उमरिया —उमरिया जिले का पाली विकास खंड का चांद पुर ग्राम पंचायत का बैगा बाहुल्य गांव बाघन्नारा में आज भी बिजली की रोशनी मृगतृष्णा बनी हुई है ।एक तरफ जहा देश में वैज्ञानिक कांति से देश आधुनिकता के दौर में हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ ऐ
रहा है फिर भी आज भी कई गांव आज अंधकार के घुप अंधेरे में ज़ीने को मजबूर हैं।आजादी के 77 साल पूरे होने के बाद भी आज तक बिजली जैसी बुनियादी जरूरत पूरी न हो पाना चमकदार देश की उजली तस्वीर को धूर्मिल करती प्रतीत होती है ।यह तस्वीर न सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है बल्कि उसने सत्ता सीन जनप्रतिनिधियों और जिले के आलाधिकारियों की भी करनी कथनी की पोल खोल कर रख दिया है। यही वजह है कि आज भी गांव के गांव मूलभूत सुविधाओं जरूरतों तक को तरस रहे हैं। बाघन्नारा गांव में 35 से 40 के बीच बैगा आदिवासी परिवार बिजली और पानी जैसी प्राथमिक जरूरतों के लिए जूझ रहे हैं। गांव के आदिवासी बिजली की इस मांग के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के चौखट पर अनेकों बार माथा रगड़ रगड़ थक हार गये लेकिन नगाड खाने में तूती की आवाज सुनाई कहा देती है , वही हाल उमरिया जिला प्रशासन और सत्ताधीश जनप्रतिनिधियों का है ।यहां पर किसी ने आज तक जन हितैषी मांग की सुध नही ली. बताया जाता है कि जब जनप्रतिनिधियों को इन भोले भाले गांव वालों को बहलाना होता है,कुछ लाली पाप दे जाते यही वजह है कि गांव में खम्भे खड़े करा दिये गये तो कभी ट्रांसफार्मर लगा दिये गये । गांव में इन खम्भो में 11 तारो का जाल बिछा दिया गया, लेकिन आखिरकार उन तारों में बिजली का करंट कब आएगा और कब ग्रामीणों को पाषाण युग से छुटकारा मिलेगा,इसका जबाब दार कोई दिखाई नहीं दे रहा ।