इंडिया की मेजबानी और जी-20 के मायने




हथियारों से झुकाना तो
लगभग सभी जानते हैं
मगर हाथ जोड़कर अपना बनाना जो जान ले
वही इंसान कहलाता है

विश्व की सबसे बड़ी नहीं आधुनिक युग अनुसार इसे ग्लोबल विश्व की सबसे बड़ी ग्रुप G 20 का आयोजन इस बार विकासशील देशों की रीढ़ तथा गरीब मुल्कों की ऑक्सीजन इंडिया में हो रहा है। जो सिर्फ भारतीयों के लिए ही नहीं ग्लोबल विश्व के विकासशील देशों तथा गरीब मुल्कों के लिए भी हर्ष का विषय है। जी-20 के कई कार्यक्रम हो चुके हैं जी-20 के सदस्यों के लिए इंडिया में ही हो चुके बीते कार्यक्रमों में विश्व में लोकतंत्र के खिलाफ फैल रही अराजकता की अंधकार को मिटा देने के बजाय रूसी यूक्रेन युद्ध को लेकर शीत युद्ध की तरह दो खेमों में बंटी हुई प्रतीत हुई। जबकि इंडिया G 20 के पहली कार्यक्रम की शुरुआत होने पूर्व जी-20 के प्लेटफार्म से पूरी दुनिया को अवगत करा दी l तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया तहत विश्व को यह संदेश दे दिया कि इंडिया इस बार G 20 का जो प्लेटफार्म सजा रही है वहां से खाद्य सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार का पालन ,विश्व बाजार को मंदी से निकालकर नए युग की नई स्वच्छ पारदर्शी अर्थव्यवस्था का निर्माण करना , मानव कल्याणकारी सकारात्मक आविष्कारों को ही मान्यता देना। लोकतांत्रिक शिक्षा प्रणाली जो क्षेत्रवाद की दिशा बढ़ रही है उस शिक्षा पद्धति को मानव हितेषी मानव कल्याणकारी की विचारधारा से तैयार करना। हर राष्ट्र की अखंडता बचाना। धार्मिक कट्टरवाद से बचाव। आतंकवाद का समूल नाश। हर देश की अर्थव्यवस्था को ग्लोबल विश्व व्यवस्था तहत खुली बाजार मुहैया कराना। विश्व शांति की दिशा हर पल अग्रसर रहना। यानी इस विचारधारा तहत इंडिया विश्व को यह संदेश देने की कोशिश की रूस यूक्रेन युद्ध से जो व्यापक मंदी अराजकता हुई है। युद्ध मे भी बुद्ध की बाते हम ही कर सकते हैं।मगर G 20 के सदस्यों ने इसे इंडिया का बड़बोलापन, नैतिकता की ढकोसला समझा। पर्सनली राष्ट्रों को जिन्हें रूस यूक्रेन युद्ध से घाटे हो रहे थे। वैसे देश अपनी सिर्फ और सिर्फ मन की भड़ास निकाली यह सोचकर ही कि जी-20 के प्लेटफार्म से कहेंगे तो दुनिया ध्यान देगी। सबों ने बस अपनी-अपनी नुकसानों के बारे में बताया। कुछ ऐसे देश भी थे जिन्होंने अपनी फायदे तक भूलकर बस येन प्रकेण द्वारा युद्ध इसलिए बंद करवाना चाहते थे कि उनके लिए वार् जोन के कारण भौतिकवादी संसाधन उपलब्ध नहीं हो पा रही थी। जबकि यूक्रेन तथा रशियन अपनी-अपनी जाने दे रहे हैं तथा दे रहे थे । इसे कुरूरता की हद पार कर जाना नहीं कहिएगा। हर रोज यूक्रेन रूस में मातमी शोक मनाई जा रही है। कब्रिस्तान बनाने की जहां शहीदों को दफनाया जाए वह भी युद्ध स्तर पर यूक्रेन रसिया में बनाए जा रहे हैं। युद्ध बंद हो जरूर उनके नफा नुकसान के नियमों तहत। यह तो लोकतंत्र का इंसाफ नहीं। और अगर लोकतंत्र का इंसाफ ऐसा है तब तो जगह भले ही बदलती रहेगी। मगर युद्ध हमेशा विश्व में कहीं ना कहीं चलती रहेगी। अराजकता और आतंकवाद अपना स्वर्ग विश्व में बनाते रहेंगे। इंसानों का स्वर्ग वहां जहां खुशियां है प्यार है अपनापन है। पूर्णतः विश्व पटल पर खुशी आजादी है। मगर आतंकवाद तथा अरजकता का स्वर्ग वहां जहां रोशनी ना पहुंचे। चारों और मातमी चित्कार हो। जन्म दर