कलश स्थापना आज,मां शैलपुत्री का होगी पूजा

नवरात्रि को लेकर बजारों में खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़ 

जिला मुख्यालय में दस जगह है मां दुर्गा का मंदिर, पूजा को लेकर भक्तों में है काफी उत्साह

अररिया/डा. रूद्र किंकर वर्मा।

शारदीय नवरात्र रविवार को कलश स्थापना के साथ शुरू किया जाएगा।पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी।नवरात्र को लेकर पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए बाजार में भीड़ लगी रही। बता दें कि मंदिर व बड़े पैमाने पर लोग अपने घरों में कलश स्थापना कर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं।पूजा कमेटी पंडालों में कलश स्थापना को लेकर दिनभर व्यस्त रहे।वहीं लोग कपड़ा, बरतन, पूजन सामग्री, फल दुकानों में काफी भीड़ लगी रही है।दिनभर बाजार लोगों से गुलजार रहा।जबकि मंदिर परिसर व बाहर के हिस्सों में कई तोरण द्वार व विशेष सजावट की गई है। सहारा समिति दुर्गा मंदिर अररिया के पुजारी पंडित ललित नारायण झा ने बताया कि इस बार माता रानी रविवार को हाथी पर सवार होकर आ रही है।मां दुर्गा का आगमन व प्रस्थान दोनों हाथी पर होगा।कहा जाता है कि माता का हाथी पर प्रस्थान शुभ होता है। इस सवारी पर माता के आने व जाने से माता का सभी के दुख, रोग, संताप, शोक आदि ले जाती हैं। हाथी पर माता के आगमन व प्रस्थान से माता रानी अपने भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देकर जाती है साथ ही काफी बारिस की भी संभावना है।

यह दस मंदिरों में होता है मां दुर्गा की पूजा

मुख्यालय में दस जगह हैं मां दुर्गा मंदिरों में पूजा की जाती है।शास्त्री नगर दुर्गा मंदिर, ठाकुरबारी दुर्गा मंदिर, अररिया आरएस दुर्गा मंदिर ,जयप्रकाश नगर दुर्गा मंदिर, आश्रम दुर्गा मंदिर, समिति दुर्गा मंदिर, अड़गरा दुर्गा मंदिर, पुराना मंडल कारा दुर्गा मंदिर, माता स्थान स्थित दुर्गा मंदिर, अररिया कोर्ट दुर्गा मंदिर के अलावा प्रसिद्ध मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में दुर्गा पूजा को लेकर रोजाना पूजा अर्चना की जाती है।
कलश स्थापना विधि
कलश स्थापना के लिए पहली पूजा के दिन घर के एक व्यक्ति को या पंडित के द्वारा नदी से रेत मंगवाना चाहिए।रेत को पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़ककर वहां रखना चाहिए।रेत के उपर जौ को स्थान देना चाहिए,माता की मूर्ति को स्थान देना चाहिए।संकल्प करके पहले गणपति व माता को स्मरण करना चाहिए।कलश स्थापना के लिए तांबे या मिट्टी का पात्र ही शुभ माना गया है।
-पूजन के लिए लाए कलश में गंगाजल डाल लें कलश में पान, सुपारी, अक्षत, हल्दी ,चंदन,रुपया, पुष्प,आम के हरे पत्ते, दूब, पंचामूल, पंचगव्य आदि डालकर कलश के मुंह को मौली धागे से बांधना चाहिए।कलश स्थापना के समय 7 तरह के अनाजों के साथ कलश को रेत पर स्थापित करें।कलश की जगह पर नौ दिनों तक अखंड दीप जलता रहे ।विधिपूर्वक मां भगवती का पूजन करें तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ करके कुमारी पूजन कराना चाहिए।

कलश स्थापना में जरूरी सामग्री

माता की एक मूर्ति,लाल या पीला कपड़ा, माता की लाल चुनरी, कलश, आम के पत्ते, फूल माला, एक जटा वाला नारियल, पान के पत्ते,सुपारी, इलायची, लौंग,रोली,गाय का दूध,गाय का गोबर,रुपया सिक्का ,सिंदूर,मौली (कलावा), चावल,ताजे फल, फूल माला,बेलपत्र, कपूर, घी,रुई की बत्ती, हवन सामग्री,पांच मेवा,जवारे बोने के लिए मिट्टी का बर्तन,माता के शृंगार की सामग्री इत्यादि।

कलश स्थापना के समय इन बातों का रखें ख्याल
कलश की स्थापित शुभ मुहूर्त में ही करें,कलश का मुंह कभी भी खुला न रहे इसका खास ध्यान रखें।कलश को जिस बर्तन से ढक रहे हों उस बर्तन को कभी भी खाली नहीं छोड़े , उस बर्तन को चावलों से भर दें।चावल के बीच में एक नारियल जरूर रखें।देवी को लाल फूल बहुत पसंद हैं, इसलिए उन्हे लाल फूल जरूर चढ़ाएं।प्रत्येक दिन मां दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए।