महागामा में दुर्गा पूजा की झाड़ू एवं छर्रा की परंपरा वर्षों से है

समाज जागरण मनोजकुमारसाह
गोड्डा
महा पर्व शारदीय नवरात्र के महा सप्तमी के दिन सभी देवताओं के प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही मां भगवती ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिए शुक्रवार को मंदिर का पट भक्तों के लिए खोल दिए गए आज श्रद्धालुओं ने बेल भरनी मां की पूजा की सप्तमी के दिन बेल भरनी मां के रूप में पूजा कर दुर्गा मंदिर में मां के आगमन को लेकर पुरुष श्रद्धालुओं ने अरहर के पौधे से झाडू दिए तथा महिलाएं रास्ते में दूध गुड बेलपत्र सिंदूर फूल आदि सामग्री मिट्टी के बर्तन में लेकर बिछाती हुई जातीथी जिसे छर्रा कहते हैं इस परंपरा के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई श्रद्धालुओं ने दंड देकर अपनी मां की अगुवाई की यह परंपरा करीब महागामा प्राचीन मंदिर में करीब 400 वर्षों से चली आ रही है इस दौरान भक्त श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी गई जो बसवा चौक पेट्रोल पंप तक पहुंच गया था भक्तों की भीड़ को देखते हुए कमेटी ने सुबह 5:00 बजे से ही झाड़ू एवं छर्रा देने के लिए भीड़ जुटने लगी थी इस दौरान मंदिर परिसर में ढोल बाजे के स्वर से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय से गुंजायमानहो गया मां दुर्गा महागामा दुर्गा मंदिर में पहली पूजा से ही रोज राज परिवार के वंशज द्वारा तांत्रिक विधि सेमां की आराधना की जाती है मौके पर दया शंकर ब्रह्म नागेंद्र कन्हैया केशव उज्जवल मनीष प्रवीण शामिल थे यहमंदिर की स्थापना से पूर्व खेतोरी राज्य की स्थापना काल से ही कुलदेवी के रूप में राजा परिवार के वंशज ही पूजा करते हैं यहां तांत्रिक विधि से हीमां की पूजा की जाती है यह दुर्गा मां का मंदिर शक्तिपीठ से जानी जाती है