बोधगया महाविहार मुक्ति आंदोलन के तहत देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन

सदर संवाददाता अल्ताफ़ कादरी। दैनिक समाज जागरण

सोनभद्र। कलेक्ट्रेट परिसर में बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क बैनर तले शनिवार को जिला अध्यक्ष मुलायम सिंह मौर्य के नेतृत्व में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति नामित ज्ञापन तहसीलदार अमित सिंह को देते हुए बुलंद की गई आवाज।
वहीं जिला अध्यक्ष ने बताया कि अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जहां पर शाक्य मुनि बुद्ध को संबोधि प्राप्त हुई उस पवित्र जगह पर ब्राह्मणों द्वारा कब्जा करना यह अत्यंत पीड़ादायक बात है। अतः निम्नलिखित तारीखों को बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के द्वारा देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन घोषित किया गया है।
देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन के चरण।
पहला चरण : 3 मार्च को सभी जिलों के जिलाधिकारी के रामगढ़ में विरोध प्रदर्शन करते हुए आगे भी
पांचवा चरण में 1 जुलाई को भारत बंद आंदोलन रहेगा वही हमारी प्रमुख मागे
देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन के मुद्दे
महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 यह बौद्धों ने नहीं बनाया है, यह तो ब्राह्मणों ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए बनाया हुआ षडयंत्रकारी कानून है। उसके माध्यम से ब्राह्मणों का महाबोधि महाविहार पर नाजायज कब्जा हो गया है। इस एक्ट से अंतरराष्ट्रीय धरोहर के कानून का भी उल्लंघन भी होता है। इसलिए महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 को रद्द करके इसकी जगह नया एक्ट बनाया जाए, जिसमें सारे के सारे सदस्य यह बौद्धों के होने चाहिए, महाबोधि महाविहार परिसर में शिवलिंग कैसे है? बीटीएमसी क्या कर रही है? महाबोधि महाविहार यह बौद्धों की विश्व धरोहर है, यह बात 1895 के अनागरिक धर्मपाल बनाम महंत
के केस के जजमेंट से सिद्ध हुआ है। इसके बावजूद मुख्य मंदिर के ही बगल में शिव लिंग को स्थापित करना और दीवार पर पांडवो का जिक्र करना यह विश्व धरोहर का अपमान करना है, महाबोधि महाविहार मूलतः बौद्धों की विश्व धरोहर है, इसकी पुष्टि फाह्यान और ह्वेनसांग के सफरनामे से और महाबोधि महाविहार उत्खनन रिपोर्ट से सिद्ध होता है। अतः इस स्थल को बौद्धों को सुपुर्द किया जाए, महंत के कोठी में सैकड़ो बुद्ध की प्रतिमाएं, शिलालेख और अभिलेख पड़े है। क्या महंत उसका मालिक है? उसे तुरंत प्रभाव से एएसआई के बोधगया संग्रहालय को सुपुर्द किया जाए, महाबोधि महाविहार के आसपास के परिसर में विधर्मी लोग बड़े पैमाने पर लाउड स्पीकर लगाकर माहौल कों जानबुझकर खराब कर रहें है। इसको संज्ञान में लिया जाए, महाबोधि महाविहार के पास ही सम्राट अशोक का महल था, जिसे फ्रांसीस बुकानन ने देखा था, उसे ढूंढकर बोधगया का इतिहास उजागर किया जाए, एवं मशीन के द्वारा केवल बौद्धों का ही नहीं बल्कि समस्त भारतीय नागरिकों के वोट का अधिकार प्रभावशून्य हो गया है। अतः एवं मशीन को हटाकर समस्त चुनाव बैलेट पेपर से कराया जाए।
उपरोक्त मांगो को लेकर बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के द्वारा पाँच चरणों में चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है। इस मौके पर प्रदीप कुमार जयप्रकाश बौद्ध राजेंद्र राम नारायण बौद्ध सुरेंद्र मौर्य सुजीत कुमार डॉक्टर ओमप्रकाश आचार्य शंकर लक्ष्मी नारायण अनिल कुमार कुशवाहा सहित आदि लोक मौजूद रहे।

