फुलचांद पारित, समाज जागरण, संवाददाता
चांडिल : नीमडीह प्रखंड के गौरडीह में आयोजित आदिवासी लोक सांस्कृतिक सार्वजनिक पीठा छांका मेला में संस्कृति प्रेमियों की भीड़ उमड़े। शुक्रवार को श्री श्री धन सिंह मान सिंह के पूजा के अवसर पर पीठा छांका, टुसु मेला व झुमूर संगीत का आयोजन किया गया। मेला कमिटी द्वारा मेला में उपस्थित चौड़ाल को प्रथम पुरस्कार दस हजार एक रूपये, द्वितीय पुरस्कार सात हजार एक रूपये, तृतीय पुरस्कार चार हजार एक रूपये, चतुर्थ पुरस्कार दो हजार एक रूपये व उपस्थित सभी चौड़ाल एवं टुसु को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। मेला आयोजक मंडली के अध्यक्ष अजब सिंह ने कहा कि मेला एक ऐसा आयोजन है जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण रूप है। यह एक प्रकार का मनोरंजन और धार्मिक आयोजन है जिसमें लोगों को आनंद और आत्मीयता की अनुभूति होती है। भारत में मेला का प्रचलन आदि काल से है, जिसे भारतीय साहित्य, कविता और आध्यात्मिकता के साथ जोड़ा जाता है। मेला हर वर्ष धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से आयोजित होता है। उन्होंने कहा कि मेला का आयोजन विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। धार्मिक मेले अपने आप में एक पवित्र संगठन होते हैं, जहां लोग अपनी आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने आते हैं। वे अपनी प्रार्थनाएं करते हैं, पंडितों से मंत्रों की विशेष मांग करते हैं और धर्मिक कथाएं सुनते हैं। कई धार्मिक मेलों में यात्री एक तीर्थयात्रा पर जाते हैं, जहां वे पवित्र नदी या तीर्थस्थल में स्नान करते हैं और अपने पापों की मुक्ति की कामना करते हैं। मेले में चलने वाली यात्रा धार्मिक उमंग, सजीवता और भक्ति का प्रतीक है। इस अवसर पर मुखिया सरस्वती मुदी, वरुण सिंह, सुभाष सिंह, मेला कमिटी के अध्यक्ष अजब सिंह, उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह, सचिव विनोद सिंह, सह सचिव भूषण सिंह, कोषाध्यक्ष मदन मोहन सिंह, सह कोषाध्यक्ष दनार्दन सिंह आदि उपस्थित थे।