अकूत संपत्ति का है मालिक राजीव रंजन के आईपीपीबी खाता चेक किया जाय,लेन देन के बारे में पूरा पता चल जायेगा-प्रसेनजित कृष्णा

डाक महानिदेशक महोदय! डाक अधीक्षक सहरसा के चल -अचल संपत्ति की आर्थिक अपराध ईकाई से करवाइये जांच


अकूत संपत्ति का है मालिक राजीव रंजन के आईपीपीबी खाता चेक किया जाय,लेन देन के बारे में पूरा पता चल जायेगा-प्रसेनजित कृष्णा

सहरसा ।

आर टी आई एक्टीविस्ट सह अध्यक्ष बिहार विकास मोर्चा प्रसेनजित कृष्णा नें डाक महानिदेशक ,डाक महानिदेशालय नई दिल्ली एवं माननीय मंत्री दूर संचार विभाग को पत्र भेज कर डाक अधीक्षक सहरसा के काले कारनामे का एक चिट्ठा भेज कर उनके प्रभार कार्यकाल से अब तक के सभी मामलों की जांच करते हुए उनके एवं उनके रिश्तेदार की चल – अचल संपत्ति की जांच आर्थिक अपराध ईकाई से कराने की मांग की है ।भेजे गए आवेदन में श्री कृष्णा नें लिखा है कि राजीव रंजन, डाक अधीक्षक, सहरसा प्रमंडल सहरसा के विरुद्ध जो बिंदुवार तथ्य को रखा वे इस प्रकार है।
१. डाक अधीक्षक राजीव रंजन का पदस्थापन दिनांक 18.05.2021 को किए थे,जबसे श्री रंजन कार्यभार संभाले हैं, तबसे उनकी काली कमाई बढ़ती जा रही है, कोई भी काम हो बिना लेनदेन के नहीं करते हैं दिनांक २०.०५.२०२१ को तत्कालीन डाकपाल व अन्य के विरुद्ध इन्होंने मोटी रकम लिए जो सर्वविदित है तथा उच्च पद पर बैठे अधिकारियों से शिकायत की गई तो मुझ पर ही आरोप लगाते रहें l उस दिन से डाकपाल को चार्जशीट , स्पष्टीकरण एवं विभाग के अन्य कार्य जो सही भी हो रहा था उन पर भी गलत आरोप लगा कर के मानसिक परेशानी में डालते रहे ।
२. इस बीच-बीच पूर्व डाक अधीक्षक द्वारा किए गए स्थानांतरण को मोटी रकम लेकर संबंधित कर्मचारी को मनमुताबिक जगह पर बिना स्थानांतरण कमिटी के अनुशंसा के करते रहें | मतलब इनके आचरण व्यवहार से तीनों जिले सहरसा,मधेपुरा एवं सुपौल के सभी कर्मचारी त्रस्त होते गए| श्रीमान कहीं किसी कार्यालय में विजिट करते तो उनको डरा धमकाकर मतलब तुम्हारे पास ये गड़बड़ी है, ये काम नही कर रहें हैं, इसके एवज में पचास से लाख रुपया उसूलता था | प्रमंडल में कुछ चमचे भी होते हैं, उनके सहयोग से प्रमंडल के अधिकांश लोगों को उन्हें तंग तबाह करना शुरू कर दिए |
३. इनके काले कारनामे से सभी त्रस्त होते चले जा रहे थे उसी समय सहरसा हेड पोस्टमास्टर राजेश कुमार नें उनके कार्य कलाप का विरोध करना शुरू किए, उच्च अधिकारी के पास भी मामला गया लेकिन उच्च अधिकारी को भी राजीव रंजन नें उंची पहुंच व पैरवी के बल पर मैनेज कर लिया | क्योंकि श्री रंजन कर्मचारियों से लगभग २करोड़ रूपये वसूल किए थे | अंततोगत्वा डाक अधीक्षक ने बिना किसी कारण के दिनांक ५ फरवरी २०२२ को श्री राजेश कुमार व अन्य तीन सहायक डाकपाल एक शाखा डाकपाल को निलंबित कर दिया | प्रमंडल का सारा कर्मचारी उनके कार्यकलाप से छुब्द थे, लेकिन उनका कर्मचारी विरोधी नीति व पैसे का लेनदेन करते आ रहे हैं, इन्हें किसी का डर नही होता है |