सदर संवाददाता अल्ताफ़ कादरी। दैनिक समाज जागरण

सोनभद्र। कलेक्ट्रेट परिसर में बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क बैनर तले शनिवार को जिला अध्यक्ष मुलायम सिंह मौर्य के नेतृत्व में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति नामित ज्ञापन तहसीलदार अमित सिंह को देते हुए बुलंद की गई आवाज।
वहीं जिला अध्यक्ष ने बताया कि अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जहां पर शाक्य मुनि बुद्ध को संबोधि प्राप्त हुई उस पवित्र जगह पर ब्राह्मणों द्वारा कब्जा करना यह अत्यंत पीड़ादायक बात है। अतः निम्नलिखित तारीखों को बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के द्वारा देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन घोषित किया गया है।
देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन के चरण।
पहला चरण : 3 मार्च को सभी जिलों के जिलाधिकारी के रामगढ़ में विरोध प्रदर्शन करते हुए आगे भी
पांचवा चरण में 1 जुलाई को भारत बंद आंदोलन रहेगा वही हमारी प्रमुख मागे
देशव्यापी चरणबद्ध आंदोलन के मुद्दे
महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 यह बौद्धों ने नहीं बनाया है, यह तो ब्राह्मणों ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए बनाया हुआ षडयंत्रकारी कानून है। उसके माध्यम से ब्राह्मणों का महाबोधि महाविहार पर नाजायज कब्जा हो गया है। इस एक्ट से अंतरराष्ट्रीय धरोहर के कानून का भी उल्लंघन भी होता है। इसलिए महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 को रद्द करके इसकी जगह नया एक्ट बनाया जाए, जिसमें सारे के सारे सदस्य यह बौद्धों के होने चाहिए, महाबोधि महाविहार परिसर में शिवलिंग कैसे है? बीटीएमसी क्या कर रही है? महाबोधि महाविहार यह बौद्धों की विश्व धरोहर है, यह बात 1895 के अनागरिक धर्मपाल बनाम महंत
के केस के जजमेंट से सिद्ध हुआ है। इसके बावजूद मुख्य मंदिर के ही बगल में शिव लिंग को स्थापित करना और दीवार पर पांडवो का जिक्र करना यह विश्व धरोहर का अपमान करना है, महाबोधि महाविहार मूलतः बौद्धों की विश्व धरोहर है, इसकी पुष्टि फाह्यान और ह्वेनसांग के सफरनामे से और महाबोधि महाविहार उत्खनन रिपोर्ट से सिद्ध होता है। अतः इस स्थल को बौद्धों को सुपुर्द किया जाए, महंत के कोठी में सैकड़ो बुद्ध की प्रतिमाएं, शिलालेख और अभिलेख पड़े है। क्या महंत उसका मालिक है? उसे तुरंत प्रभाव से एएसआई के बोधगया संग्रहालय को सुपुर्द किया जाए, महाबोधि महाविहार के आसपास के परिसर में विधर्मी लोग बड़े पैमाने पर लाउड स्पीकर लगाकर माहौल कों जानबुझकर खराब कर रहें है। इसको संज्ञान में लिया जाए, महाबोधि महाविहार के पास ही सम्राट अशोक का महल था, जिसे फ्रांसीस बुकानन ने देखा था, उसे ढूंढकर बोधगया का इतिहास उजागर किया जाए, एवं मशीन के द्वारा केवल बौद्धों का ही नहीं बल्कि समस्त भारतीय नागरिकों के वोट का अधिकार प्रभावशून्य हो गया है। अतः एवं मशीन को हटाकर समस्त चुनाव बैलेट पेपर से कराया जाए।
उपरोक्त मांगो को लेकर बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के द्वारा पाँच चरणों में चरणबद्ध आंदोलन किया जा रहा है। इस मौके पर प्रदीप कुमार जयप्रकाश बौद्ध राजेंद्र राम नारायण बौद्ध सुरेंद्र मौर्य सुजीत कुमार डॉक्टर ओमप्रकाश आचार्य शंकर लक्ष्मी नारायण अनिल कुमार कुशवाहा सहित आदि लोक मौजूद रहे।