देवलोंद थाने में सूर्य अस्त होते ही शुरु हो जाता है रेत का अवैध कारोबार

समाज जागरण

शहडोल। प्राप्त जानकारी के अनुसार शहडोल जिले की अंतिम सीमा पर स्थित देवलोद थाने में सूर्य ढलते ही रेत का अवैध कारोबार शुरू हो जाता है और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं । सूत्रों की माने तो जिस अवैध कारोबार के कारण पुलिस ने देवलोंद थाने से एक सिपाही को लाईन अटैच किया वह सिपाही डाक एवं अन्य कारणों के चलते उस क्षेत्र में अपना दबदबा कायम किये हुये है और आज भी अवैध रेत के कारोबार संचालित करने का काम कर रहा है। इससे पुलिस की शाख पर बट्टा भी लग रहा है। एक तरफ जिले की कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिये जिले के पुलिस अधीक्षक ने सख्ती का रुख अख्तियार किया है, इस जिले में ऐसे भी पुलिस कर्मी हैं जो अवैध कार्यों को अंजाम देने का काम कर रहे हैं। बल्कि यहकहा जाये कि अपने ही अफसरों की आँख में धूल झोंककर अपने इस कारोवार को रेत की संचालित कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो देवलोंद थाने में पदस्थ रहे भदौरिया नाम एक पुलिस कर्मी जिसे पुलिस अफसरों ने उसके कार्य को देखते हुये शहडोल पुलिस लाईन में अटैच किया है। ताकि अवैध गतिविधियों पर विराम लग सके। लेकिन उसमें भी उसने रास्ता निकाल लिया। उस क्षेत्र की डाक आदि ले जाने का काम उसे सौंपा गया है और उसने परिवार का हवाला देकर आये दिन वो देवलोंद में ही अपना डेरा डाले रहता है। बताया जाता है कि उसका एक और सहयोगी तिवारी भी पुलिस कर्मी के पद पर पदस्थ है, वह भी इस कारोबार में बराबर का सहभागी बना हुआ है।
बुड़वा, जनकपुर, सथनी, कुबरी (सतना जिले का) यहां से अवैध रेत निकालने का काम बेखौफ जारी है। जिले में 80 करोड़ रुपयों की लागत से रेत ठेकेदार ने ठेका लेने का काम किया और वो लगातार अवैध उत्खनन को रोकने के लिये भी प्रयासरत है।लेकिन यह बताया गया कि यह दोनो ही वर्दीधारी बेखौफ होकर रेत के कारोबार को संचालित करने का काम कर रहे हैं। अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि देवलोंद थाने में पदस्थ ये दोनो ही सिपाही शाम 6 से सुबह 6 बजे तक रेत के अवैध कार्य में संलिप्त रहते हैं और यह भी बताया गया कि 2 हजार प्रति ट्रिप रेत की गाड़ियों से हिसाब-किताब भी हो रहा है। जानकारों का मानना है कि 50 से ऊपर रेत की अवैध गाड़ियां रीवा, अमरपाटन, रामनगर एवं रामपुर नैकिन ओर दौड़ रही है। यह पूरा का पूरा रेत का अवैध कारोबार नदियों से संचालित हो रहा है और इन नदियों से अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। मजे की बात यह है कि यह वही देवलोंद क्षेत्र हैं जहां की नोक पर रेत का कारोबार संचालित किया जाता रहा है। यह वही देवलोंद थाना क्षेत्र है जहां रेत के अवैध कारोबारियों ने पटवारी को रौंद डाला, यह वही देवलोंद थाना है जहां शाम से पुलिस सक्रिय हो जाती है। यह भी बताया गया कि भदौरिया को जब लाईन अटैच किया गया है तो उसकी डियूटी उस क्षेत्र में क्यों लगाई जा रही है और परिवार का जिक्र कर लगातार वो उस क्षेत्र में बना रहता है। एक तरफ तो जिस ठेकेदार ने करोड़ों रुपयों की लागत से रेत का ठेका लिया वो इन सिपाहियों के चलते लगातार नुकसान उठा रहा है तो दूसरी ओर जिस पुलिस कर्मी को अवैध कार्यों को रोकने का काम करना चाहिए उसकी संलिप्तता संदिग्ध बताई जा रही है।जिस समय से भदौरिया पुलिस लाईन में अटैच है अगर पूरे दस्तावेज खंगाले जायें और यह देखा जाये कि वह कितने दिन डाक लेकर पपौंध, ब्यौहारी, देवलोंद एवं जयसिंहनगर थाने की ओर गया है, तो अपने आप ही स्पष्ट हो जायेगा कि शहडोल में लाईन अटैच होने का नाम तो सिर्फ एक कागजी खाना पूर्ति रही है। पुलिस के वरिष्ठ अफसरों की आँख में धूल झोंककर यह सिपाही आखिर किसके संरक्षण में किस कारोबार को संचालित कर रहा है।
गौरतलब है कि भदौरिया को जब लाईन अटैच किया गया है, वर्तमान में उसकी पदस्थापना देवलोंद थाने में नही है तो उसे वहां का आवास भी क्यों आवंटित किया गया है। अगर इस रेत के अवैध कारोबार पर नियंत्रण पाना है तो पुलिस तो अपने इन पुलिसिया जवानों के ऊपर भी खुफिया तंत्र लगाना होगा ताकि सके। इनकी हर सच्चाई को उजागर किया जा सके।जिस तरह से देवलोंद क्षेत्र के इन नदियों से रेत का अवैध कारोबार हो रहा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी दिन फिर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की रूपरेखा तय हो रही हो। कोई बड़ी घटना घटे और पुलिस के अफसरों पर जिनका इस मामले से कोई लेना देना नही उन पर सवाल खड़े हों उसके पहले ठोस कदम उठाकर उन्हें इस अवैध उत्खनन पर पूर्ण विराम लगाना होगा।