अवादा समर कैंप हुआ संपन्न, ग्रामीण बच्चों की प्रतिभा ने मोहा दिल

समाज जागरण रंजीत तिवारी
वाराणसी।।
आवादा फाउंडेशन द्वारा चिचलिक और बसुहारी गांवों में आयोजित 15 दिवसीय समर कैंप आज हर्षौल्लास के साथ संपन्न हुआ । ‘बालक से वीर बालक’ और ‘संस्कृति से समृद्धि’ थीम पर आधारित यह शिविर ग्रामीण बच्चों के सर्वांगीण विकास की एक सशक्त पहल साबित हुआ।
चिचलिक में यह शिविर 3 मई से 14 जून तक, जबकि बसुहारी में 4 जून से 15 जून तक समर कैंप का आयोजन हुआ। दोनों शिविरों में कुल मिलाकर 200 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। बच्चों ने योग, ध्यान, चित्रकला, हस्तशिल्प, खेलकूद, नृत्य, गीत, अभिनय और समूह गतिविधियों के माध्यम से अपने भीतर छिपी रचनात्मकता और आत्मविश्वास को उजागर किया।
कैंप का मुख्य उद्देश्य बच्चों में आत्म-अनुशासन, रचनात्मकता, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा देना था। हर दिन कुछ नया सीखने की उत्सुकता और सहभागिता ने इन गांवों में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया। कैंप की प्रेरणा रहीं आवादा फाउंडेशन की निदेशक ऋतू पटवारी, जिनकी सोच ने इस आयोजन को न सिर्फ एक रचनात्मक कार्यक्रम, बल्कि बच्चों के जीवन में बदलाव लाने वाली पहल बना दिया।


निदेशक ऋतू पटवारी ने कहा,
“ग्रामीण भारत की नई पीढ़ी में असीम ऊर्जा है। अगर हम उन्हें सही अवसर और मंच दें, तो वे पूरे समाज में बदलाव के वाहक बन सकते हैं। यह समर कैंप बच्चों की प्रतिभा और उनके आत्मविश्वास को निखारने का माध्यम बना।”समर कैंप के समापन पर दोनों गांवों में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिसमें बच्चों ने गीत, नाटक, लोकनृत्य और समूह प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अभिभावकों, स्थानीय शिक्षकों और पंचायत प्रतिनिधियों ने शिविर की प्रशंसा करते हुए इसे गांव के बच्चों के लिए एक ऐतिहासिक पहल बताया।एक स्थानीय अभिभावक ने भावुक होते हुए कहा ऋतु मैम ने जो सपना देखा था, वह इन बच्चों की मुस्कान में साकार होता दिखा। गांव के बच्चों को ऐसा मंच पहली बार मिला है।
इस समर कैंप ने साबित किया कि जब ग्रामीण बच्चों को अवसर, मार्गदर्शन और मंच मिलता है, तो वे किसी से कम नहीं। यह आयोजन न केवल बच्चों के लिए एक सीखने और खिलने का अवसर बना, बल्कि अवादा फाउंडेशन की जनकल्याणकारी सोच को भी ग्रामीण भारत के दिलों तक पहुंचाने में सफल रहा।

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