कोलकता: पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एल नरसिम्हा समेत 6 सदस्यों को कोलकता पुलिस ने किया रिहा।।

समाज जागरण डेस्क कोलकता दिल्ली

कोलकता: फैक्ट फाइनडिंग कमेटी के 6 सदस्यों को कलकता पुलिस ने रिहा कर दिया है जिसे पश्चिम बंगाल पुलिस ने सुबह भोजरहाट से गिरफ्तार किया था। छ सदस्यी दल मे पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी, ओपी व्यास, चारू वली खन्ना, भावना बजाज, राजपाल सिंह और संजीव नायक शामिल है। जिन्हे कोलकाता के पीएचक्यू लाल बाजार से रिहा कर दिया गया है।

पश्चिम बंगाल फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के सदस्य और पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी ने कहा है कि, “हमें सीआरपीसी की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया था। वे हमें यहां ले आए और जमानत के दस्तावेज के बाद हमें रिहा कर दिया गया। हम राज्यपाल से मिलने जा रहे हैं और उन्हें स्थिति के बारे में बताएंगे। हमने कुछ नहीं किया लेकिन उन्होंने हमें गिरफ्तार कर लिया। ऐसा सिर्फ बंगाल में होता है. यहां जो हो रहा है उसे पूरा देश देख रहा है। अपराधी खुलेआम घूम रहा है और पीड़ित दबाव में हैं।

संदेशखली के घटना को लेकर जहाँ एक तरफ देश मे अपराधियों को सजा देने की मांग कर रहा है वही दूसरी तरफ इसको लेकर राजनीतिक मुद्दे भी गरम है। अब सवाल उठता है कि क्या राजनीति गलियारों से उठ रहे आवाज भी संदेशखली के पीड़ितों को न्याय दिलवा पायेगा या फिर यह भी एक चुनावी मुद्दा बनकर रह जायेगा और चुनाव के बाद अगले चुनाव तक के लिए मुद्दे को सुरक्षित रख लिए जायेंगे। जो हुआ है और जो हो रहा है उसे पूरा देश देख रहा है। कैसे एक महिला मुख्यमंत्री के राज्य मे महिलाओं के साथ शोषण हुआ और एक महिला मुख्यमंत्री ने कैसे इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप लगाने लगी। हालत इतना ही अच्छा होता तो संदेशखली के महिलाओं को स्वयं लाठी उठाने की जरुरत ही क्यो पड़ता।

संदेशखली की घटना पर टीएमसी नेता कुणाल ने कहा है कि , ‘यूपी, एमपी, गुजरात, असम और मणिपुर में यह तथाकथित फैक्ट फाइंडिंग टीम कहां थी. ये भाजपा कैडर हैं जो भाजपा द्वारा नियंत्रित हैं। वे केवल तृणमूल कांग्रेस सरकार को बदनाम करने के लिए यहां आ रहे हैं… बीजेपी को बंगाल की जनता पर भरोसा नहीं है और न ही उनसे कोई संबंध है। वे जानते हैं कि बंगाल के लोग उनका समर्थन नहीं करते। यही कारण है कि वे विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर रहे हैं, और यह केवल यह साबित करता है कि उनका बंगाल में कोई संगठन नहीं है.’