दुलमी गांव के राम मंदिर के पास खराब हुआ 4000 लीटर जलमिनार, ग्रामीणों की मांग- मरम्मत करें!

दैनिक समाज जागरण ,शेखर सुमन , ईचागढ़ सराइकेला (झारखण्ड )25 जून 2023

कुकड़ू – सरायकेला खरसावां जिला के कुकड़ू प्रखंड अंतर्गत दुलमी गांव के राम मंदिर के पास स्थित पीएचडी विभाग द्वारा निर्मित 4000 लीटर छमता बाला जलमिनार, खराब होने के कारण ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह खबर स्थानीय लोगों में बहुत चिंता का कारण बन चुकी है। दुलमी गांव के राम मंदिर के पास स्थित पीएचडी विभाग द्वारा निर्मित 4000 लीटर छमता बाला जलमिनार खराब होने के कारण ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह जलमिनार, जो पिछले 6 महीनों से अवरुद्ध है, ग्रामीण समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और इसकी मरम्मत की ज़रूरत है। खराब होने के कारण, दूर दूर से महिलाएं पानी लाने के लिए लंबे दौरे लगा रही हैं। ग्रामीण समुदाय के सदस्यों ने इस समस्या को देखते हुए जलमिनार की मरम्मत की मांग की है। वे बताते हैं कि इस जलमिनार के खराब होने से, पानी की कोई समस्याये है , और इसलिए इसे जल्द से जल्द ठीक कराने की आवश्यकता है। ग्रामीणों की यह मांग ध्यान में रखते हुए पीएचडी विभाग के अधिकारियों को जलमिनार की मरम्मत के लिए कदम उठाने की अपील की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि जलमिनार को जल्दी ठीक नहीं किया गया, तो ग्रामीण समुदाय को और भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, जो पानी की कमी के कारण होंगी। इस मामले में, समाजसेवी रोहित दे ने बताया कि जलमिनार की खराबी के चलते उनके गांव के लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वह इस मामले की जल्द से जल्द सुलझाव की मांग कर रहे हैं और ग्राम पंचायत के साथ-साथ पीएचडी विभाग को भी जलमिनार की मरम्मत करवाने के लिए जुटने की अपील की है। अब यह देखा जा रहा है कि क्या पीएचडी विभाग जलमिनार की मरम्मत के लिए कदम उठाता है और इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करता है, ताकि ग्रामीण समुदाय को आवश्यक पानी की आपूर्ति में कोई बाधा ना हो। जलमिनार की मरम्मत न करने के मामले में पीएचडी विभाग के खिलाफ ग्रामीणों की आंदोलन भी संभावित है, जिससे सरकार को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। यहां तक कि सभी ने भी इस मुद्दे को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है और प्रखंड स्तर पर इस मुद्दे का हल निकालने की मांग की है । आखिरकार, ग्रामीण समुदाय की इस मांग के पीछे एकमात्र उद्देश्य है – पानी की आपूर्ति की सुनिश्चितता। इसलिए, पीएचडी विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेने की और जलमिनार की मरम्मत करवाने की अपील की जाती है, ताकि ग्रामीण समुदाय को यह समस्या से निपटने के लिए लंबे दौरे नहीं लगाने पड़ें और पानी की समस्या से निजात मिले।