दैनिक समाज जागरण
यशवीर यादव
गुन्नौर तहसील क्षेत्र गांव ईसमपुर डांडा पर रघवुीर दास महाराज आश्रम पर भगवान श्रीकृष्ण व मित्र सुदामा के मिलन की लीला देखकर दर्शक भावुक हो गए।
बरसाने के कलाकारों द्वारा आयोजित रासलीला में प्रभु व भक्त के मिलन को दर्शाया गया। कलाकारों ने अपने अभिनय के माध्यम से दर्शाया कि गुरु, मित्र, बहन, बेटी और भगवान के घर कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। सुदामा की पत्नी के बार-बार कहने पर जब सुदामा अपने बचपन के मित्र द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के पास जाने को तैयार हुए तो सुशीला ने पड़ोसी से चावल लाकर अपने पति सुदामा को दिए और कहा कि इन्हें अपने मित्र को दे देना। जब सुदामा दीन-हीन दशा में द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण भगवान के महल पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। सुदामा ने द्वारपालों को बताया कि वह भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र हैं। द्वारपालों ने जब श्री कृष्ण को आने के बारे में श्रीकृष्ण ने सुना तो नंगे पैर ही दौड़कर अपने मित्र सुदामा के पास पहुंचे और उन्हें छाती से लगा लिया। व्याकुल श्रीकृष्ण ने मित्र सुदामा के अपने हाथों से पैर धोए। सुदामा की कांख में दबी पोटली को छीनकर उसमें दो मुट्ठी चावल खाते ही दो लोकों का राज्य सुदामा को दे दिया। सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता को देखकर उपस्थित दर्शकों की आंखें नम हो गईं।
आश्रम के महंत तिलक दास महाराज ने बताया कि भगवान भक्त की अंतर्मन को जानते हैं। यही कारण है कि सुदामा के बिन मांगे ही श्रीकृष्ण ने उन्हें सब दे दिया।