गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच से सुरक्षित मातृत्व को मिलेगी गति


-जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन
– प्रसव पूर्व जांच गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा के लिये जरूरी

प्रतिनिधि, किशनगंज
जिले में सुरक्षित प्रसव को लेकर स्वास्थ्य विभाग अपनी ओर से पूरी तरह से सुदृढ़ है. अब जरूरत है गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों के जागरूक होने की. लोगों को समझना होगा कि सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रसव पूर्व प्रबंधन बहुत जरूरी है. इसमें जांच से लेकर सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं. सदर अस्पताल के साथ-साथ अनुमंडल और पीएचसी स्तर के सरकारी अस्पतालों में भी वैसी तमाम सुविधाएं हैं, जिससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिले. यहां पर प्रसव पूर्व जांच से लेकर प्रसव कराने तक की बेहतर व्यवस्था है. सुरक्षित मातृत्व के लिए एएनसी जांच कराना अत्यंत आवश्यक है. एएनसी जांच का मकसद मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना होता है. सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया जिले में सुरक्षित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए हम हमेशा प्रयासरत हैं. इसी आलोक में जिले में मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने व जच्चा-बच्चा की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से सभी पीएचसी, सीएचसी, रेफरल एवं अनुमंडलीय व जिला अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व (एएनसी) जाँच प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के अंतर्गत की गयी. जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के निर्देशानुसार जिले के सभी प्रखंडों में स्थित सामुदायिक तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ्य पदाधिकारियों के द्वारा कार्यक्रम का निरीक्षण किया गया. ताकि मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लायी जा सके. जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान अंतर्गत 600 से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की मुफ्त प्रसव पूर्व जांच की गई.
क्या है प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान(पीएमएसए):
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि सुरक्षित प्रसव व संस्थागत प्रसव को बढ़ाने देने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 व 21 तारीख को विशेष शिविर लगाकर गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व (एएनसी) जाँच की जाती है. जिसमें गर्भवती महिला अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता के सहयोग से अपने-अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए एएनसी जाँच करवाने को आती हैं. जाँच के पश्चात चिकित्सकों द्वारा गर्भवती को आवश्यकतानुसार चिकित्सा परामर्श दिया जाता है. जिसमें रहन-सहन, साफ-सफाई, खान-पान, गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ, समेत अन्य चिकित्सा परामर्श विस्तार पूर्वक दिया जाता है. शिविर में जाँच कर रही मेडिकल टीम द्वारा गर्भवती महिलाओं की ब्लड, यूरिन, एचआईवी, ब्लड ग्रुप, बीपी, हार्ट-बीट आदि की भी जाँच की जाएगी.शिविर में एएनसी जांच के लिए मौजूद महिलाओं को प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की शारीरिक परेशानी होने पर तुरंत चिकित्सकों से जाँच कराने की सलाह दी जाती है.
गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक पहली जांच जरूरी :
सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने बताया, सुरक्षित मातृत्व को लेकर सदर अस्पताल में बेहतर व्यवस्था है. दरअसल, गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच होती है. पहली जांच गर्भधारण से लेकर 12वें सप्ताह तक, दूसरी जांच गर्भधारण के 14वें से लेकर 26वें सप्ताह तक, तीसरी जांच गर्भधारण के 28वें से 34वें सप्ताह तक और आखिरी जांच 36वें सप्ताह से लेकर प्रसव होने के पहले तक कराई जाती है. इसे एएनसी जांच कहते हैं. इस जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं को जो भी सलाह दी जाती उस पर अमल करने की जरूरत होती है. इससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिलता है. साथ ही, महिलाओं को अपने खानपान पर भी ध्यान रखना होगा. ताकि, वे एनीमिया की चपेट में आने से बचें. इसके लिए गर्भवती महिलाओं को आयरन और कैल्सियम की दवा भी चिकित्सीय सलाह के अनुसार लेनी चाहिए. एएनसी जांच के दौरान आयरन और कैल्सियम की गोली कब लेनी है, इसकी सलाह डॉक्टर से अवश्य ले लें. डॉक्टर जैसी सलाह दें, उसका पालन करें.
प्रसव को लेकर तैयारी जरूरी-
सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पूनम कुमारी ने बताया, प्रसव का समय नजदीक आए तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. जैसे कि सबसे पहले एम्बुलेंस या फिर किसी गाड़ी वाले का नंबर को पास में रखें. अगर दर्द शुरू हो तो तुरंत गाड़ी वाले को फोनकर बुलाएं. इसके अलावा दो-तीन ऐसे लोगों को तैयार रखें, जो कि जरूरत पड़ने पर रक्तदान कर सकें. उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रोटिनयुक्त आहार का जरूर सेवन करना चाहिए. दूध, अंडा, मछली, मांस के साथ हरी सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को एक साथ दो जान की परवाह करनी पड़ती है. पौष्टिक और प्रोटिनयुक्त आहार लेने से दोनों का ध्यान रखा जाता है. जो गर्भवती महिलाएं मांसाहार का सेवन नहीं करती हैं, उन्हें दूध, हरी सब्जियों और फल के सेवन पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.