४. बीच बीच राजेश कुमार को फोन करके पैसे जमा करने की बात करते रहें, क्योंकि पैसे किसी तरह जमा हो जाय तथा राजेश और अन्य पर पर दबाव बनाते रहे। जो गड़बड़ किया है वह भी चिन्हित है उन्हें डाक अधीक्षक निलंबन न करके राजेश और अन्य पर सोची समझी, मनगढ़ंत कार्यवाही कियें हैं | क्योंकि जो फ्रॉड किए हैं डाक अधीक्षक के नजदीकी में से थे l श्री रंजन भी इस प्रकरण में भी उल्टे सीधे काम किए हैं, कुछ ऐसे भी कर्मचारी हैं जो अनगिनत अनफ्रीज किए हैं उन्हें सस्पेंड तक नहीं किया गया है। इससे श्रीमान समझ सकते हैं इनमें कुछ विशिष्ट वर्ग हेतु कितना प्यार रखें हुए हैं। पैसे का निकासी करने वाला चिन्हित है, उन्हें सस्पेंड तक नहीं किया गया बाद में शिकायत करने पर निलंबन किया गया लेकिन उन्हें रिवोक भी कर दिया गया, सर ये कहना चाहता हूं जो दो अकाउंट के अनफ्रिज मामले में पिछले सात महीने से राजेश कुमार निलंबित है तथा जो सीधे पैसा निकाले हैं मतलब दोषी है उन्हें रिवोक कर दिया जाता है, ये कहां का न्याय है ? निर्दोष कर्मी डाकपाल, उपडाकपाल कुछ हैं जो आज सात महीने से निलंबित चल रहें हैं। वेतन के अभाव में उनकी आर्थिक व मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, उनके परिवार का भरण पोषण तथा बच्चे के भरण पोषण पढ़ाने लिखाई में कठिनाइयों का सामना करना पर रहा है सर।
५, डाक अधीक्षक व वरीय पदाधिकारी द्वारा राजेश और मुकेश कुमार निराला को इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड कहा जाता जबकि यह मामला माइग्रेशन के बाद फरवरी २०१५ से ही चल रहा है| २०१८ में और ज्यादा हो गया जबकि राजेश कुमार 2 जुलाई 2020 डाकपाल के रूप में पदस्थापित हुए थे । मतलब डाक अधीक्षक साहब अखबार में निकालकर अपनी बाहबाही लूटना चाहते हैं और डाकपाल को बदनाम करना चाहते हैं |
६. श्री राजीव रंजन डाक अधीक्षक साहब का कर्मचारियों से लूटना अभीतक जारी है, इसी प्रकरण में बहुत से आदमी को पैसे लेकर छोड़ दिया गया उन्हें कहते थे जल्दी से दो नहीं तो तुम्हें भी निलंबित कर दिया जाएगा, इस प्रकरण में श्री प्रमोद झा, सहायक डाकपाल सहरसा प्रधान डाकघर, सुपौल के भी बहुत से कर्मचारी हैं जैसे अशोक कुमार विश्वास, अनिल कुमार सिंह, ह्रदय नारायण झा आदि हैं |
७. इसी मामले में सलखुआ बाजार में श्री महेंद्र रजक और श्री बबन कुमार को निलंबित किया गया लेकिन श्री महेंद्र रजक को आनन फानन में मोटी रकम ले कर उसका पोस्टिंग भी निर्मली उपडाकघर कर दिया गया, जबकि श्री बबन को नहीं किया गया क्योंकि उन्होंने पैसे नहीं दिया ।बाद में कुछ पैसे प्रमोद झा व बबन कुमार दिए तो उन्हें रिवोक कर दिया गया लेकिन पैसे पूरा नहीं देने के कारण पोस्टिंग स्थानांतरण कमिटी द्वारा किए जाने की बात कहीं गई है । अब 20 दिन बाद पोस्टिंग किया गया।
८. मतलब हर काम में श्री राजीव रंजन को पैसा चाहिए। इनका आईपीपीबी खाता चेक किया जाय,लेन देन के बारे में पता पूरा पता चल जायेगा। जब राजीव सर सहरसा आए थे उस समय खाते में सात लाख एक सप्ताह के भीतर आ जाना अपने आप में फ्रॉड साबित होता है । इतना ही नहीं ये इस पैसे से राजीव नगर पटना में कुछ प्लॉट खरीदे हैं तथा वहा भी घर बनाएं हैं |
उपर्युक्त तथ्य से पता चलता है की श्री राजीव रंजन कितने भ्रष्ट अधिकारी हैं इनके किए गए कृत मानवता को शर्मसार करती है इनकी जो करनी है वह माफी के लायक भी नहीं है | एक तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री भ्रष्ट्राचार के विरूद्ध लड़ाई लर रहें हैं दूसरी तरफ श्री राजीव रंजन जैसे पदाधिकारी कर्मचारियों को लूट रहें हैं।
अतः श्रीमान से निवेदन है उपर्युक्त विषय को जांच कर इनपर सक्त से सक्त कानून का प्रयोग किया जाय ताकि भविष्य में ऐसे जिम्मेदार पद रहते हुए इस तरह का का अमानवीय अपराध नहीं कर सके ।