यूपीसीडा मतलब काला पानी*


_-राजेश बैरागी-_
तबादलों का दौर जारी है।तीस जून आखिरी तारीख थी।तब तक तबादले किए जाने थे परंतु तबादला कराने और रुकवाने की कवायद में निर्धारित तिथि पीछे छूट जाती है। हालांकि कागज पर जो तारीख डालो वही सही। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में जब से तबादला नीति लागू हुई है, अधिकारियों की बेचैनी बढ़ती रहती है।लोग तबादले से नहीं, उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण में तबादले से बेचैन रहते हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों में स्थानांतरित होकर तो हर कोई आना चाहता है। यहां से जाने वालों की मुसीबत है।यूपीसीडा को इन प्राधिकरणों में काला पानी समझा जाता है।यूपीसीडा का विस्तार समूचे उत्तर प्रदेश में है।हर जनपद में अमूमन एक क्षेत्रीय कार्यालय है। औद्योगिक इकाइयों की स्थापना कराना इसका मुख्य कार्य है। हालांकि यह आवासीय कॉलोनियों और सोसाइटियों की स्थापना में भी हाथ आजमा रहा है। यह अलग बात है कि औद्योगिक हो या आवासीय , यह प्राधिकरण मुड़कर उनकी ओर नहीं देखता। लिहाजा विकास कार्यों का स्कोप बहुत कम है। जहां विकास नहीं वहां आमदनी कैसे होगी। इसलिए यूपीसीडा किसी काले पानी से कम नहीं। कभी मुख्य अभियंता रहे अरुण मिश्रा ने यूपीएसआइडीसी में भी भ्रष्टाचार के अभूतपूर्व कीर्तीमान स्थापित किए थे। अभी भी कुछ पद मलाईदार माने जाते हैं। परंतु नोएडा,ग्रेटर नोएडा या यीडा से कौन मुकाबला कर सकता है।(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)