात्र 20 से 30 किलोमीटर ही दूर हैं, लेकिन आउटर मे हैं जिसका फायदा आसपास के रेत माफिया और धनपुरी थाना और देवसरा चौकी पुलिस हमेशा से उठाते रहे हैं।
यहां से इतने समय उठाते हैं रेत
ग्रामीण सूत्रों ने बताया कि बेम्हौरी पंचायत अन्तर्गत बेम्हौरी से पटना मार्ग में, तुम्मीबर डोंगराटोला रोड मे पुलिया के पास, बैरगिहा रपटा पुल यानी चैन सिंह के खेत के पास से, पोंडापानी पहुंच मार्ग, बंडी और लखबरिया पंचायत के जुड़ाव सीमा मे नरगड़ा नाला से, वहीं अनूपपुर जिले की सीमा मे डोंगराटोला पंचायत के पोंडापानी घाट से, बैरगिहा टोला के प्राथमिक स्कूल के समीप स्थित रपटा पुल के पास से मालुम हो की इन सभी घाटों मे सुबह 4:30 बजे से करीब 7 बजे तक या रात के 12 बजे से सुबह पांच बजे तक कभी-कभी पूरे दिन अवैध निकासी की जाती है, रेत माफिया ट्रैक्टर ओव्हर लोड कर के सड़क में चलते हैं जिससे गांव की सड़के भी जर्जर हो रही हैं और जिन रास्तों में पक्की सड़क नहीं है वहां कीचड़ के साथ बड़े-बड़े नाली नुमा गड्ढे हो गए हैं।
यहाँ खपाते हैं चोरी का रेत
उक्त ठीहों से रेत का अवैध उत्खनन कर आसपास के ग्राम पंचायतों जैसे बेम्हौरी, पटना, धनौरा, डोंगराटोला, लखबरिया, अरझुला एवं बंडी आदि पंचायत में चल रहे सरकारी आवास, शौचालय, सीसी रोड़, पुलिया आदि एवं निजी निर्माण कार्यों के साथ-साथ आसपास के काॅलरी के श्रमिक काॅलोनियों एवं खदानों में चल रहे निर्माण कार्यों मे इसी अवैध रेत का उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में बंगवार काॅलरी में हो रहे निर्माण कार्य मे जुड़मानी के रेत का उपयोग है रहा है।
क्वालिटी घटिया फिर भी रेट हाई-फाई क्यों?
मालुम हो कि क्षेत्र के जुड़मानी, नरगड़ा और पोंड़ा आदि जैसे नदी नालों में रेत तो भरपूर है लेकिन वह निर्माण के दृष्टि से बहुत ही घटिया है जिसे आसपास के पंचायतों के शासकीय निर्माण कार्यों में उपयोग करने के लिए संबंधित इंजीनियरों द्वारा सख्त मनाही है, फिर भी यह घटिया रेत की आपूर्ति आसपास के सभी पंचायतों के निर्माण कार्यों के साथ-साथ निजी निर्माण कार्यों में धड़ल्ले से की जा रही है, मात्र 500 से 800 रुपए की कीमत वाला रेत ढ़ाई हजार से 3 हजार तक बेचा जा रहा है, ग्रामीणों की मानें तो रेत चोरी में लगे ट्रैक्टर हर साल लाखों का वारा न्यारा कर रहे हैं, जिसकी न रॉयल्टी पर्ची का पता न सरकारी रेट कार्ड का, क्यों कि रेत अवैध खनन का रहता है। क्षेत्र के अधिकांश ट्रैक्टरों के सभी रजिस्ट्रेशन पुख्ता नही हैं, कृषि कार्य हेतु का रजिस्ट्रेशन करा के रेत के साथ-साथ काॅलरी से चोरी के कबाड़ निकाले जा रहे हैं, जिसपर न हि परिवहन विभाग, न हि वन विभाग, न हि राजस्व विभाग और न हि पुलिस विभाग की नज़र पड़ रही है, यदि जानकारी है तो यह सब खुले आम कैसे चल रहें हैं?