खत्म तथा मृत्यु दर आसमान छूती रहे। हत्या कर देने वाली हथियार की श्रेष्ठा हो। मगर इसी G 20समूह के इस बार के होस्ट कर्ता इंडिया एक ऐसा देश है जो युद्ध में भी बुद्ध की बात करता है। जो इतिहास लेकर प्रमाणित है। मगध कलिंग युद्ध में इतनी हत्या हुई थी किईश्वर भी इसकी गिनती भूल जाए। कलिंग हारा मगर मगध जीत कर भी हार के बराबर की छती झेली। युद्ध मैदान में लाशों का अंबार देख विजय मगध सम्राट अशोक खुद को जीता हुआ महसूस नहीं कर पाया। युद्ध क्षेत्र में ही एक बौद्ध भिक्षु के चंद सत्य सवाल अशोक को ऐसा विचलित कर दिया कि अशोक खुद को विजय सम्राट ना समझकर इन लाशों का हत्यारा समझने लगे। इसके एवज में उन्होंने पश्चातापतहत हथियार सदा के लिए छोड़कर बुध के अहिंसक मार्ग पर चल दिए। मानव धर्म का विकास मगध ही नहीं पूरे विश्व में अशोक ने सादगी सेफैलाई। जबकि युद्ध का फैसला मगध के पक्ष में था। कालिंग गुलाम हो चुकी थी। फिर भी अशोक उसे आजाद किया। साथ ही साथ धर्म को जान गए। मानवता पूर्ण कर्तव्य पहचान गए। और बौद्ध धर्म को विकास स्वर्ण युग की तरह किया। मगर ऐसा कहां हुआ। कुछ तो सिर्फ इसलिए आए कि वहां जाकर इंडिया को बदनाम करें। विचारधारा क्या है जी-20 का उद्देश्य क्या है। अराजकता तथा खाद्य सुरक्षा तत्काल विश्व स्तर पर प्रभावी हो। इसकी कोई जगह भी नहीं थी। अरे इसे छोड़े। कुछ ने तो इंडिया को यहां तक ब्लैकमेल किया कि हमG 20 में शामिल रहेंगे। सुनेंगे नहीं सिर्फ अपनी भड़ास बकेगे और जॉइंट साइन नहीं करेंगे। जॉइंट साइन का ना करना मतलब मेरी दादा दादागिरी इतनी कि हम मीटिंग में रहकर लिखित मीटिंग में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराएंगे। ताकि दुनिया आपकी आलोचना करें औरआपकी मेजबानी दागदार हो जाए। सबों ने ऐसा किया जो चाहा सो किया परंतु इंडिया जिन जिन मुदद्दो तहत है।G 20 की अध्यक्षता की। कोई साथ ना दे फिर भी विकासशील देशों तथा गरीब मुल्कों के साथ वह कमिटमेंट पुरी की। अकेली सही मगर विश्व के 40% आबादी को इंडिया खाद्य संकट से दूर रखा। आतंकवाद की ओर उनके भटकाव को रोका। जिससे बिकाशसील तथा गरीब मुल्क इंडिया को होने लगी है की ओर उनके भटकाव को रोका जिससे विकासशील तथा गरीब मुल्क इंडिया को अपना नेतृत्व कर्ता विश्व पटल पर मानने लगी है। इंडिया G 20 से बुद्ध का संदेश तथा सकारात्मक तकनीक विश्व को देना चाही जबकि दूसरे मुल्क यूक्रेन रूस युद्ध को रुकवाने में G 20 का अहम रोल अदा कराना चाही वह भी तुष्टीकरण के नए किताब के संग। यह संभव नहीं तथा इंडिया की अध्यक्षता में तो असंभव। G 20 विश्व के लगभग 70% बाजार पर पकड़ रखती है फिर भी निष्क्रिय, विवादास्पद बनाए रखना उचित तथा तर्कसंगत नहीं । आइए G 29 के मुल्क तथा विश्व शांति की दिशा बढ़ने की इंजन तैयार करें। क्योंकि तुष्टीकरण तो प्रथम विश्व युद्ध से चल ती आ रही है। विश्व में युद्ध होना क्या बंद हो गया। अपनी अपनी छवि सुधार कर g20 को विश्व स्तर पर प्रभावी बनाएं । जबकि एक बात कहूं यूक्रेन रूस के बीच युद्ध शुरू नहीं हुई थी। वह एक क्षेत्रीय झड़प थी। जिसे विश्व के आका समझने वाले मुल्कों ने भीषण युद्ध तक धकेल दिया और खामियाजा सिर्फ रूसी यूक्रेन तक सीमित नहीं है बल्कि विश्व का हर मुल्क इस त्रासदी में पिसा जा रहा है।


जय हिंद। कुमार गौरव
पड़रिया
थाना इमामगंज
जिला गया
बिहार