द्वितीय विश्वयुद्ध तो कभी खत्म हुआ ही नहीं



रशिया यूक्रेन वॉर द्वितीय विश्व युद्ध की सच्चाई चीख चीख कर बता रही है

अगर सरस्वती की बात की जाए । इतिहास की सचाई महसूस की जाए । और रूस यूक्रेन युद्ध पर गौर की जाए तब यही रूस यूक्रेन वॉर मानव विनाश का विकराल मुंह खोले धीरे-धीरे मानव का ग्रास बनाते जा रही है । यह युद्ध मामूली क्षेत्रीय झड़प थी मगर अब तो चीख चीख कर कह रही है कि द्वितीय विश्व युद्ध कभी खत्म हुआ ही नहीं है । लड़ाई तो चल रही है विश्व में हमेशा कहीं ना कहीं सभी वॉर द्वितीय विश्व युद्ध के ही कही है द्वितीय विश्व युद्ध युद्ध से चुकी सैनिक जानो से ज्यादा ज्यादा सिविलियन की जाने गई । जा रही है । इसलिए ग्लोबल है और ग्लोबल होने के कारण इसका युद्ध भूमि पूरी विश्व है ।गौर कीजिए रसिया यूक्रेन युद्ध पर हो रही है 2 देशों में । मगर इसकी विभीषिका की आग में समूचा विश्व जल रहा है ।जो जहां है अपनी तुष्टिकरण की हवस में कुरूर होकर बदले की आग में जल रहे हैं । यह सिर्फ 2 देशों के युद्ध तक सीमित नहीं रही, अब यह दो विचारधारा के अस्तित्व की लड़ाई हो गई है । यही स्थिति थी द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने में । उस अवधि अपनी राष्ट्रवाद की कट्टरवादी विचारधारा को प्रश्रय सोवियत संघ रूस अपने संविधान में देकर कभी खत्म ना होने वाली द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत कर दी ।

ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं दोस्तों की हिटलर छोटी-मोटी युद्ध भी नहीं सैनिक कार्रवाई करके भले ही शुरुआती बढ़त ले रहा था । मगर इतनी बड़ी विश्व पटल पर ग्लोबल वॉर को छेड़ने की गुस्ताखी हिटलर नहीं करता । हिटलर तो कट्टरवादी राष्ट्रवादी विचारधारा के मनो रोग से ग्रसित था । पोलैंड पर हमला करने कि सोवियत संघ रूस की हामी तुष्टीकरण के राक्षस को जिंदा कर दिया । सोवियत अगर यह लालच की हिटलर पोलैंड उसे दे देगा , उसके बदले आठ दस सालों का अनाज तथा रणनीतिक सपोर्ट, कूटनीतिक मदद नहीं देता हिटलर लाख खुराफाती था युद्ध की शुरुआत नहीं होती । बस छोटी मोटी झड़प होती रहती । मगर ग्लोबल वॉर ना होती और देखें युद्ध समाप्त भी तुष्टीकरण की मानसिकता नहीं होने दे रही है । हिटलर लोमड़ी की तरह शातिर चालाक था । लंदन तथा फ्रांस को फंसा कर रखा फिर अमेरिका को न्यूटीलाइज करने के लिए सोवियत की तुष्टिकरण सोच को हवा दी । रसद भी ली और बड़े आराम से कब्जा कर कभी खत्म होने वाली तुष्टिकरण की ग्रास से लिपटी ग्लोबल विश्व की रणभूमि पूरे विश्व की भूमि को बना दी । सैन्य युद्ध सिविलियन ग्लोबल युद्ध में तब्दील हो गई । सेकंड वर्ल्ड वॉर की रिकॉर्ड जो संयुक्त राष्ट्र संघ को है उसके अनुसार आठ करोड़ नागरिकों की जान नहीं गई थी जिसमें मात्र तीन करोड़ ही सैनिकों की जानें गई थी । जबकि पांच करोड़ आम नागरिकों की जानें गई थी ।तब से हर देश के हर युद्ध हर नरसंहार को जोड़िए । लोकतंत्र की जीवन दर की रफ्तार को ग्रहण इसी की ही लगी है । अगर आप खुद बबूल बोइएगा तब आम कहां से फलेगी।हां यह बात सही है कि बबूल एक बार बोने की जरूरत पड़ती है । वह भूमि को मरूभूमि बना देगी मगर खुद लहलहाती रहेगी । जबकि आम को बोकर छोड़ दीजिए दसवें दिन सूख जाएगी । आम की पेड़ की लहलहाहट लाने के लिए कुर्बानी , प्यार ,आम की पेड़ की भावना समझ कर उसे पानी खाद देनी पड़ती है । त्याग तो होती है कसम से । मगर जब आम का पेड़ लहलहाती है । राहगीर को छाया ,पेट भरने को फलों का राजा सर्व गुण संपन्न आम का फल देती है । हिंदुओं की संस्कारों में जन्म संस्कार से लेकर मृत्यु संस्कार तक यहां तक कि मृत शरीर को जलाने की विधान भी आम की लकड़ी ऊपर ही है ।
तुष्टि करण से ऊपर उठकर सोचिए । सरस्वती सत्य है । जब कमांडिंग ऑफिसर राष्ट्रवादी कट्टरवादी विचारधारा का है तो इसकी सेनाएं जो धार्मिक कट्टरवादीयों की जमात से भरी पड़ी है । उसकी हमले होगी तब सैनिक कहां चारों तरफ आम नागरिकों की हत्याएं होगी ।

ऐसी बातों के बीच अपनी चर्चा नहीं करना चाहिए मगर सत्य बोलने से डरना भी नहीं चाहिए । तनिक समय की नुकसानिया होगी । मगर जीत अंततः सच्चाई की ही होगी । इंडियन आर्मी द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ाइयां लड़ कर विश्व पटल पर रणनीति बनाकर बड़े-बड़े रन क्षेत्र को सीमित कर सैनिक कार्रवाई तक ला सकते हैं । मगर सरकार को इसका भरपूर साथ देना होगा । सरकार को यह प्रण लेनी होगी कि हम अपनी भूमि को आजाद कराने , आजाद रखने में जो कुर्बानी तथा जो खर्च होगा उसे 10 प्रसेंट ब्याज सहित उस मुल्क तथा आतंकवादी संगठन से वसूल करके ही दम लेंगे । चाहे युद्ध 1962 से ही क्यों ना चलती आए या कश्मीर के नाम पर तीन युद्ध ,आतंकी हमले की भरपाई सभी 10% ब्याज के साथ वसूली जाएगी । चाहे आप दे । नहीं दे । इंडिया आपकी किसी न किसी जेनरेशन से वसूलना जानती है ।

इतिहास जब यह है विश्व के तुष्टीकरण की
तब तो इंडिया के सपूतों ने
सर ही नहीं
पूरी जिस्म कफन के बजाए
तिरंगे को लपेट लिया है
अब आगे आगे देखिए
खेल कैसी होती है

युद्ध सही नहीं मगर दोस्तों आजादी न्याय इंसाफ के लिए हथियारे उठाई जाती है । तभी तो तुष्टिकरण के राक्षस का वध होगा ।तभी मानव बचेंगे । मानवता जागेगी ।सत्य जीतेगा । स्वच्छ धारा पर स्वच्छ व्यवस्था की स्वच्छ रोशनी बिखरेगी।
जय हिंद


कुमार गौरव
ग्राम पड़रिया
पोस्ट थाना ईमामगंज
जिला गया बिहार

अन्न की महत्ता और भूखों के लिए एक एक निवाले का उद्देश्य
कुमार गौरव