गैर-संचारी रोगों से लड़ाई में एएनएम बनीं सशक्त योद्धा

सदर अस्पताल में एनसीडी प्रबंधन प्रशिक्षण का चौथा बैच सफलतापूर्वक संपन्न

वीरेंद्र चौहान, समाज जागरण ब्यूरो किशनगंज।
18 फरवरी: देशभर में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे लाखों लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव और समय पर इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मियों का प्रशिक्षित होना बेहद जरूरी है। इसी उद्देश्य से सदर अस्पताल, किशनगंज में एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइफ) के लिए एनसीडी कार्यक्रम प्रबंधन पर चौथे बैच का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह प्रशिक्षण एनसीडीओ (गैर-संचारी रोग अधिकारी) डॉ. उर्मिला कुमारी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (DIO) डॉ. देवेंद्र कुमार, एवं एनसीडी सेल, सदर अस्पताल, किशनगंज के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में जिले भर से आई एएनएम ने भाग लिया और गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, प्रारंभिक जांच और प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं।
गांव-गांव तक पहुंचेगी बेहतर स्वास्थ्य सेवा

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहली कड़ी एएनएम होती हैं। वे न केवल प्रसव, टीकाकरण और प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं देती हैं, बल्कि अब एनसीडी जैसी गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान और रोकथाम में भी अहम भूमिका निभाएंगी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एएनएम को प्राथमिक स्तर पर गैर-संचारी रोगों की पहचान, रोकथाम और प्रबंधन के लिए दक्ष बनाना था। इससे वे गांवों में मरीजों की जांच कर शुरुआती चरण में ही बीमारी पकड़ सकेंगी और उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवाएं दिला सकेंगी।

प्रशिक्षण की मुख्य विशेषताएं
चौथे बैच के प्रशिक्षण में एएनएम को व्यावहारिक और सैद्धांतिक दोनों स्तरों पर प्रशिक्षित किया गया।
✅ गैर-संचारी रोगों की पहचान और उनकी रोकथाम के उपाय
✅ ब्लड प्रेशर मापन, शुगर टेस्टिंग और कैंसर स्क्रीनिंग की तकनीकें
✅ संतुलित आहार, व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली पर जागरूकता अभियान चलाने के तरीके
✅ डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रबंधन और रिपोर्टिंग सिस्टम की जानकारी
✅ जरूरतमंद मरीजों को उचित स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने की रणनीति

इस दौरान एएनएम ने खुद मरीजों की जांच करने का अभ्यास किया, जिससे उन्हें व्यावहारिक अनुभव मिला।
एनसीडीओ और डीआईओ ने दी महत्वपूर्ण जानकारी
समापन सत्र में एनसीडीओ डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा,”गैर-संचारी रोगों की रोकथाम में एएनएम की भूमिका बेहद अहम है। वे गांवों में जाकर न केवल मरीजों की प्रारंभिक जांच कर सकती हैं, बल्कि उन्हें स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक भी कर सकती हैं। यह प्रशिक्षण उन्हें ज्यादा सक्षम बनाएगा, जिससे वे अपने क्षेत्र में और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दे सकेंगी।”वहीं, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (DIO) डॉ. देवेंद्र कुमार ने कहा,”आज के दौर में गैर-संचारी रोग एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं। समय पर जांच और उचित परामर्श से हम इन बीमारियों को गंभीर होने से रोक सकते हैं। एएनएम इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और यह प्रशिक्षण उनके कार्य को और अधिक प्रभावी बनाएगा।”
‘अब हम ज्यादा आत्मविश्वास के साथ काम करेंगे’

प्रशिक्षण में शामिल एएनएम ने इसे बेहद उपयोगी बताया। एक प्रतिभागी एएनएम ने कहा “हमें पहले एनसीडी की जानकारी तो थी, लेकिन इसे पहचानने और मरीजों को सही सलाह देने में कठिनाई होती थी। इस प्रशिक्षण ने हमें व्यावहारिक रूप से यह सिखाया कि कैसे मरीजों की जांच करनी है और उन्हें सही समय पर उपचार के लिए भेजना है।”स्वास्थ्य विभाग की योजना है कि जिले की सभी एएनएम को एनसीडी प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में गैर-संचारी रोगों के खिलाफ प्रभावी कदम उठा सकें। आने वाले महीनों में अगला बैच शुरू होने की संभावना है।स्वास्थ्य विभाग ने इस सफल आयोजन के लिए सभी प्रशिक्षकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस तरह के प्रशिक्षण से गैर-संचारी रोगों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ेगी और मरीजों को समय पर उचित उपचार मिल सकेगा।गैर-संचारी रोगों की चुनौती से निपटने के लिए गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना जरूरी है। एएनएम को प्रशिक्षित कर स्वास्थ्य तंत्र की बुनियाद को सशक्त किया जा रहा है, जिससे अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावी रूप से पहुंच सकें। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर व्यक्ति को समय पर सही उपचार और परामर्श मिल सके।

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