सरकारी नौकरी मिलती नही, और सरकारी फ्लैट बिकती नही है।

नोएडा ग्रेटर नोएडा: आथार्टी को ओर से बनाए गए 1400 फ्लैट ऐसे जो कि कई बार योजना निकालने के बाद भी बिक नही पा रहे है। ये फ्लैट वन, टू और थ्री बीएचके के फ्लैट है जो कि ओमिक्रान -1, ओमिक्रान-1ए, सेक्टर 12 म्यू-2, जू-3, सेक्टर-ईटा-2, में है। इन्हे खरीदने मे लोग बिल्कुल ही रूची नही दिखा रहे है। समाचार पत्र मे छपे खबर के मुताबिक अब ग्रेटर नोएडा अथार्टी इन्हे किराये पर देने की प्लानिंग कर रही है। इसके लिए पॉलिसी बनायी जा रही है। बताया जा रहा है कि इन फ्लैटों को विभिन्न सरकारी विभागों को किराये पर दे दिया जायेगा। विभाग अपने कर्मचारियों को किराये पर देगा। सूत्रों का माने तो यह फ्लैट इस्तेमाल नही होने के कारण खराब हो रहे है। ऐसा करने से सरकारी विभाग और आर्थारिटी दोनों को ही लाभ मिलेगा।

नोएडा के वरिष्ठ नागरिक व अधिवक्ता श्री अनिल के गर्ग ने कहा है “क्या नोएडा प्राधिकरण गुणवत्ता वाली फ्लैट बनाने मे असफल है” एक तरफ जहाँ प्राइवेट बिल्डर बिना बने ही मकान बेच लेते है वही दूसरी तरफ प्राधिकरण है जिसके मकान बनने के बाद भी लोग उसे लेने मे रूची नही ले रहे है। ऐसे मे समझना होगा कि क्या प्राधिकरण के द्वारा बनाए गए मकान मे गुणवत्ता की कमी है या मार्केटिंग मे ? दूसरी तरफ यह भी देखना होगा कि क्या यह बाजार रेट से काफी ज्यादा महंगा तो नही है?

अगर नोएडा प्राधिकरण इन फ्लैटों को बेचने के बजाय किराये पर देता है तो वर्ष के 3-4 % वर्ष का रिटर्न मिलेगा, जबकि बाजार ब्याज दर रिटर्न लगभग 8% प्रति वर्ष है। ऐसे मे जरूरी है कि सभी स्तर से सोचा जाय। सार्वजनिक धन के सुरक्षा के लिए सक्रिय निर्णय लेना चाहिए। इससे पहले नोएडा प्राधिकरण ने भी इस प्रकार के योजना को निकाला था लेकिन वहाँ भी असफल रहा था । प्राधिकरण के विभागीय लापरवाही और ढुलमूल रवैया के कारण फ्लैटो कि खस्ता हाल भी इसका एक कारण है। आज तक फ्लैट खाली पड़े है। हालांकि बीच मे यह भी पता चला था कि उन फ्लैटों को जेई, सुपरवाइजर मिलकर किराये पर लगा रखे है और जो कि प्राधिकरण के संज्ञान मे ही नही है।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि इसी नोएडा और ग्रेटर नोएडा मे एक तरफ जहाँ 2 लाख से ज्यादा घर खरीदारों को घर नही मिल रहा है वही दूसरी तरफ प्राधिकरण अपना 1400 फ्लैटों को बेचने मे असफल है। जबकि सरकार योजना के लिए तो लाखो लोग तुरंत तैयार होते है। लगता सरकारी स्कूल के बाद अब सरकार घरों की गुणवत्ता भी लोगों को पसंद नही आ रहा है। न लोग सरकारी स्कूल मे बच्चों को भेजना चाहते है नही तो सरकारी फ्लैट खरीदना चाहते है।