गाँधी के मार्ग पर चलकर ही होगा देश-दुनिया का कल्याण : कुलसचिव

मधेपुरा।

सत्य एवं अहिंसा का दर्शन सदियों पुराना है और इसे व्यक्तिगत जीवन में अपनाने वाले महापुरुषों की कमी नहीं है। लेकिन महात्मा गाँधी ने सत्य एवं अहिंसा को न केवल व्यक्तिगत जीवन, वरन् सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में भी क्रियान्वित कर इन सिद्धांतों को जीवंत बना दिया।

यह बात कुलसचिव डाॅ. विपीन कुमार राय ने कही। वे गाँधी जयंती पर बुधवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में आयोजित गांधी का औचित्य विषयक संवाद में मुख्य वक्ता सह मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) तथा राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

उन्होंने कहा कि गाँधी हमेशा अपने कर्तव्य-पथ पर अडिग रहे और उन्होंने जीवनपर्यंत कभी भी सत्य एवं अहिंसा का दामन नहीं छोड़ा। वे यह मानते थे कि अनुचित साधनों का इस्तेमाल करके पवित्र साध्य की प्राप्ति नहीं की जा सकती है। इसलिए उन्होंने हिंसा के माध्यम से स्वराज्य की प्राप्ति का भी समर्थन नहीं किया।‌

उन्होंने कहा कि गाँधी सही मायने में कर्मयोगी थे। वे जो कहते थे, वह करते थे और जो करते थे, वही कहते थे। उनके विचारों एवं कार्यों में एकरूपता थी। इसलिए उनका जीवन ही उनका संदेश है। हमें इस संदेश को अपने जीवन में उतारें, यही गाँधी-जयंती मनाने की सच्ची सार्थकता है।

आज भी प्रासंगिक हैं गाँधी

उन्होंने कहा कि बहुत लोगों को ऐसा लगता है कि गाँधी की बात अब पुरानी हो गयी है। लेकिन सच्चाई यह है कि गाँधी आज भी प्रासंगिक हैं और आधुनिक युग में भी गाँधी विचार का औचित्य स्वयंसिद्ध है। गाँधी के बताए रास्ते पर चलकर ही देश-दुनिया का कल्याण हो सकता है।

गाँधी का जीवन-दर्शन बहुआयामी

प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि गाँधी का जीवन-दर्शन बहुआयामी है।इसके हरएक आयामों को लेकर देश-दुनिया में प्रयोग चल रहे हैं। स्वच्छता अभियान, मेक इन इंडिया, स्किल डेवलपमेंट आदि कार्यक्रम गाँधी से ही प्रेरित हैं।

अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने कहा कि गाँधी भारत के सच्चे सपूत थे। उन्होंने पूरी दुनिया में भारत एवं भारतीयता का प्रचार-प्रसार किया।

गाँधी को अपनाना हमारी मजबूरी

दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि आज दुनिया आतंकवाद, पर्यावरण संकट, बेरोजगारी, विषमता, अनैतिकता आदि समस्याओं से ग्रस्त एवं त्रस्त है। इन समस्याओं के समाधान के लिए हमें गाँधी की शरण में जाना पड़ रहा है। आधुनिक सभ्यता के संकटों से बचने के लिए गाँधी को अपनाना हमारी मजबूरी हो गयी है।

भेंट की गई गाँधी-विमर्श पुस्तक

इसके पूर्व महाविद्यालय परिसर पहुंचने पर कुलसचिव का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। एएनओ ले. गुड्डु कुमार के नेतृत्व में एनसीसी कैडेट्स ने उनकी अगुवानी की। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों को अंगवस्त्र, डायरी एवं गाँधी-विमर्श पुस्तक भेंट की गई।

इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष मंजू देवी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप, वार्ड पार्षद शशि कुमार यादव, नेहरू युवा केन्द्र की समन्वयक हुस्न जहां, परीक्षा विभाग के बिमल कुमार, सीनेटर डॉ. रंजन कुमार, डॉ. माधव कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, शिक्षाशास्त्र विभाग के डॉ. अशोक कुमार अकेला, ऋचा कुमारी, रूपेश कुमार, बृजेश कुमार, सुभाष कुमार, धीरज कुमार, शुभम कुमार, आनंद कुमार, प्रशांत कुमार, अवधेश कुमार, सूरज कुमार, विकास कुमार, रितेश कुमार, गोपाल कुमार, अभिनंदन कुमार, रंजीत कुमार, संजीत कुमार, अंगद कुमार, रोशन कुमार, आनंद राज, प्रवीण कुमार, संतोष कुमार, अमित कुमार, आनंद गुंजेश कुमार, मनीष कुमार, नितीश कुमार, मोती कुमार यादव, सुनील कुमार, रंजीत कुमार, दीपक कुमार, सोनू कुमार आभा कुमारी संजीव कुमार, भूषण कुमार, खुशबू कुमारी, नूतन कुमारी, प्रदीप कुमार, वर्मा आकाश कुमार शर्मा, निधि कुमारी, कुमारी भावना, राजू कुमार, रंजन, विमल कुमार, राहुल कुमार, राजेश कुमार, राजकुमार, प्रिंस कुमार झा, शशि कुमार आदि उपस्थित थे।

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